कुछ खरी-खरी : अवैध नशे का कारोबार, हथियार, गांजे की पैदावार, नकली नोटों का व्यापार, कृपा जो बरस रही जिम्मेदारों की अपार, आंगनवाड़ी केंद्रों में युवा कौशल दिवस!
हेमंत भट्ट
वैसे तो “देश भक्ति जन सेवा” ही ध्येय वाक्य है मगर किसकी भक्ति और किसकी सेवा हो रही है, यह आमजनता भली-भांति जानती है। सरकार में बैठे लोगों से जुड़े लोगों ने एक मोर्चा निकाला तो कप्तान साहब की नींद खुली। जिले में तैनात सभी ताता थैया करने लगे। दनादन कार्रवाई हुई। अवैध के कारोबार में शहर से लेकर गांव तक में लिप्त लोगों की धरपकड़ हो गई। कुछ दिन में ही कार्रवाई का ऐसा ट्रेलर दिखा दिया, इससे ऐसा लगने लगा कि यह तो सतत चलने वाली प्रक्रिया है फिर जिम्मेदार सुस्त और अवैध में लिप्त इतने चुस्त क्यों थे? यह बात समझ से परे है मगर समझ में आती भी है।
यह बात हर कोई जानता है कि जब तक कृपा नहीं होती तब तक कोई कार्य नहीं बनता। जैसे जैसे कृपा बरसती है वैसे वैसे व्यापार फलता फूलता है। चाहे व्यापार सही का हो या गलत का। नीचे वाला और ऊपर वाला सब का साथ देता है।
कुछ का साथ कुछ का विकास
कहने को तो नारा है “सबका साथ सबका विकास” मगर जिले में काफी समय से हो रहा है “कुछ साथ कुछ का विकास” वाली बात चरितार्थ हो रही थी। जिले में न केवल अवैध शराब, गांजे की बिक्री हो रही थी। अपितु अवैध हथियार, ब्राउन शुगर, नकली नोट का भी कारोबार धड़ल्ले से चल रहा था। व्यापार चल क्या रहा था, यूं कहें कि फल फूल रहा था। इतना ही नहीं गांजे की पैदावार हो रही है।
मुखबिर तंत्र ऐसे सक्रिय हुआ जैसे सीसीटीवी कैमरे कर दिए चालू
पुलिस कप्तान के न केवल निर्देश मिले अपितु कार्रवाई का डंडा भी दिखाया तो सभी थाना क्षेत्र के जिम्मेदार अपने अपने इलाके में मुस्तैद हो गए। खास बात तो यह है कि इस पूरे मामले में मुखबिर तंत्र ऐसा सक्रिय हुआ जिसे पल-पल की खबर थी या यूं कहें कि मुखबिर तंत्र नहीं वह तो सीसीटीवी कैमरे ही थे। मगर शहर के लोगों को मुखबिर तंत्र के सक्रिय होने की बात कुछ हजम नहीं हो रही। दबी जबान में लोगों का तो यही कहना है कि पुलिस को सब पता है, कौन क्या ले जा रहा है। कौन क्या कर रहा है मगर कार्रवाई नहीं हो रही थी। जब पुलिस कप्तान ने निर्देश दिए कि यदि तुम्हारे क्षेत्र में अवैध का कारोबार चल रहा है और दूसरे थाना क्षेत्र वालों ने उधर जाकर कार्रवाई कर दी तो फिर तुम्हारी खैर नहीं है फिर कार्रवाई का डंडा जिम्मेदारों पर चलेगा।
जिम्मेदारों की मन में बैठा कार्रवाई का डर और धरपकड़ शुरू हो गई इधर-उधर
बस यही डर जिम्मेदारों के मन में बैठा और उन्होंने धीरे-धीरे ही सही 11 दिनों में यह जता दिया कि वह बहुत कुछ कर सकते हैं मगर क्यों नहीं करते यह अभी पोल नहीं खुली है। निर्देश के बाद तो मुखबिर तंत्र सक्रिय हो गया। फिर क्या बात थी सब कुछ ऐसा लग रहा था कि सब आईने के सामने ही हो रहा हो। गांजे की तस्करी और विक्रय करते हुए एक महिला सहित सात लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं गांजे की पैदावार करते हुए आदिवासी किसान को भी गिरफ्तार किया गया। वाकई कमाल की बात है। इतना ही नहीं डोडा चूरा जब्त कर 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह सब 10 दिन के भीतर हो गया और रविवार को तो कमाल हो गया। डोडा चूरा की तस्करी करने वाले, नकली नोट छापने वाले, अवैध शराब बेचने वाले, हथियार रखने वाले, वारंटी सहित सट्टा लिखने वालों तक पर कार्रवाई हो गई।
पुलिस जलवे दिखा रही है या बचा रही अपनी साख
चौराहों पर तो चर्चा यही चल रही है कि जिले में धड़ाधड़ हुई कार्रवाई से तो यही लग रहा है कि सब कुछ पता है मगर मुखबिर तंत्र पुलिस का निष्क्रिय था, इसलिए पुलिस काम नहीं कर पाई। अब मुखबिर तंत्र सक्रिय हो गया है तो पुलिस भी अपने जलवे दिखा रही है। या यूं कहें कि पुलिस अपने थाना क्षेत्र की साख बचा रही है।
नन्हे बच्चों की आंगनबाड़ियों में “विश्व युवा कौशल” दिवस समझ से परे
भारत सरकार के आला अफसर ने निर्देश क्या दिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने उनका अक्षर से पालन भी कर दिया। तय कार्यक्रम के अनुसार 15 जुलाई को “विश्व युवा कौशल” दिवस मनाया जाना था, तो जिले की आंगनवाड़ी केंद्रों पर मनाया गया, जहां पर 5 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं। मानव श्रृंखला बनाई और उन्हें सबक सिखाया की बेटी को बचाओ और बेटी को पढ़ाओ। अब यह समझ से परे है कि जब आयोजन “विश्व युवा कौशल” का था तो फिर मानव श्रृंखला का क्या औचित्य था। जो बच्चे अभी स्कूल की देहलीज पर नहीं गए हैं, उनके बीच “विश्व युवा कौशल” दिवस आखिर क्यों मनाया गया? माना तो यही जा रहा है कि बजट आया होगा तो उसको किस तरीके से खर्च करना है, कर दिया। खबरों की कटिंग पहुंचा दी जाएगी ऊपर। बजट पास भी हो जाएगा। जय हो।