साहित्य सरोकार : रचनाकार को होना चाहिए शिष्ट, निष्ठ और मिष्ट
⚫ नटवरलाल स्नेही के संदर्भ में विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आशीष दशोत्तर ने कहा
⚫ शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में स्वाधीनता आंदोलन में साहित्यकारों का योगदान पर आयोजन
⚫ मार्मिक संस्मरणो से सदन को भाव विभोर किया स्नेहीजी के पुत्र ऋषि कुमार शर्मा ने
हरमुद्दा
रतलाम, 20 जुलाई। डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में स्वाधीनता आंदोलन में साहित्यकारों का योगदान नटवरलाल स्नेही के संदर्भ में विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य आतिथ्य प्रदान कर रहे सुप्रसिद्ध साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘ जग की जड़ता को जीवन का मीत बनाने में, कितना बहा पसीना कवि को गीत बनाने में !’ गांधीमानस के रचयिता नटवरलाल स्नेही जी ने गाँधीजी की पूरी जीवनी काव्यमय लिखी। गांधी मानस उनका महाकाव्य है।
स्वाधीनता संग्राम में स्नेही जी ने तन मन धन से स्वतंत्रता सेनानियों की रक्षा सुरक्षा की है । स्नेही जी का निवास ‘पर्णकुटी’ स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आज़ादी के आंदोलन का प्रमुख केंद्र थी।
अभावों में रहते हुए भी स्नेही जी ने अपनी ज़मीन बेच बेच कर स्वतंत्रता सेनानियों की रक्षा की। आज लोग जमीन के लिए अपना ज़मीर बेच देते हैं लेकिन उन्होंने अपने जमीर के लिए अपनी ज़मीन तक बेच दी। । स्नेही जी का साहित्य तीन भागों में बांटा जा सकता है , उनका प्रारम्भिक काव्य राष्ट्रीय परम्परा का काव्य जो स्वाधीनता आंदोलन के समय का काव्य है। मध्यकाल में उन्होंने छाया वादी शैली में काव्य रचना की । तीसरा उनका भक्तिपरक काव्य। उनका सम्पूर्ण काव्य एवं साहित्य मनुष्य को शिष्ट , निष्ठ एवम मिष्ट होने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने कहा कि नटवरलाल स्नेही का निवास नागदा की पर्णकुटी में ठहरने वाले उन क्रांतिकारियों की लंबी सूची है जिनकी की अंग्रेज सरकार को तलाश थी , जिनके गिरफ्तारी के वारंट होते थे । नटवरलाल स्नेही जी ऐसे क्रांतिकारियों की सेवा करते थे । श्री दशोत्तर ने कहा कि स्नेहीजी का पुण्य स्मरण कर ऐसा लग रहा है कि हम आज यहाँ साहित्य की पर्णकुटी में बैठें है । यह संस्थान विगत कई वर्षों से निष्ठा एवम समर्पण भाव से साहित्य की सेवा कर रहा है।
मार्मिक संस्मरणो से सदन को भाव विभोर किया स्नेहीजी के पुत्र ऋषि कुमार शर्मा ने
विशिष्ट आतिथ्य प्रदान कर रहे कवि श्री नटवरलाल स्नेही जी के बड़े सुपुत्र वरिष्ठ पत्रकार ऋषि कुमार शर्मा ने बहुत ही मार्मिक संस्मरणो से सदन को भाव विभोर किया । स्वतन्त्रा आंदोलन की बात से लेकर उनका कवि जीवन एवम व्यक्तित्व तथा उनके पारिवारिक जीवन में ,त्याग स्नेह तथा समर्पण को जीवंत किया ।
श्री शर्मा ने अपने संस्मरणो में उल्लेख करते हुए कहा कि स्नेही जी कि जीवटता ऐसी थी कि कुआ खोदकर पानी पीना एक मुहावरा तो क्या उन्होंने अपनी जीवटता से उसे चरितार्थ किया और स्वयं अपने हाथों एक कुआ खोदा तथा इसी को अपने जीवन का महाकाव्य कहा । ‘मैं अंधकार से रातों का श्रंगार किया करता हूं , मैं उजियारे को सूरज का उपहार दिया करता हूं ! ‘रचना के पाठ के साथ ऋषि कुमार शर्मा ने कहा कि मेरे द्वारा स्वरचित मालवी कविता स्नेहिजी को सुनाए जाने पर उन्होंने बड़े ही विनोद में कहा कि ” लूण पड़िगयो खीर में “। ऐसे उनके अनेक भावपूर्ण प्रसंग प्रस्तुत किये । संगोष्ठी में एम.ऐ. राजनीति विज्ञान की छात्राओं में भावना सिसोदिया कृतिका परमार एवम प्रिया उपाध्याय ने स्वाधीनता संग्राम में साहित्यकारों के योगदान विषय पर अपने अपने आलेखों का पाठ किया। अखिल स्नेही ने कवीश्री नटवरलाल स्नेही की रचना जो भाषा भारती कक्षा छटी के पाठ्यक्रम में ‘विजयगान’ शीर्षक से सम्मिलित है ‘सम्भल सम्भल कर चलो वीर वर तलवारों की धारों पर!’ का पाठ करते हुए नटवरलाल जी के गीत’ उमड़ते हुऐ व्योम के वारिधो की ,हुई लेखनी आज मेरी ऋणी है ! का सस्वर पाठ करते हुए संगोष्ठी का शुभारंभ किया एवम स्नेही जी की कृति अन्तर्जवला जो अंग्रेज सरकार द्वारा जप्त कर ली गई एवम जिसके अंश कुर्बानी फिल्म में भी दिखाए गए आदि प्रसंगों पर अपने भाव व्यक्त किये।
पुलिस गिरफ्तारी वारंट से 2 माह तक बचे पर्णकुटी में : डॉ. तिवारी
डॉ. शोभना तिवारी ने कवि श्री नटवरलाल स्नेही जी के काव्य जीवन एवं व्यक्तित्व के साथ उन स्वतंत्रता सेनानियों पर प्रकाश डाला जिनमे मामा बालेश्वर दयाल , सुभाषचंद्र बोस के अनन्य साथी एवम बटुकेश्वर दत्त के शिष्य हरिलाल झांसी गिरफ्तारी से बचने के लिए पर्णकुटी में रहे । साथ ही बिहार निवासी क्रांतिकारी श्याम बिहारी पर्णकुटी के आश्रय में दो माह तक पुलिस गिरफ्तारी वारंट से बचे थे।
पिंजरे के द्वार, कहता हूं, याद रहो आबाद रहो : डॉ. जोशी
संगोष्ठी कीअध्यक्षता कर रही डॉ. मंगलेश्वरी जोशी स्वाधीनता आंदोलन में माखनलाल चतुर्वेदी से ले कर कई ख्यातनाम साहित्यकारों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को उल्लेखित किया जिनमे कन्हैयालाल खादीवाला राधेलाल व्यास हरिराम चौबे आदि आदि प्रमुख है । माखनलाल जी के 67 बार जेल जाने की एवम उनके कृतित्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माखनलाल जी जेल के द्वार को हर बार कहते थे कि ‘है पिंजरे के द्वार, कहता हूं, याद रहो आबाद रहो।
यह थे मौजूद
कार्यक्रम में सिद्दिकी रतलामी राजेश रावल आभा गौड़ सीमा राठौड़, सारिका नागर, रश्मि उपाध्याय, दीपा नागर, स्मिता गांधी, राजेश कोठारी, दिनेश तिवारी, सुमन शर्मा आदि उपस्थित थे। संचालन डॉ शोभना तिवारी ने किया। कवीश्री नटवरलाल स्नेहिजी की पंक्तियों “प्रभा प्रसारित करता जग में यह पर्णकुटी का द्वार” के साथ साहित्य की इस पर्णकुटी से अखिल स्नेही ने सदन का आभार माना !