धर्म संस्कृति : शब्दों में दो तरह की शक्ति, जोड़ने और तोड़ने की
⚫ आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ शान्त-क्रांति संघ में पर्युषण पर्व की आराधना
⚫ पकड़ो मत, जाने दो विषय पर प्रवचन
हरमुद्दा
रतलाम,14 अगस्त। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी शान्त-क्रांति संघ के तत्वावधान में सोमवार से परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा की निश्रा में पर्युषण महापर्व की आराधना शुरू हुई। पहले दिन आचार्यश्री ने पकडो मत, जाने दो विषय पर प्रवचन देते हुए शब्दों की महिमा बताई। उन्होंने कहा शब्द ब्रम्ह है। ये बडे ताकतवर होते है। इनसे संबंध जुडते है, तो तुड भी जाते है। इसलिए शब्दों का उपयोग समझदारी से करना चाहिए। किसी के शब्दों को पकडे नहीं और आगे बढे,तभी सुख, समृद्धि और शांति मिलेगी।
आचार्यश्री ने कहा कि मनुष्य जीवन की बहुत बडी कमजोरी ये है कि हम शब्दों को पकडते है और फिर उनका पोस्ट मार्टम करते है। इसके बाद तनाव तथा अवसाद ग्रस्त हो जाते है। विडंबना ये भी है कि हम खोटी बात पकडते और अच्छी बात को जाने देते है। यदि अच्छी पकडेंगे, तो जीवन समृद्ध होगा, लेकिन खोटी बात पकडकर व्यक्ति खुद का और दूसरे का दोनो का नुकसान करता हैं। जीवन में यदि सुखी रहना है, तो शब्दों को मत पकडो। शब्दजीवी मत बनो अपितु भाव जीवी बनो।
संबंध जोड़ना कला है और उसे बनाए रखना साधना
आचार्यश्री ने कहा कि संबंध जोडना कला है और संबंधों को जोडे रखना साधना है। पर्यूषण पर्व में सभी ये साधना करे, कि हमारे शब्द किसी को आघात पहुंचाने वाले नहीं हो। यदि किसी से ओछे शब्द बोले हो, तो उससे क्षमायाचना कर ले। क्योंकि समय प्रवाहमान है, ये कही रूकने वाला नहीं है। समय को जिसने दोस्त बना लिया, उसे वह महान बना देता है और जो दोस्त नहीं बनाता, उसे समय बर्बाद कर देता है। वर्तमान में ब्रेन हेमरेज की घटनाएं शब्दों के पकडने के कारण ही हो रही है।
समझदारी से करना चाहिए शब्दों का उपयोग
आचार्यश्री ने कहा कि शब्दों का उपयोग समझदारी से करना चाहिए। बिना समझ के बोले गए शब्द अपमान, अनादर और तिरस्कार कराते है। शब्दों में जो शक्ति होती है, वह किसी में नहीं होती। इसलिए पर्यूषण पर्व को स्वयं में परिवर्तन का पर्व बनाएं और दुर्भाव, दुर्रवचन से बचने का संकल्प करे। हर व्यक्ति अपने भीतर झांकने का प्रयास करे, क्योंकि मानव जीवन अनंत पुण्यवानी से मिलता है। यदि शब्दों को अस्त्र-शस्त्र बनाकर किसी को आहत किया हो, तो उससे तत्काल माफी मांग ले और अच्छे कार्य करने में आगे रहकर अपने जीवन को सफल बनाए।
आचरण सूत्र का किया वाचन
उपाध्याय प्रवर, प्रज्ञारत्न श्री जितेश मुनिजी मसा ने इस मौके पर आचारण सूत्र का वाचन करते हुए नौ ग्रहो की शांति पर मार्ग दर्शन दिया। विद्वान सेवारत्न श्री रत्नेश मुनिजी मसा ने अंतगढ सूत्र का वाचन किया। कई तपस्वियों ने तप आराधना के प्रत्याख्यान लिए। प्रवचन के दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण मौजूद रहे।