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धर्म संस्कृति : अपनी कमियों को एक्सेप्ट और दूसरों की कमियों को अवॉइड करो

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आचार्यश्री विजयराजजी मसा का संवत्सरी संदेश

छोटू भाई की बगीची में छाया पर्युषण पर्व का उल्लास

हरमुद्दा
रतलाम, 21 अगस्त। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी शान्त-क्रांति संघ के तत्वावधान में छोटू भाई की बगीची में पर्युषण महापर्व का उल्लास रहा। संवत्सरी पर आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने क्षमायाचना का संदेश दिया। उन्होने श्रावक-श्राविकाओं से अपनी कमियों को एक्सेप्ट और दूसरों की कमियों को एवाइड करने का आह्वान  किया। उन्होंने कहा कि साधु-संतों के लिए रोज ही संवत्सरी होती है, लेकिन सांसारियों में पर्यूषण पर्व में इसका भाव आता है। संवत्सरी का भाव यदि बारह महीने रहे, तो धर्म वरदान बन जाएगा।

आचार्यश्री ने धर्म का मर्म समझाते हुए कहा कि मनुष्य को धर्म चार लाभ देता हैं। पहला तन को आरोग्य देता है, दूसरा मन को प्रसन्नता, तीसरा जीवन में शांति और चैथा मरण में समाधि देता है। साधक वही होता है, जिसके मन में साधना के प्रति आस्था रहती है। पर्यूषण महापर्व के दौरान जैसा धर्म भाव रहता है, वैसा पूरे साल रखने का प्रयास सबको करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संवत्सरी का पर्व आत्मावलोकन करने का दिन हैं । इस दिन यदि किसी के प्रति अपराध किया हो, तो क्षमायाचना कर लेना चाहिए। क्योंकि गलती पर क्षमा मांगने वाला कभी छोटा नहीं होता, अपितु निर्दोष बन जाता है।

त्याग से मिलता है पुण्य

आचार्यश्री ने कहा कि संवत्सरी के दिन सारे दोषों का स्मरण करना चाहिए, क्यों कि जब तक दोष स्वीकार नहीं किए जाते, तब तक व्यक्ति निर्दोष नहीं बनता। पाप सदैव राग से लगता है और पुण्य हमेशा त्याग से मिलता है। इसलिए अहम का त्याग करो और राग से दूर रहकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर होने का प्रयास करेंगे, तभी पर्यूषण पर्व मनाना सार्थक होगा।
उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा ने आचारण सूत्र का वाचन करते हुए कहा कि पकडो मत, जाने के सूत्र से विराधक भी आराधक बन सकते है। जीवन में जो पकडकर रखता है, वह खुद भी दुखी होता है और दूसरों को भी दुखी करता है। संसार में कभी राग-द्वेष की गांठ नहीं बांधना चाहिए। यदि किसी की गांठ बंधी हो, तो उसे खोलकर पवित्र बनो। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री के सानिध्य में चातुर्मास का अवसर बार-बार मिलने वाला नहीं है। इसलिए इस अवसर का सभी लाभ उठाए। आरंभ में विद्वान संत श्री रत्नेशमुनिजी मसा ने आगम का वाचन किया। इस दौरान सैकडों श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।

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