गीत : मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहा हूं

आशीष दशोत्तर

हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा के करीब है । आज जब वह वहां पहला कदम रखेगा तो वहां उसे चंद्रयान -2 भी मिलेगा । अपनी असफलताओं के बावजूद सीख देता चंद्रयान – 2 उसे क्या कहेगा ? इसी को अभिव्यक्त करता यह गीत।

मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहा हूं

तुम चले आए बहुत अच्छा किया ये,
मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहा हूं।

कौन से ऊंचाइयों ने पर लगाए,
क्यों ज़मीं पर पाॅंव मेरे टिक न पाए ?
भूल बैठा था ठहरने का सलीका,
व्यग्रता ने उस घड़ी क्यूंकर न रोका ।
उस विफलता पर कभी रोया नहीं मैं
तब से पल-पल की समीक्षा कर रहा हूं ।

एक ठोकर रास्ते सौ खोलती है,
हर कदम को चूमती है, बोलती है –
यह न रुकने का समय,चलते ही रहना
कोशिशें अपनी सदा करते ही रहना ।
मंज़िलों की राह सबको मैं दिखाकर,
खुद स्वयं की ही परीक्षा कर रहा हूं।

इस धरातल पर जमा कर पाॅंव रखना,
साथ अपने धूप रखना, छांव रखना ।
खो न देना तुम कभी विश्वास अपना,
पूर्ण करना है तुम्हें दुनिया का सपना।
कल यहां जो पल तुम्हारे नाम होगा,
मैं तो बस उनकी सुरक्षा कर रहा हूं।

⚫ आशीष दशोत्तर

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