सामाजिक सरोकार : पत्रकारों के लिए शांति पत्रकारिता एक नया अनुकरणीय कॉन्सेप्ट, मन को शांति केंद्र बनाने की जरूरत
⚫ टाइम्स ऑफ इंडिया के एडिटर वरिष्ठ पत्रकार तुषार प्रभु ने कहा
⚫ वैश्विक सद्भाव के लिए शांति पत्रकारिता विषय पर सत्र आयोजित
⚫ शांति न केवल समाज में बल्कि मन में जरूरी : आचार्य
⚫ चिंतन करें शांति कैसे आएगी समाज में : बीके सूर्या भाई
⚫ उच्च विचारों को उत्पन्न करता है पत्रकारों का मन : बीके उर्मिला बहन
हरमुद्दा
आबू रोड (राजस्थान) 10 सितंबर। शांति पत्रकारिता हमारे लिए एक नया कॉन्सेप्ट है। मैं ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का ऋणी हूं कि यहां के ज्ञान और राजयोग मेडिटेशन से मुझमें बहुत सकारात्मक बदलाव आया है। इसका परिणाम है कि पिछले एक साल में मैंने एक बार ही गुस्सा किया है। राजयोग हमारी सोच को बदल देता है। सबसे पहले हमें अपने मन को शांति का केंद्र बनाना होगा। आज मैं एक पत्रकार के तौर पर बहुत खुश हूं। जब हम खुद प्रसन्न होंगे, खुश होंगे तभी पीस जर्नलिज्म के बारे में सोच सकते हैं।
यह बात टाइम्स ऑफ इंडिया के एडिटर वरिष्ठ पत्रकार तुषार प्रभु ने कही। पत्रकार प्रभु ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शांतिवन परिसर में चल रही राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थे। ” वैश्विक सद्भाव के लिए शांति पत्रकारिता” विषय पर दो सत्रों में चिंतन-मनन किया गया। वहीं सुबह के सत्र में पत्रकार ध्यान, साधना में रमे नजर आए।
शांति न केवल समाज में बल्कि मन में जरूरी
ब्रह्माकुमारीज़ का बहुत-बहुत साधुवाद जो शांति पत्रकारिता की बात कर रहा है। शांति का समाधान कैसे प्रस्तुत कर सकते हैं, हमें इस पर काम करना होगा। हमने दुनिया में युद्ध की पत्रकारिता की बात सुनी है लेकिन कभी शांति पत्रकारिता की बात नहीं सुनी है। पहले कहा जाता था कि तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब पैसा है तो अखबार निकालो, चैनल चलाओ। दुनिया में जो युद्ध चल रहे हैं। क्या किसी अखबार या चैनल ने यह प्रयास किया कि शांति कैसे स्थापित की जाए। शांति न केवल समाज में बल्कि मन में जरूरी है।
⚫ प्रो. कुंजन आचार्य, एचओडी, जर्नलिज्म डिपार्टमेंट, मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी, उदयपुर
चिंतन करें शांति कैसे आएगी समाज में
सभी पत्रकार भाई-बहनों से आहृान है कि आप सभी चिंतन करें कि समाज में न्यूज देने के साथ-साथ समस्याओं का समाधान भी पेश करें। समाज में शांति कैसे आएगी, इस पर स्टोरी करें। ऐसी स्टोरी करें कि लोगों के जीवन में आशा आ जाए, नई ऊर्जा आ जाए, जीवन में शांति और खुशी आ जाए। आप सभी अपनी कलम की ताकत से समाज को नई जागृति दे सकते हैं। समाज को जागृत कर सकते हैं। अंतर्मन की शक्ति का सफलता में कैसे उपयोग करें इस का मैंने हजारों लोगों पर प्रयोग किया है। लोगों का जीवन बदल गया है। जो डिप्रेशन में थे आज खुश हैं। हम सभी के मन में एक क्रिएटिव एनर्जी है। मनुष्य की जो क्षमताएं हैं उन्हें जगाना होगा, तभी समाज में शांति आएगी। पत्रकार समाज के निर्माता हैं।
⚫ राजयोगी बीके सूर्य भाई, वरिष्ठ राजयोग शिक्षक,
शांति पत्रकारिता समाज की जरूरत
वर्तमान दौर में शांति पत्रकारिता समाज की जरूरत है। हमें चिंतन करने की जरूरत है कि हम विकास की दौड़ में विनाश की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं। पत्रकारों को समस्या के साथ समाधान का दिशा दिखाने की जरूरत है। तभी समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।
⚫ प्रो. डॉ. सराह नसरीन, रीजनल डायरेक्टर, इग्नू, भागलपुर
ओम शांति के दो शब्द समस्याओं को समेटे
ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आज पूरी मानवता को मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। ओम शांति यह दो शब्द ब्रह्मांड की सारी समस्याओं को अपने अंदर समेटे हुए है। पत्रकारिता में शांति, संयम अनिवार्य है। मीडियाकर्मियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अपने समाज और देश को आगे लेकर जाएं।
⚫ ललिता सहरावत, मोटिवेशनल स्पीकर व लेखक, नई दिल्ली
समाज में शांति के लिए मन में शांति जरूरी
ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना स्वयं परमपिता शिव परमात्मा ने की है। परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा के मुख से जो ज्ञान दिया और जिन्होंने इस ज्ञान को अपने जीवन में धारण किया वह ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारियां कहलाए। समाज में शांति के लिए मन में शांति होना बहुत जरूरी है मन की शांति के लिए स्वयं द्वारा जतन होना चाहिए।
⚫ बीके बृजमोहन भाई, अतिरिक्त महासचिव, ब्रह्मा कुमारीज, शांतिवन केंपस, आबू रोड
उच्च विचारों को उत्पन्न करता है पत्रकारों का मन
जब तक मन में शांति के विचार उत्पन्न नहीं होंगे, तब तक समाज में शांति नहीं आ सकती है। एक पत्रकार का मन एक उर्वरा भूमि की तरह होता है। पत्रकार मन उच्च विचारों को उत्पन्न करता है, उन्हें प्रेषित करता है और समाज में उन्हें देता है तो समाज को दिशा मिलती है। आप जिस भी समाचार पत्र से जुड़े हों उसमें कुछ न कुछ विचार, आलेख, लेख शांति के विचारों से संबंधित जरूर शामिल करें। शांति आत्मा का मूलधर्म और गुण है। परमात्मा शांति के सागर हैं।
⚫ बीके उर्मिला बहन, संपादक, ज्ञानामृत पत्रिका
इन्होंने व्यक्त किए विचार
⚫ ओड़िशा बुद्ध से आए ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व एडवाइजर प्रो. चितरंजन मिश्रा ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ के इस ज्ञान और चिंतन को हम सभी को समझकर समाज को बताना होगा।
⚫ नेपाल सप्ततारी से आए फेडरेशन ऑफ नेपाल जर्नलिस्ट के अध्यक्ष श्रवण कुमार राव ने कहा कि शांति पत्रकारिता को भारत और नेपाल दोनों राष्ट्रों में पत्रकारों को शुरू करने की जरूरत है। शांति पत्रकारिता समय की जरूरत है।
⚫ उड़ीसा से आईं एससी-एसटी बोर्ड और स्टेट एडवाइजरी बोर्ड की सदस्य डॉ. मेनांती बिहेंद्रा ने कहा कि आज मीडिया सबसे पावरफुल टूल के रूप में समाज के सामने है। समय की मांग है कि पत्रकार संकल्प लें कि हम समाज में शांति लाने के लिए प्रयास करेंगे।