सामाजिक सरोकार : पुस्तकों से ही नहीं प्रकृति से भी समझा जा सकता है जीव विज्ञान
⚫ मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर जितेंद्र गुप्ता ने कहा
⚫जिले के जीवविज्ञान का प्रशिक्षण ले रहे शिक्षक शिक्षिकाओं के मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक भ्रमण
⚫भ्रमण से एनाटॉमी, माइक्रोबायलॉजी, पैथालॉजी आदि विषयों को आसानी से समझने का मिला अवसर
हरमुद्दा
रतलाम, 11 सितंबर। जीवविज्ञान को केवल पुस्तकों से नहीं प्रकृति के साथ साथ वातावरण में रहकर ही समझा जा सकता है।
यह बात रतलाम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता ने कही। जिले के जीवविज्ञान प्रशिक्षण ले रहे शिक्षक शिक्षिकाओं का मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक भ्रमण हुआ।
विद्यार्थियों की कमजोरी को समझ कर दूर करें वही बेहतर शिक्षक
कॉलेज के जलज चतुर्वेदी ने कहा कि जीवविज्ञान को प्रयोंगों के माध्यम से असानी से समझा जा सकता है। शिविर प्रबंधक अशोक लोढ़ा ने कहा कि एक शिक्षक अच्छा डॉक्टर माँ के समान होता हैं जो विद्यार्थियों की कमजोरी को समझ कर दूर करता है। जीवविज्ञान प्रशिक्षण की नोडल अधिकारी विनीता ओझा ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण निरीक्षण, परिक्षण तथा चिंतन तथा अन्वेषण कि प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देती है। इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर डॉ. हेमेंद्र वाला व जगदीश गोयल ने भी अपनी बात रखी।
80 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं ले रहे हैं प्रशिक्षण
उत्कृष्ट विद्यालय में चलने वाले प्रशिक्षण में 80 से अधिक विज्ञान शिक्षक भाग ले रहे है। शिक्षक कुसुम जैन, चेतना डांगे, महेंद्र प्रताप चंद्रावत,संगीता दीक्षित, प्रमोदिनी बोरासी, विभा राठौड़, रेखा पाटीदार ने बताया कि इस भ्रमण से एनाटॉमी, माइक्रोबायलॉजी, पैथालॉजी आदि विषयों को आसानी से समझने का अवसर मिला।