सामाजिक सरोकार : दिव्य दर्शन भवन के अनुभूति सभागृह में मनाया इंजीनियर डे, सभी ने जाना “कर्म और जीवन” के बीच संतुलन बनाने का सबक

प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय डोंगरे नगर केंद्र पर हुआ इंजीनियर डे का आयोजन

मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार ने कहा – प्राकृतिक संतुलन बनाकर करें सृजन

बीके अनीता दीदी ने कहा – शरीर और आत्मा के बीच संतुलन से संवरता है जीवन

केंद्र संचालिका सविता दीदी ने ध्यान कराते हुए कहा बाह्य जगत के साथ अंतर जगत की ओर भी झांके

आयोजन में किया गया इंजीनियर का सम्मान

हरमुद्दा
रतलाम, 15 सितंबर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय डोंगरे नगर केंद्र के दिव्य दर्शन भवन में “इंजीनियर डे” मनाया गया। “वर्क लाइफ बैलेंस” विषय पर परिचर्चा हुई। अनुभूति सभागार में हुए आयोजन में उपस्थित सभी ने सबक सिखा कि कर्म और जीवन के बीच में संतुलन कैसे बनाया जाए। योग और राजयोग से किस प्रकार से तनाव रहित जीवन जी सकते हैं। कार्यक्रम में मौजूद इंजीनियर का दुपट्टा पहनाकर सम्मान किया गया।

परिचर्चा में मौजूद इंजीनियर

आयोजन में मुख्य अतिथि मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार, रेलवे के वरिष्ठ कार्मिक अभियंता अंकित गुप्ता, केमिकल इंजीनियर सुरेंद्र पोरवाल, इंदौर केंद्र की बीके अनीता दीदी एवं रतलाम केंद्र संचालिका बीके सविता दीदी की मौजूदगी में मनाया गया।

दीप प्रज्वलितकर कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए अतिथि

इन सभी का किया गया सम्मान

केंद्र से जुड़े इंजीनियर नरेंद्र माहेश्वरी के संयोजन में हुए कार्यक्रम में मौजूद मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान सभागार में मौजूद सभी ने अपने मोबाइल की टॉर्च से रोशनी की। कार्यक्रम में मौजूद इंजीनियर अनिल तिवारी, रवि बोथरा, आदित्य पोरवाल, अंकित श्रीमाल, नवीन व्यास,  मोहित कुमार, प्रदीप सक्सेना, राहुल मुंजाल, विनोद अग्रवाल, शुभम बोरिया, खुशबू भाटी, पवन पाटीदार, पुष्पेंद्र, यश शर्मा, जितेंद्र सांखला, अजय कुमार कुमावत, शैलेंद्र अग्रवाल, विजय सोनी, अंकुर कोठारी, आशीष चोपड़ा सहित अन्य को दुपट्टा पहनाकर और फूल देकर सम्मानित किया गया।

अतिथियों को भेंट किए स्मृति चित्र

डीआरएम को स्मृति चिह्न देते हुए
श्री पोरवाल को स्मृति चिह्न देते हुए
श्री गुप्ता को स्मृति चिह्न देते हुए

परिचर्चा में इंजीनियर सुरेंद्र पोरवाल, अंकित गुप्ता, बीके आरती दीदी ने भी विचार व्यक्त किए। बीके अनीता दीदी एवं सविता दीदी ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। बीके सविता दीदी ने ध्यान करवाया। संचालन बीके साक्षी दीदी ने किया।

आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न रहने से आएगा कर्म और जीवन के बीच संतुलन

बीके अनीता दीदी संबोधित करते हुए

वर्तमान समय में विडंबना यही है कि मनुष्य कर्म के पीछे भाग रहा है, लेकिन उसका जीवन पीछे छूट गया है। कर्म करते-करते धन दौलत तो बहुत कमा लेता है लेकिन सेहत की ओर ध्यान नहीं देता है। फिर वही धन सेहत बनाने में खर्च करता है और जिंदगी जी नहीं पाता। कर्म और जीवन के बीच संतुलन बनाते हुए समय प्रबंधन के साथ जीवन को जीना है। अपने कार्य को अंजाम देना है। घर, परिवार, समाज को समय देना जरूरी है मगर अध्यात्म की ओर रुझान भी करना होगा। इससे ही जीवन में संतुलन आएगा।चिंतन मनन की ओर मन अग्रसर होगा। आपके कार्य को याद किया जाएगा। आपके द्वारा समाज में दिए गए सहयोग और योगदान को याद किया जाएगा। शरीर तो पांच तत्वों से बना है, जो एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा। मगर आत्मा एक चेतना है। एक ऊर्जा है। शरीर और आत्मा के बीच में संतुलन रखना चाहिए। और यह संतुलन आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न रहने से आएगा। योग से आएगा। राजयोग से आएगा। ऐसा करने से जीवन मूल्य और सिद्धांत को समझ पाएंगे। 24 घंटे में से कम से कम 1 घंटा स्वयं को जानने, पहचानने के लिए जरूर निकालें। जिंदगी के तनाव खत्म होंगे और तनाव रहित जीवन जी सकते हैं। प्रभु के कार्य को शांतिपूर्वक संपन्न कर सकते हैं।

बीके अनीता दीदी, केंद्र संचालिका, इंदौर

शांति की शक्ति से सँवर जाएगी जिंदगी

बीके सविता दीदी ध्यान करते हुए

हम सभी को परमपिता परमेश्वर ने धरती पर भेजा है। अपने-अपने कर्म करना है और जीवन को श्रेष्ठ बनाना है मगर दिक्कत यह है कि व्यक्ति केवल कर्म की ओर आकर्षित हो जाता है। जीवन की तरफ ध्यान नहीं दे पाता। सकारात्मक सोच नहीं पाता है। यह थोड़ा उसके लिए मुश्किल कार्य हो गया है क्योंकि वह केवल बाह्य यह जगत को ही देखता है। अंतर जगत को देखना भूल जाता है। कर्म और जिंदगी के बीच में संतुलन के लिए भीतर के मन में झांकना जरूरी है। स्वयं को जानना जरूरी है। कार्य को करने में कई बार मन गवाही नहीं देता है, इसलिए वह नहीं करते हैं। तो हमें अपने मन की सुनना है। सकारात्मक रूप से जीवन के प्रति चिंतन करें। मनन करें तो जीवन तनाव मुक्त रहेगा। अपने सभी दायित्व का निर्वाह आसानी से कर पाएंगे। तनाव रहित जीवन जीना चाहते हैं तो 7 दिन का राजयोग मेडिटेशन कीजिए और जीवन को सार्थक कीजिए। शांति की शक्ति से जिंदगी संवर जाएगी।

बीके सविता दीदी, केंद्र संचालिका, रतलाम

संतुलन के बिना सब कुछ व्यर्थ

मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार विचार व्यक्त करते हुए

परमपिता परमेश्वर ने आप सभी को इस धरा पर अपना कर्तव्य निर्वहन करने के लिए भेजा है। इसका मतलब यह नहीं कि केवल कर्म ही करें। कर्तव्य में ही जीवन और कर्म दोनों समाहित है। दोनों के बीच संतुलन रखना बेहद जरूरी है। जीवन के प्रति सकारात्मक सोच जरूरी है। प्राकृतिक संतुलन के साथ आपको सृजन करना है। विकास के साथ विनाश ना हो, यह भी ध्यान रखना है। याने की संतुलन जरूरी है। इसी तरह जीवन और कर्म में संतुलन आवश्यक है। कर्म ही करते रहेंगे तो जीवन कब जिएंगे। बिना संतुलन के जिंदगी व्यर्थ है। समय प्रबंधन भी जरूरी है। कितना समय किसे देना है, यह तय करना आप सभी का दायित्व है।

रजनीश कुमार, मंडल रेल प्रबंधक, रतलाम

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