पहली बार ऐसा : प्रो. अज़हर हाशमी को मिला अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार, साहित्य अकादमी घर आई सम्मान देने

मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने घर पहुंच कर किया सम्मानित

स्वास्थ्य संबंधी कारणों से भोपाल में हुए सम्मान समारोह में शामिल नहीं हो सके थे प्रो. हाशमी

हरमुद्दा
रतलाम, 6 अक्टूबर। रत्नपुरी की धरा को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। मप्र साहित्य अकादमी द्वारा रतलाम के प्रो. अज़हर हाशमी को अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने स्वयं प्रो. हाशमी के इंदिरानगर स्थत निवास पहुंच कर शॉल-श्रीफल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। ऐसा पहली बार हुआ है जब साहित्य अकादमी ने घर जाकर सम्मान किया है। यह उपलब्धि भी रतलाम के खाते में दर्ज हुई। रतलाम के इतिहास में प्रो. हाशमी एकमात्र ऐसे रचनाधर्मी हैं जिन्हें अखिल भारतीय स्तर का 1 लाख रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

मप्र शासन की मप्र संस्कृति परिषद के तहत संचालित मप्र साहित्य अकादमी द्वारा दिसंबर 2022 में साहित्य पुरस्कारों की घोषणा की गई थी।

इसमें 2021 के लिए प्रो. अज़हर हाशमी का चयन उनकी कृति ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ (संस्मरण) के लिए अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार के लिए किया गया था। पुरस्कार वितरण समारोह 25 जुलाई 2023 को भोपाल में हुआ।

यह थे उस समय मुख्य अतिथि

मुख्य अतिथि अभिनेता, रंगकर्मी और साहित्यकार आशुतोष राणा, मप्र शासन की धर्म एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर सहित अन्य रहे। अस्वस्थता के कारण प्रो. हाशमी समारोह में शामिल नहीं हो सके थे। इसके चलते मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. दवे शुक्रवार को रतलाम में प्रो. हाशमी के निवास पहुंचे और उन्हें पुरस्कार प्रदान किया। इस मौके पर बीमा क्षेत्र के वरिष्ठ प्रबंधक एवं आध्यात्मिक चिंतक आनंद जांगलवा भी उपस्थित रहे।

सम्मान के लिए तो सिर्फ एक लौंग-इलायची भी होती काफी

प्रोफेसर अजहर हाशमी

सम्मान के लिए तो सिर्फ एक लौंग-इलायची भी काफी होती है। परंतु अकादमी के निदेशक डॉ. दवे द्वारा इस सम्मान का निर्णय अपने मन, आत्मा और ज्यूरी के माध्यम से पूरी निष्पक्षता के साथ किया गया। इनके इस कर्तव्य पालन के लिए मैं आभारी व्यक्त करता हूं। प्रो. हाशमी ने कहा कि शब्द के साधक तो बहुत होते हैं, मैं सिर्फ मामूली सा सिपाही हूं। इस सिपाही का साहित्य के सेनापति ने विकास दवे के रूप में सम्मान किया, इसके लिए भी मैं आभारी व्यक्त करता हूं। हाशमी ने कविता के माध्यम से सम्मान को अविष्मरणीय बताते हुए एक लाख रुपए के पुरस्कार एवं नेह-स्नेह के प्रतिदान रूपी प्रशस्ति-पत्र और शॉल-श्री के लिए आभार ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि- ‘नेह का दान दिया है मुझको, स्नेह प्रतिदान दिया है मुझको, मैं इसे भूल नहीं पाऊंगा, ये जो सम्मान दिया है मुझको।‘

प्रोफेसर अजहर हाशमी, चिंतक, साहित्यकार, लेखक

प्रो. हाशमी जैसा कलमकार ही इस सम्मान को लेने का अधिकारी

डॉ. विकास दवे

साहित्य अकादमी का स्व. निर्मल वर्मा के नाम पर जो सम्मान मिलता है, वह अत्यंत प्रतिष्ठा पूर्ण सम्मान है। प्रो. हाशमी जैसा ही कोई कलमकार इस सम्मान को लेने का अधिकारी है। उनकी कृति पर आधारित यह सम्मान है। साहित्य अकादमी के लिए यह दुर्भाग्य की बात रही कि एक अच्छे समारोह में जिसमें आशुतोष राणा, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर सहित अन्य उपस्थित थे, उसमें स्वास्थ्य के कारण प्रो. हाशमी शामिल नहीं हो सके। हम चाहते थे कि वे उस समारोह में भोपाल आकर सम्मान ग्रहण करें। मुझे लगा कि अकादमी को स्वयं घर पहुंच कर हाशमी जी का सम्मान करना चाहिए, इसी निमित्त आज यहां आया। यह अकादमी, निदेशक और मेरे जीवन का सबसे सौभाग्यशाली क्षण है कि मैं प्रो. हाशमी के सम्मान को यहां तक ला पाया हूं। मैं निश्चित तौर पर एक पोस्टमैन की भूमिका में हूं, इस भूमिका को कितना निभा पाया पता नहीं। यह तय है कि मैं हाशमी जी की लेखनी को प्रणाम करने का यह अवसर चूकना नहीं चाहता था।

डॉ. विकास दवे, निदेशक, साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश

‘रामवाला हिंदुस्तान चाहिए’ कविता हुई लोकप्रिय, ‘बेटियां’ व ‘मां’ हुई सम्मानित

बता दें कि, 13 जनवरी 1950 को राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़ावा में जन्मे अज़हर हाशमी संत परंपरा के वाहक एवं भारतीय संस्कृति के अध्येता, ओजस्वी वक्ता, प्रखर लेखक, साहित्यकार एवं प्रवचनकार हैं। राष्ट्रीय स्तर की व्याख्यानमालाओं में व्याख्यान देने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर के कवि भी हैं। हाशमी की कविताएं दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से प्रसारित होती रही हैं। ‘राम वाला हिन्दुस्तान चाहिए’ कविता बहुत लोकप्रिय हुई। आपकी कविता ‘बेटियां पावन दुआएं’ के साथ म.प्र. शासन ने 5 अक्टूबर 2011 को ‘बेटी बचाओ अभियान’ की शुरुआत की थी। ‘मां’ कविता के लिए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल तथा भारत के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू द्वारा ‘विशिष्ट काव्य पुरस्कार’ से सम्मानित हो चुके प्रो. हाशमी को 12 अगस्त 2011 को म.प्र. के राज्यपाल द्वारा भी सम्मानित किया गया था। भारत-श्री (1991) छत्तीसगढ़, अहिन्दी सेवी सम्मान (1996) म.प्र. एवं सुभाष सम्मान से सम्मानित। म.प्र. बोर्ड की कक्षा 10वीं की हिन्दी की पाठ्यपुस्तक (नवनीत) में सम्मिलित ‘बेटियां पावन दुआएं’ प्रदेश के हजारों विद्यार्थी हर साल पढ़ते हैं।

एकमात्र ऐसे व्यक्ति जिन पर जीवित रहते 3 पीएचडी हुईं

प्रो. हाशमी की अब तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें ‘अपना ही गणतंत्र है बंधु’, ‘सृजन के सह-यात्री’, ‘मैं भी खाऊँ, तू भी खा’, ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’, ‘मामला पानी का’ और ‘मुक्तक शतक’ प्रमुख हैं। राजस्थान पत्रिका एवं पत्रिका समाचार पत्र के नियमित लेखक और ‘नवभारत’ अखबार के स्तम्भकार। 1980 में 4 सप्ताह की संयुक्त राज्य अमेरिका (यू.एस.ए.) की यात्रा हेतु रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 305 के द्वारा ग्रुप स्टडी एक्सचेंज के अन्तर्गत चयनित हुए थे। प्रो. हाशमी एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनके जीवित रहते तीन पीएचडी हो चुकी हैं। प्रो. हाशमी के गीतों पर मंजु शुक्ला ने 2006 में वि. वि. उज्जैन से डॉ. हरिमोहन बुधौलिया के मार्गदर्शन में पीएचडी की। उनके व्यंग्य पर मंशाराम बघेल ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से पंजुला जोशी ने और हिंदी ग़ज़ल पर पूनम यादव ने बुंदेलखंड वि. वि. झांसी से डॉ. डी. पी. सिंह के मार्गदर्शन में पीएचडी की।

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