धर्म संस्कृति : राष्ट्रीय जाप दिवस से हुई गुरु सप्ताह महोत्सव की शुरुआत

खूबी तराशो और खामी तलाशो : आचार्य प्रवर

आचार्यश्री विजयराजजी मसा के जन्मोत्सव का प्रसंग

हरमुद्दा
रतलाम, 12 अक्टूबर। श्री हुक्म गच्छीय साधुमार्गी शांत-क्रांति जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में गुरुवार से गुरु सप्ताह महोत्सव प्रारंभ हुआ। इसमें प्रथम दिन राष्ट्रीय जाप दिवस मनाया गया। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा के 65 वे जन्म दिवस के साथ साधुश्रेष्ठ श्री पारस मुनिजी मसा तथा मुनिश्रेष्ठ श्री प्रेममुनि जी मसा के 58 वे दीक्षा महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित इस महोत्सव में प्रतिदिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।


श्री संघ अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं मंत्री दिलीप मूणत ने बताया कि पहले दिन जाप दिवस के पर असंख्य श्रावक-श्राविकाओं ने पचरंगी जाप, 3 वंदना अरिहंत भगवान को, 5 नवकार मंत्र एवं 1 लोगस्स आदि का जाप किया। 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय आराधना दिवस मनेगा।  14 को राष्ट्रीय दया व संवर दिवस, 15 को राष्ट्रीय अनुकम्पा दिवस, 16 को राष्ट्रीय स्वाध्याय दिवस एवं 17 अक्टूबर को प्रेरणा की पहल का आयोजन होगा। 18 अक्टूबर को आचार्यश्री के जन्म दिवस पर सामायिक एवं एकाशना दिवस के रूप में समापन होगा। अभा साधुमार्गी शांतक्रांति जैन युवा संघ ने समाजजनों से अधिक से अधिक सहभागिता करने का आव्हान किया है।

खूबी तराशो और खामी तलाशो : आचार्य प्रवर

छोटू भाई की बगीची में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने खूबी तराशने और खामी तलाशने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि खूबी और खामी हर इंसान में होती है। तराशने वाले को खूबी एवं तलाशने वाले को खामी नजर आती है। इसलिए हमे सदैव खूबी तराशना चाहिए, खामियां तलाशना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि तराशने का कार्य अभिप्राय का बोध कराता है। अभिप्राय हमारे अंतकरण में पैदा होेते है। अंतरमन हर व्यक्ति के पास है। बुद्धि से अभिप्राय समझेंगे, तो सारी चिंताओं का समाधान हो जाएगा।

आत्म कल्याण की दी प्रेरणा

आचार्यश्री ने कहा कि संसार में कई झंझटें अभिप्राय नहीं समझ पाने के कारण होती है। इसलिए यदि खूबियों को तराशने का कार्य करेंगे, तो अभिप्राय समझ आएगा और कोई भी झंझट नहीं होगी। प्रारंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने आचारंग सूत्र के माध्यम से तप, त्याग कर आत्म कल्याण करने की प्रेरणा दी। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।

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