झटका लगने का दौर शुरू : अब लगने वाला है प्रत्याशियों की उम्मीदवारी पर ग्रहण, पार्टी वाले विधायकी जमा करवाने के मूड में

शिकायतों के समाधान करने का सिलसिला शुरू

निर्वाचन आयोग ने कार्रवाई से किया श्री गणेश

निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता लगने के बाद कलेक्टर और एसपी से छीन लिए जिले

हरमुद्दा
गुरुवार 12 अक्टूबर। विधानसभा निर्वाचन 2023 की घोषणा होते ही अब शिकायतों के समाधान का दौर शुरू हो गया है। शुरुआत में जहां निर्वाचन आयोग ने कलेक्टर और एसपी से उनके जिले छीन लिए हैं। अब पार्टी वाले प्रत्याशियों की उम्मीदवारी पर ग्रहण लगाने वाले है। पार्टी वाले शिकायतों के समाधान करने के साथ ही विधायकों की विधायकी हड़पने के मूड में है।

आखिरकार बुधवार को शिकायत के समाधान का श्री गणेश निर्वाचन आयोग ने कर दिया। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेस के आदेश में रतलाम कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी और खरगोन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा से उनके जिले छीन लिए हैं और उन्हें मंत्रालय में उपसचिव की कुर्सी थमा दी है। इसके साथ ही जबलपुर के पुलिस अधीक्षक तुषार कांत विद्यार्थी और भिंड के पुलिस अधीक्षक मनीष खत्री को सहायक, पुलिस महानिरीक्षक पुलिस कार्यालय भोपाल में जमा कर दिया है। इन चारों अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें मिली थी। जिसका समाधान करते हुए यह निर्णय लिया गया है।

तीन नाम की पैनल भेजने के निर्देश

दोनों जिलों के कलेक्टर और जबलपुर और भिंड में नए पुलिस अधीक्षक की पदस्थापना के लिए अब तीन-तीन नामों का प्रस्ताव निर्वाचन आयोग को भेजे जाएंगे। उसमें से नाम तय होने पर पदस्थापना की जाएगा।

अब पार्टी वाले उम्मीद पर लगाएंगे ग्रहण

चुनाव की सुगबुगाहट होते ही क्षेत्र में निष्क्रिय जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए थे, जिनकी शिकायत भी पार्टी स्तर पर की गई है। अब उन शिकायतों के समाधान का भी वक्त आ गया है। जिन लोगों के नाम अब तक पार्टी की घोषित उम्मीदवारों की सूची में नहीं आया है। उनकी सांसे ऊपर नीचे हो रही है। लाख खर्च करने के बावजूद भी उनकी उम्मीदें सफल नहीं होगी, ऐसा आमजन भी मान रहे, लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है। इसीलिए वह येन केन प्रकारेण लगे हुए हैं। ताकि उन्हें फिर से विधायक बनने का मौका मिल जाए, कुर्सी को पकड़े रहने के मूड में है, लेकिन ऐसा नजर आ नहीं रहा है। पार्टी वाले भी शिकायत का समाधान करेंगे। पार्टी वाले मतदाताओं के मंतव्य को तवज्जो देंगे या फिर गांधी दर्शन के बाद प्रत्याशी मैदान में उतार देंगे, यह तो सूची ही बताएगी। फिर भी माना तो यही जा रहा है कि आमजन की भावनाओं के मद्देनजर अन्य को मौका देने के मूड में है। इसके चलते प्रत्याशियों की उम्मीदवारी पर जहां ग्रहण लगेगा, वहीं मौजूद विधायकों की विधायकी भी चली जाएगी, यह तय माना जा रहा है।

वंशवाद की राजनीति को मिलेगा बढ़ावा या लगेगी लगाम

चुनावी दौर में मतदाता और आम जनता यह भी नजर रखे हुए हैं कि इस बार भी वंशवाद की राजनीति को पार्टी वाले बस दस्तूर बढ़ावा देंगे या फिर इस पर लगाम लगाई जाएगी क्योंकि यह क्रम लोगों को गले नहीं उतर रहा है। इसके चलते पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हैं, उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा है। ऐसे उम्मीदवारों का यही मानना है कि हर बार नए-नए को अवसर देना चाहिए, ताकि वह भी अपना संकल्प और प्रकल्प जनता के बीच साबित कर सकें। पार्टी वाले उन लोगों के भी पर कतरने के मूड में है, जो तेज उड़ रहे हैं। उनकी उड़ान को थामने के लिए कठोर निर्णय लिए जाएंगे।

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