साहित्य सरोकार : गीत – ये पूनम का चाॅंद
⚫ इतराता, बल खाता आए, ये पूनम का चांद,
कितनी यादों को संग लाए ,ये पूनम का चांद।⚫
⚫ आशीष दशोत्तर
इतराता, बल खाता आए, ये पूनम का चांद,
कितनी यादों को संग लाए ,ये पूनम का चांद।
उजला-उजला रूप है इसका ,निखरा -निखरा रंग ,
देख के इसको खूब निखारे,गोरी अपने अंग ।
शरमाता,भरमाता आए, ये पूनम का चांद ।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
काली-काली रात निखर कर गोरीगट्ट हुई,
चाॅंद को लेकर सब लोगों में ,लट्ठम- लट्ठ हुई,
उलझाता, सुलझाता आए ये पूनम का चांद।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
दादुर -झिंगुर मौन हुए हैं ,जुगनू है ख़ामोश,
फूल,कली,तितली, भंवरों ने खोये अपने होश,
सबके मन में आग लगाए ये पूनम का चांद ।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
देख कलाएं सोलह इसकी, हम सब हैं अभिभूत,
माना है ‘आशीष’ इसे ही श्यामसखा का दूत,
अमृत रस को जब छलकाए ये पूनम का चांद।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद ।
⚫ आशीष दशोत्तर, रतलाम मो. 9827084966