साहित्य सरोकार : गीत – उजियार करें
⚫ आशीष दशोत्तर
जगमग – जगमग दीपों को
स्वीकार करें,
अंधियारे का आओ, हम
प्रतिकार करें।
द्वार -द्वार पर बांधे बंदनवार यहां,
उजियारे का चलो करें सत्कार यहां।
घर-आंगन में खुशियों का
संचार करें।
अंधियारे का आओ, हम
प्रतिकार करें।
काली-काली रात न जीवन में आए,
ऐसी कोई बात न जीवन में आए।
अंधकार में आओ हम
उजियार करें।
अंधियारे का आओ, हम
प्रतिकार करें।
द्वार-द्वार पे खुशियां चलकर आई हैं,
साथ में ये कितनी सौग़ातें लाई हैं।
अपने रिश्ते-नातों का
विस्तार करें।
अंधियारे का आओ, हम
प्रतिकार करें।
⚫ आशीष दशोत्तर
9827084966