धर्म संस्कृति : अच्छा किया है तो अच्छा मिलेगा और बड़ा करेंगे तो बुरा मिलेगा

आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा

छोटू भाई की बगीची में प्रवचन

हरमुद्दा
रतलाम,16 नवंबर। प्रकृति में देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं होती। प्रकृति ने हमेशा न्याय ही किया, उसने कभी अन्याय नहीं किया। मिश्री खाने वाले का मुंह यदि मीठा होता है, तो मिर्ची खाने वाले का मुंह चर्खा ही रहता है। अर्थात हमने अच्छा किया, तो अच्छा मिलेगा और बुरा करेंगे, तो बुरा ही मिलने वाला है। हर कार्य को करते समय शुरुवात में विवेक, मध्य में सजगता और बाद में धैर्य रखना चाहिए।


यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में अच्छा परिणाम मिले, तो दीनता और बुरा परिणाम मिले, तो हीनता का भाव नहीं रखना चाहिए। अच्छे और बुरे दोनो को स्वीकार करना चाहिए। इससे जीवन में सुख,शांति बनी रहेगी, अन्यथा उथल-पुथल मची रहेगी।


आचार्यश्री ने कहा कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसमें दिव्य शक्तियां जागृत हो। इसके लिए कार्य आरंभ करते समय विवेक रखना जरूरी है, क्योंकि विवेक गलत नहीं करने देगा। गलत करने वाले को वह बहुत बडी चेतावनी देता है। कार्य के मध्य में सतर्क और सजग रहना चाहिए, क्योंकि इससे गलती नहीं होती और कार्य के बाद धेर्य रखना चाहिए। विवेक, सजगता और धेर्य के साथ जो कार्य किए जाते है, वे ही दिव्य शक्ति जागृत करने वाले बनते है।

सरलता के बिना जीवन सार्थक नहीं

आचार्यश्री ने कहा कि कार्य पूरा होने के बाद धेर्य रखने वाले की मति, गति और स्थिति सरल बनती है। सरलता के बिना जीवन सार्थक नहीं होता। सिंहनी का दूध जैसे सोने के पात्र में ठहरता है, वैसे ही धर्म भी सरल हदय में ही ठहरता है। इसलिए हर कार्य विवेक, सजगता से कर  धेर्य रखो। इससे मति, गति और स्थिति सरल बनेगी और जीवन धर्ममय बना रहेगा।

मनुष्य जीवन प्रभु की अनुपम सौगात

उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने मनुष्य भव को ईश्वर की अनुपम सौगात बताया और कहा कि तप, त्याग आदि कर इस जीवन को सफल बनाए। इस मौके पर महासती श्री चिंतनप्रज्ञाजी मसा ने 5 उपवास और बैंगलुरू से आई शारदाबाई कोचर ने 7 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। प्रवचन में बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।

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