धर्म संस्कृति : संसारियों के जीवन का लक्ष्य सेवा और साधकों का लक्ष्य हो साधना
⚫ आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ छोटू भाई की बगीची में प्रवचन
⚫ 28 को होगा चातुर्मास परिवर्तन
⚫ 43वीं दीक्षा जयंती पर प्रभावना का वितरण
हरमुद्दा
रतलाम,24 नवंबर। स्वर्ग के देवता तीन चाह रखते है। एक मनुष्य जन्म मिले, उत्तम कुल में जन्मे और आर्य क्षेत्र प्राप्त हो। संयोग से जो स्वर्ग के देवताओं की चाह होती है,वह सहज रूप में सब मिला है। इसलिए जीवन को व्यर्थ नहीं जाने दे। केवल खाना-कमाना ही जीवन नहीं होता। जीवन का लक्ष्य सेवा है। संसारियों के लिए सेवा और साधकों के लिए साधना जीवन का लक्ष्य होता है। इसे पूरा करने वाले को सिद्धी मिलती है।
यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि तन से, मन से और धन से सबसे केवल सेवा का लक्ष्य ही रखना चाहिए। संसारियों के लिए सेवा से बडा सिद्धी का कोई माध्यम नहीं है। इसी प्रकार साधकों के लिए साधना सिद्धी का मार्ग है। मनुष्य भव में सबकों आत्म अवलोकन करना चाहिए कि उन्होंने सेवा अथवा साधना के क्षेत्र में कितना कार्य किया है।
सेवा करने वालों की होती है सेवा
आचार्यश्री ने कहा कि सेवा से विमुख रहने वाले कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। जबकि सेवा के करीब रहने वालों को सिद्धी मिलती है। साधकों का लक्ष्य भी साधना करते हुए शासन की प्रभावना करने का होना चाहिए। मनुष्य भव, उत्तम कुल और आर्य क्षेत्र का मिलना सौभाग्य का विषय है। आर्य क्षेत्र वह होता है, जहां पाप करने से लोग डरते है। ऐसे क्षेत्र में सेवा और साधना को लक्ष्य रखना आत्म कल्याण करने वाला बनता है। संसार में ये कभी नहीं भूले कि सेवा करने वालों की ही सेवा होती है।
43वीं दीक्षा जयंती पर प्रभावना का वितरण
आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा ने संबोधित किया। उन्होंने आचारंग सूत्र के माध्यम से जीवन को सार्थक करने की प्रेरणा दी। महासती श्री इन्दुप्रभाजी मसा ने भी भाव व्यक्त किए। उनकी 43 वीं दीक्षा जयंती पर प्रभावना का वितरण हुआ। महिला मंडल ने स्तवन प्रस्तुत किया। प्रवचन के दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे। संचालन हर्षित कांठेड द्वारा किया गया ।
28 को होगा चातुर्मास परिवर्तन
परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा की निश्रा में 28 नवंबर को अभ्युदय चातुर्मास पूर्ण हो जाएगा। इस दिन सुबह आचार्यश्री एवं संत-साध्वी मंडल विहार करेंगे। आचार्यश्री सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन से विहार कर न्यूरोड पहुंचेंगे। न्यूरोड पर ब्राहम्ण बोर्डिंग में प्रवचन हांेगे।