धर्म संस्कृति : अभ्युदय चातुर्मास पूर्ण कर आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने किया विहार
⚫ नवकार भवन जय-जयकार कर बिदाई
⚫ प्रवचन में किया कल कर लूंगा के भ्रम से निकलने का आह्वान
हरमुद्दा
रतलाम, 28 नवंबर। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा का अभ्युदय चातुर्मास मंगलवार को पूर्ण हो गया। उन्होने साधु एवं साध्वी वृंद के साथ सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन से विहार किया। विहार जुलुस नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए न्यूरोड स्थित ब्राह्मण बोर्डिंग पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गया।
आचार्यश्री ने विहार से पूर्व नवकार भवन में भक्तों को महामांगलिक श्रवण कराई। इससे पूर्व नवकार महामंत्र का जाप किया गया। इसके बाद भक्तों ने भारी मन से आचार्यश्री सहित साधु-साध्वी वृंद को बिदाई दी। इस दौरान आचार्यश्री से पुन आने की विनती भी की गई। विहार यात्रा सिलावटों का वास से प्रारंभ होकर लक्कड पीठा, चांदनी चैक, बजाज खाना, गणेश देवरी, धानमंडी, शहर सराय, लोकेन्द्र टाकीज होते हुए न्यूरोड स्थित ब्राहम्ण बोर्डिंग पहुंची।
आनंद की कुंजी है संयम
ब्राह्मण बोर्डिंग में आचार्यश्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि संसार समस्याओं का घर है और संयम आनंद की कुंजी है। संयम का पालन हर स्तर पर जरूरी है। इसके लिए कल का इंतजार नहीं करना चाहिए। वर्तमान में अधिकांश लोगा कल कर लूंगा की मानसिकता में जीते है, जबकि ये बहुत बडा भ्रम है। जीवन में कल कभी आता ही नहीं है। कल आज बनकर ही आएगा, इसलिए आज का जीवन जीना चाहिए। अच्छे काम के लिए कभी कल का इंतजार नहीं करे। उसे आज ही करने का संकल्प ले, क्योंकि संकल्प में बहुत शक्ति होती है। मनुष्य के जीवन में जब भी संकल्प जाग जाता है, तो उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। आचार्यश्री से पूर्व उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने संबोधित किया। श्वेता पटवा एवं प्रांजल पटवा ने भाव व्यक्त किए। संचालन हर्षित कांठेड ने किया।