मुद्दे की बात, होता है ऐसा भी : करवा चौथ की ही तरह होता है पत्नी की लंबी उम्र की कामना में अशून्य शयन द्वितीय का उत्सव

पति-पत्नी के रिश्ते को बेहतर बनाता है यह व्रत

28 नवंबर को होगा यह उत्सव

कई पुरुष करते हैं करवा चौथ को व्रत

प्रचार प्रसार के अभाव में करवा चौथ की तरह प्रसिद्धि नहीं पा सका यह व्रत, मार्केटिंग जगत भी है अनभिज्ञ

लगता है महिलाओं को ही इसकी जानकारी नहीं वरना पतियों से अवश्य यह व्रत करवाती

⚫ हेमंत भट्ट
रतलाम 28 नवंबर। अब तक तो प्रसिद्धि केवल करवा चौथ के व्रत की ही पाई है जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना में पत्नी व्रत करती है, मगर धर्म शास्त्रों में पत्नी की लंबी उम्र की कामना के लिए भी अशून्य शयन व्रत उत्सव का विधान है। यह बात दीगर है कि इसका प्रचार प्रसार नहीं हो पाया और पुरुष करवा चौथ के दिन ही पत्नी की भी लंबी उम्र की कामना में व्रत कर लेते हैं। फिल्मों में भी ऐसा दिखाया गया है लगता है फिल्म निर्माता निर्देशक कहानीकारों को भी इस उत्सव विधान के बारे में जानकारी नहीं है। अगहन कृष्ण पक्ष की द्वितीया को यह उत्सव किया जाता है जो की 28 नवंबर को है।

धर्म शास्त्रों की पूरी जानकारी नहीं होने या फिर प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण अशून्य शयन व्रत उत्सव पुरुषों में प्रसिद्ध नहीं पा सका। यूं भी कहा जा सकता है कि महिलाओं को भी इसकी जानकारी नहीं थी, इसलिए वह पुरुषों से यह व्रत नहीं करवा सकी अन्यथा यह व्रत भी करवा चौथ की तरह प्रसिद्ध होता। इतना ही नहीं मार्केटिंग जगत को भी इसका पता नहीं है वरना वे अपने व्यापार व्यवसाय में बढ़ावे के लिए इस व्रत उत्सव का भी जोर-शोर से प्रसार करते और खरीदारी पर जोर देते करवा चौथ की तरह। पहले श्राद्ध पक्ष में खरीदारी नहीं करते थे लेकिन मार्केटिंग जगत ने इस पक्ष में भी खरीदारी को शुभ और पितरों का आशीर्वाद बता दिया।

सुखी दांपत्य जीवन के लिए है यह व्रत उत्सव

ज्योर्तिविद पंडित दुर्गाशंकर ओझा

ज्योर्तिविद पंडित दुर्गाशंकर ओझा ने बताया कि यह व्रत सौभाग्य को प्रदान करता है। अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए तथा उसके साथ सुख पूर्ण जीवन के लिए इस व्रत को किया जाता है। दाम्पत्य जीवन के सुख के लिए इस व्रत की महिमा बहुत ही विशेष रही है। यह व्रत चातुर्मास के चार महीनों के दौरान प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को करने से पति-पत्नी का साथ जीवनभर बना रहता है और रिश्ता मजबूत होता है। प्रेम और दांपत्य जीवन के सुख का विशेष लाभ प्रदान करता है। जो 4 महीने व्रत नहीं कर सकते हैं, वह चातुर्मास पूर्ण होने के बाद आने वाली द्वितीय को भी इसको करके पूर्ण कर सकते हैं।द्वितीया तिथि 28 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर लग जाएगी और बुधवार की दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। यानि द्वितीया तिथि में चंद्रोदय मंगलवार को ही होगा। मंगलवार की शाम चंद्रोदय 7 बजकर 9 मिनट पर होगा। इस लिए अशून्य शयन व्रत मंगलवार ही किया जाएगा।

ऐसे होता है अशून्य शयन व्रत पूजन

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अशून्य शयन व्रत द्वितीया तिथि को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया जाता है। इस व्रत में लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु जी की पूजा करने का विधान है। अशून्य शयन व्रत में शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अक्षत, दही और फल से अर्घ्य दिया जाता है और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। फिर अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, उन्हें कुछ उपहार तथा दक्षिणा देकर इस व्रत को पूर्ण किया जाता है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और मधुरता बनी रहती है।

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