72 घण्टों में कभी भी रुक सकती है देशभर की रेल गाड़ियां, मामला चालक संघ की सात मांगों का

दिल्ली/रतलाम, 15 जुलाई। देशभर की रेल गाड़ियां 72 घण्टों में कभी भी रुक सकती है। मामला चालक संघ की मांगों तथा रेलवे के निजीकरण का है। रेलवे बोर्ड ने यदि चालक संघ की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो 38 साल बाद एक बार फिर रेल गाड़ियां खड़ी हो जाएगी। वहीं रेलवे बोर्ड ने सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कर्मचारियों से कहा है कि किसी भी हड़ताल में शामिल न हों।ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने पिछले महीने मांगों को लेकर रेलवे बोर्ड को नोटिस दिया था।एसोसिएशन ने मांगें नहीं मानने पर 15 जुलाई को 24 घंटे की भूख हड़ताल और 16-17 जुलाई तक ट्रेन का चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी।

यह हैं चालक संघ की मांगें
चालक संघ की प्रमुख मांगों में प्रमुख रूप से 1980 फॉर्मूले के आधार पर रनिंग अलाउंस भत्ता, सेफ्टी कमेटी की सिफारिशों को लागू करना, काम के घंटे तय करना और रेलवे बोर्ड द्वारा 100 दिनों के एजेंडे के तहत उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण, यात्री ट्रेनों को निजी ट्रेन ऑपरेटरों को सौंपने के विरोध सहित कुल सात मांगें हैं।

38 साल पहले 13 दिन थमे थे चक्के
रेलवे में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन काफी ताकतवर माना जाता है। एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर 1973 में एक अगस्त से 15 अगस्त के बीच (13) दिन एक भी ट्रेन नहीं चलने दी थी। इससे पूरे देश में ट्रेन परिचालन पूरी तरह पटरी से उतर गया था। बाद में सरकार के हस्तक्षेप के बाद यह हड़ताल समाप्त हुई थी। इसके बाद एसोसिएशन ने 1980 में दो बार और 1981 में एक बार फिर ट्रेन का चक्का जाम किया था। रेलवे बोर्ड ने तब सख्त कार्रवाई करते हुए लगभग 2200 कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट से केस जीतने के बाद 1994 में सभी कर्मचारी नौकरी पा गए थे।

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