धर्म संस्कृति : प्रार्थना अभीप्सा का सर्वोत्तम उपकरण
⚫ श्रीअरविन्द सोसायटी, सूरत से आए मुख्य वक्ता कैवल्य स्मार्त ने कहा
⚫ ओरो आश्रम में आयोजित पांच दिवसीय शिविर
⚫ विभिन्न राज्य से आए हैं साधक
यशपाल तवंर
रतलाम, 8 दिसंबर। हम जो भी प्रार्थना,स्तुति या स्तवन करते हैं वे अभीप्सा का सर्वोत्तम उपकरण है। प्रार्थना से मन अपने आप शान्त हो जाता है। प्रार्थना हमें तत्काल प्रभु से जोड़ती है। हम जैसे हैं उससे बेहतर बनने का प्रयास हमें करना चाहिए। जब आत्मसाक्षात्कार की अवस्था आती है तो पता चलता है कि जो मुझमें है वो सबमें है। सिद्ध योगी को तीव्र आनन्द की अनुभूति होती है।
यह विचार श्रीअरविन्द सोसायटी, सूरत से पधारे मुख्य वक्ता श्री कैवल्य स्मार्त ने व्यक्त किए। वे श्रीअरविन्द मार्ग स्थित ओरो आश्रम में आयोजित पांच दिवसीय शिविर में शिविरार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
चेतना सुनियोजित करें
रतलाम सहित विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कैवल्य भाई ने कहा कि हमारी चेतना भटकती रहती है। अतः उसे सुनियोजित कर एक बिंदु पर केन्द्रित करना प्रथम आवश्यकता है। हमें भीतर उतरना सीखना होगा। भीतर जाने से ही दिव्य की प्राप्ति होगी। प्रारम्भ में सभी ने सामूहिक मातृ स्तुति की।