साहित्य सरोकार : चुप्पियों के बीच कविता का मुखर स्वर होना ज़रूरी
⚫ प्रो. रतन चौहान ने कहा
⚫ जनवादी लेखक संघ नीमच ने किया कविता समागम
⚫ समागम में भोपाल, इन्दौर, रतलाम और नीमच कवियों और साहित्यकारों ने की शिरकत
हरमुद्दा
नीमच, 25 दिसंबर। काव्य ही जीवन के सौंदर्य का सार है। सृजन की आत्मा है। जीवन की सच्चाईयों का प्रकाश हैं और इसी प्रकाश को सब तरफ फैलाने का सार्थक प्रयास जनवादी लेखक संघ नीमच के बैनर तले किया गया है । यह प्रयास आज के समय की चिताओं को व्यक्त करता है। एक रचनाकार का दायित्व है कि वह समय से सवाल करे और अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के समक्ष खड़े हो रहे सवालों को जनमानस के बीच में ले जाए । इस दृष्टि से कविता का यह समागम बहुत महत्वपूर्ण है।
यह विचार रतलाम के वरिष्ठ कवि,अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने जनवादी लेखक संघ नीमच द्वारा आयोजित “चुप्पियों के बीच कविता के स्वर” आयोजन में व्यक्त किए। समकालीन संदर्भों और चिंताओं को रेखांकित करती एवं आज के समय से सवाल करती कविताओं के इस समागम में भोपाल, इन्दौर ,रतलाम और नीमच कवियों और साहित्यकारों ने शिरकत कर कार्यक्रम को सफल और सार्थक बनाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रतलाम के वरिष्ठ कवि , आलोचक तथा अनुवादक प्रो.रतन चौहान ने अपनी महत्वपूर्ण कविताएं भी प्रस्तुत की।
आयोजन में भोपाल जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार बसंत सकरगाए, जनवादी लेखक संघ इन्दौर के अध्यक्ष कवि रजनी रमण शर्मा, कवि तथा समीक्षक प्रदीप मिश्र, ग़ज़लकार प्रदीप कांत , कवि देवेंद्र रिणवा, जनवादी लेखक संघ रतलाम के अध्यक्ष रणजीत सिंह प्रसिद्ध व्यंग्यकार, गज़लकार आशीष दशोत्तर, कवि एवं रंगकर्मी युसूफ जावेदी, कवि कीर्ति शर्मा तथा जलेस नीमच के वरिष्ठ कवि तथा गज़लकार निरंजन गुप्त ‘राही’ ने शिरकत कर कार्यक्रम को सफल और सार्थक बनाया।आयोजन ने जलेस नीमच के सभी सदस्यों के अलावा शहर के विभिन्न गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संचालन नीमच के युवा शायर आलम तौक़ीर नियाज़ी ‘आलम’ ने किया।अंत में जनवादी लेखक संघ नीमच की अध्यक्ष प्रियंका कविश्वर ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों और सम्माननीय सदस्यों का आभार व्यक्त किया।