पुलिस ने सुलझाया चोरी का मामला : ग्राम धराड़ में 20 लाख की सनसनी खेज चोरी में बांछड़ा गैंग के चार आरोपी गिरफ्तार, दो फरार

मुख्य सरगना है 20 साल का

4 साल में डकैती सहित 15 अपराध दर्ज

60 स्थान के खंगाले सीसीटीवी फुटेज

सीसीटीवी की बदौलत आए पकड़ में

अन्य जिलों की चोरी की वारदातों का भी खुलासा

हरमुद्दा
रतलाम, 28 दिसंबर। समीपस्थ गांव धराड़ में हुई 20 लाख सनसनीखेज चोरी की वारदात को सुलझाने में पुलिस को सफलता मिली। पुलिस ने बांछड़ा गैंग के सरगना सहित चार आरोपियों को चोरी के मामले में गिरफ्तार किया है जबकि दो अभी फरार है। पूछताछ में जब रतलाम पुलिस को गैंग के सरगना एवं अन्य सदस्यों के अपराधिक रिकॉर्ड पता चले तो पुलिस हक्की-बक्की रह गई। खास बात यह है कि गैंग का सरगना 20 साल का एक युवक है जो पिछले 4 साल में डकैती सहित 15 के लगभग अपराध कर चुका है।

एसपी राहुल कुमार लोढ़ा

पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में पूरे मामले का खुलासा किया। एसपी श्री लोढा ने बताया कि 20 दिन पूर्व 8 दिसंबर को बिलपांक थाना क्षेत्र के ग्राम धराड़ में सूने मकान का ताला तोड़कर अज्ञात बदमाश लाखों रुपए मूल्य के सोने चांदी के जेवर और नगदी रुपए चोरी कर ले गए थे। चोरी की इसी वारदात को ट्रेस करने के दौरान पुलिस को बड़ी गैंग तक पहुंचने में कामयाबी मिली है। आरोपियों से जिले में हुई कुछ अन्य चोरी की वारदातो सहित अन्य जिलों की चोरी की वारदातों का भी खुलासा हुआ है।

टीम का किया गठन, 60 स्थान के खंगाले सीसीटीवी फुटेज

धराड़ में हुई चोरी की वारदात के बाद एसपी राहुल लोढ़ा के निर्देशन एवं एएसपी राकेश खाखा और एसडीओपी ग्रामीण अभिलाष भलावी की मार्गदर्शन में बिलपांक थाना प्रभारी मुनेन्द्र गौतम के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया था।पुलिस की टीम आरोपियों की तलाश के लिए गांव, चौराहा, गली और दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरों को देखने लगी। पुलिस टीम ने लगभग 60 स्थानों के सीसीटीवी कैमरों को चेक किया। इसी दौरान एक सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में पुलिस को संदिग्ध कार से कुछ लोग मूवमेंट करते दिखाई दिए।

मनासा की बांछड़ा गैंग के रूप में हुई पहचान

सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे संदिग्धो की पहचान मानसा की बाछड़ा गैंग के रूप में होने पर रतलाम पुलिस ने मनासा पुलिस से सीसीटीवी फुटेज की पहचान कराई। पुख्ता पहचान होने पर बिलपांक पुलिस और साइबर सेल की टीमों के माध्यम से आरोपियों की तलाश शुरू की गई और मुखबीर सूचना के आधार पर पुलिस ने दबिश देकर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस जब आरोपियों को पकड़ने गई तब भी यह चोरी के इरादे से मुवमेंट रहे थे। पुलिस ने इन्हे घेराबंदी कर पकड़ा।

आभूषण सहित 5 लाख से अधिक जब्त

गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में अपना नाम दिलखुश पिता पप्पू 20 वर्ष निवासी पिपलिया रुंडी मनासा(नीमच), राजेश पिता मदनलाल निवासी पिपलिया रुंडी मनासा, अजय पिता राजू 22 साल निवासी मनासा और मनीष पिता हेमंत 26 साल निवासी मनासा बताया। आरोपियों के निशानदेही पर चोरी गए सोने के आभूषण और नगदी 5 लाख 60 हजार भी जब्त किए गए हैं।

दो आरोपी फरार

पूछताछ में चारों आरोपियों ने 8 दिसंबर को धराड़ के सुने मकान में चोरी की वारदात करना कबूल किया। इस वारदात में मनीष पिता रोशन लाल और राकेश पिता मदनलाल दोनों निवासी मनासा के भी शामिल होने की जानकारी दी। पुलिस इन दोनों की भी तलाश कर रही है।

कई और वारदातें को दिया अंजाम

एसपी लोढ़ा ने बताया पूछताछ में आरोपियों ने जावरा सबडिवीजन के रिंगनोद थाना अंतर्गत माननखेडा में 6 माह पूर्व की एक चोरी की वारदात भी कबूली है। इसके अलावा रतलाम के स्टेशन रोड थाना अंतर्गत प्रताप नगर में चार माह पूर्व की एक चोरी, ढोढर में चोरी की वारदातें भी कबूल की है। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने उज्जैन में भी चोरी की वारदात करना स्वीकार किया है। इस संबंध में उज्जैन पुलिस को भी अवगत कराया जा रहा है।

डकैती के साथ हत्या को अंजाम दे चुका है सरगना दिलखुश

एसपी ने बताया कि इस गैंग का सरगना 20 वर्षीय दिलखुश पिता पप्पू निवासी मानसा जिला नीमच है। दिलखुश के खिलाफ ही पिछले 4 साल में 15 के लगभग अपराध अलग-अलग थानों में दर्ज हो चुके हैं। इनमें राजस्थान के कनेरा में दो डकैती के अपराध भी है। राजस्थान के कनेरा में आरोपी डकैती के साथ हत्या की वारदात को भी अंजाम दे चुका है। इसके अलावा दुष्कर्म एवं पाक्सो एक्ट , आर्म्स एक्ट एवं चोरी की वारदातों के प्रकरण भी दर्ज है। अन्य गिरफ्तार आरोपी राजेश अजय और मनीष के खिलाफ भी अपराधिक प्रकरण दर्ज है। हाल ही में डकैती की योजना बनाते कुछ लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह भी इसी गैंग से जुड़े हुए हैं।

सभी लोग हैं शातिर

एसपी के अनुसार गैंग का सरगना दिलखुश है। यह गैंग ट्रक और कार में मुवमेंट करती है। जब यह चोरी की वारदात करने निकलते हैं तब अपने मोबाइल बंद कर देते हैं और वारदात कर घर लौटने के बाद ही मोबाइल चालू करते हैं, ताकि इनकी लोकेशन पता ना चल सके और पुलिस इन्हें पकड़ ना पाए।

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