जगद्गुरु शंकराचार्य जी की बेबाक बातें : गौ हत्या बंद हो जाएगी तो वोट किसके नाम पर मांगेंगे, देश को मोदी योगी नहीं, कंपनिया चला रही, मैं नहीं जाऊंगा 22 जनवरी को अयोध्या, धर्म का हो गया व्यापारीकरण

शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने आमजन की जिज्ञासाओं का किया समाधान, धर्म का करवाया ज्ञान

श्री सनातन धर्म सभा और महारुद्र के समिति के आयोजन में हुआ शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का त्रिवेणी तट पर आगमन

हरमुद्दा
रतलाम 4 जनवरी। गौ हत्या बंद हो जाएगी तो वोट किसके नाम पर मांगेंगे, देश को मोदी योगी नहीं, कंपनिया सरकार चला रही। मैं 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाऊंगा। धर्म, ज्योतिष का व्यापारीकरण हो गया। धर्म के प्रति एकता का अभाव है। इसका कारण यही है कि सबको पद चाहिए। नाम चाहिए। काम करना कोई नहीं चाहता है। “सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म” की मान्यताओं का कोई भी देश खंडन नहीं करता है। सभी मानते हैं।

बेबाक रूप से यह सभी बातें शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहीं। शंकराचार्य जी श्री सनातन धर्म सभा एवं महारुद्र यज्ञ समिति की धर्म सभा में भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद देने के लिए त्रिवेणी तट पर आए थे। शंकराचार्य जी ने धर्म सभा में मौजूद लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए धर्म का ज्ञान करवाया।

धर्म सभा में मौजूद श्रोताजन

धर्म के प्रति विसंगतियां और रुचि दिखाई दे रही है

दारू के स्वभाव को, प्रभाव को नहीं समझने के कारण ही विसंगतियां पैदा होती है। सभी के अपने गुण धर्म हैं। प्यासा व्यक्ति पानी के प्रति आकर्षित होता है। पानी पीता है तो पानी अपना गुणधर्म नहीं बदलेगा। अग्नि, पानी, आकाश, वायु सबके अपने-अपने गुण धर्म है। इसीलिए वह हैं। सबकी अपनी-अपनी धारण क्षमता है। सभी का गुण है। सिद्ध कोटि के धर्म का खंडन नहीं हो सकता। धर्म के लिए तो मुट्ठी खोलने पड़ेगी। दान देना पड़ेगा, मगर यह होता नहीं है। व्रत करेंगे तो अन्न जल त्याग करना पड़ेगा। वर्ण धर्म और आश्रम धर्म पर लोग कटाक्ष करते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी संतुलित रहे। वर्ण आश्रम व्यवस्था विदेश में लुप्त है। वर्ण व्यवस्था का पालन करने वाले व्यक्ति का लौकिक और पारलौकिक उत्कर्ष होता है। संस्कार का दान नहीं होता है, इसलिए संतुलन बिगड़ने लगता है। स्वयं जानते नहीं है और जानकारों की मानते नहीं है। यही विडंबना है, विसंगति है। सनातन धर्म में किसी को भी किसी से वंचित नहीं किया गया है। धर्म के अस्तित्व को स्वीकार करना जरूरी है।
सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म का दुनिया का कोई देश खंडन नहीं करता है। इसका मतलब यही है कि सब मान्यता देते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शपथ लेने के दौरान कहा था कि मैं क्रिश्चियन हूं। मैं बाइबल को मानता हूं मगर यह भी है कि बाइबिल में से गीता के अंश निकाल दिए जाएं तो बाइबल, बाइबल नहीं रहेगी।

धर्म के प्रति एकता का अभाव नजर क्यों आ रहा है?

शंकराचार्य जी ने कहा जो सब पद और नाम के कारण ही ऐसा हो रहा है। कोई भी व्यक्ति धर्म के लिए काम नहीं करता है। वह पेट और परिवार की ओर ही ध्यान देता है। जब एक संस्था में उसे पद नहीं मिलता है या उसका नाम नहीं होता है तो इसके मोह में वह दूसरी संस्था बना लेता है। वास्तव में व्यक्ति को ₹1 और एक घंटा ईश्वर के लिए निकालना चाहिए तभी कार्य बनेगा। समाज और देश हित होगा। आपका ₹1 क्षेत्र के विकास के लिए लगेगा। ईश्वर के लिए एक घंटा दीजिए। प्रत्येक सनातनी को यह दो कार्य अवश्य करने चाहिए। आपकी जागरूकता के कारण ही एमपी और एमएलए भी उस क्षेत्र में कार्य करेंगे। शासन और प्रशासन तंत्र पर आपको निर्भर नहीं होना पड़ेगा। आपको प्रभुत्व बनना पड़ेगा। एमपी एमएलए को पूछना पड़ेगा। वह भी जानेंगे कि यहां की जनता प्रभुत्व है। कुछ तो करना पड़ेगा। वरना आजकल तो एमपी एमएलए बनते ही वह आमजन से दूरियां बना लेते हैं। क्षेत्र के लिए ₹1 और ईश्वर के लिए एक घंटा नियमित रूप से निकालेंगे तो तभी धर्म आगे बढ़ता जाएगा।

भारत देश में गौ माता पीड़ित है। गौ हत्या बंद नहीं हो रही है जबकि 33 करोड़ देवी देवताओं का उसमें वास है।

कहते हैं बुरा ना मानो होली है। वैसे ही गौ रक्षा के नाम पर ही तो वोट मांगे जाते हैं। जब उसका कटना रोक देंगे तो फिर वोट किसके नाम पर मांगे जाएंगे। जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे तो उनका भी कहना था भले ही निर्णय पारित कर दें, मगर स्थिति विकट है। पालन करवाना कठिन है। वजह यही है कि हत्यारों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। जब हम बैलगाड़ी का उपयोग नहीं करते हैं। ट्रैक्टर से कार्य हो रहा है तो बेल की उपयोगिता समाप्त हो गई, तो फिर उसका क्या होगा। वह कटेगा ही। यह सब राजनीतिक प्रोपोगंडा चल रहा है और देखा जाए तो देश को मोदी योगी नहीं, कंपनिया चल रही है। महा यांत्रिक युग के कारण यह सब हो रहा है। शहरों में कुछ भी शुद्ध नहीं मिल रहा है। पर्यावरण, पानी, हवा, भोजन, संयुक्त परिवार नहीं हैं। सनातन धर्म के सिद्धांत को नहीं मानते हैं। इन सब का अभाव है। आचरण, देवी देवता, संतान सब पर असर हो रहा है। जब मनुष्य ही शुद्ध नहीं रहेगा तो कुछ नहीं होगा। पहले शुद्धता जरूरी है। पर्यावरण को शुद्ध करें। विकास करें।

व्यवसायीकरण के दौर में आस्था काम हो रही है

दिशाहीनता ने प्रजातंत्र पर अड्डा जमा लिया है। वैराग्य और विवेक शापित हो गए हैं। सभी दूर व्यापारी घुस गए हैं। यदि ऐसा ही रहा तो राजनेताओं में ठेका देने की क्षमता भी नहीं रहेगी। सब कुछ दिशाहीन हो रहा है। धर्म के मामले में भी ऐसा ही कुछ है। जनता को सही ज्ञान देने वाले नहीं हैं। भ्रम फैलाने वाले ज्यादा हो गए हैं।

महिलाएं अभी भी चार दिवारी में ही कैद है। वह स्वतंत्र नहीं है।

किसने ऐसा कहा, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। ऐसा नहीं है शील और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए आगे बढ़े। पूरा देश, पूरा आकाश आपका है। वैसे देखा जाए तो तिजोरी में मूल्यवान हीरे जवाहरात ही रखे जाते हैं। कंकड़ पत्थर नहीं। आप मूल्यवान है। अपना सही उपयोग देश और समाज के लिए करें।

धर्म के लिए भय दिखाएंगे तो ही जागरूकता आएगी। अभी धर्म को केवल स्वार्थ के लिए ही कर रहे हैं।

धर्म के लिए भय दिखाने की जरूरत नहीं है। उसके लिए मन में दो चीज नहीं होना चाहिए। एक लाभ का लोभ और दूसरा हानि का डर। जब तक मनुष्य में यह दोनों रहेंगे, वह धर्म का पालन सत्य निष्ठा से नहीं करेगा। जिस दिन स्वार्थ से परे होकर परमार्थ की ओर जाएगा। धर्म की ओर वह अग्रसर होता रहेगा।

सनातन धर्म में दो-दो तीज त्यौहार होने से असमंजस की स्थिति रहती है। ऐसी स्थिति में धर्म का रास्ता भटकते हैं।

इसका मुख्य कारण यही है कि ज्योतिषी परिश्रम नहीं कर रहे हैं। विदेशी पंचांग की नकल कर रहे हैं। देखा जाए तो ज्योतिष में भी व्यापारी तंत्र हावी हैं। सभी अपने-अपने पंचांग को श्रेष्ठ निरूपित कर रहे हैं। पंचांग ही दिशाहीन हो गए हैं। धन कमाने के लिए धर्मालुजनों को इन्होंने फांस लिया है। दूर दृष्टि का अभाव है। पंचांग शास्त्र सम्मत नहीं है।

पूरे देश में 22 जनवरी के उत्सव की तैयारी है। क्या राम राज्य आएगा, बदलाव आएगा।

बदलाव होता है तो अच्छा है। राम राज्य आना चाहिए। लगता है आपको निमंत्रण नहीं मिला है। मुझे तो निमंत्रण मिला है एक व्यक्ति को और साथ ले जा सकता हूं। मगर मैं नहीं जाऊंगा।

वर्तमान दौर में युवा पीढ़ी भटक गई है, उसे कैसे रास्ते पर लाएं।

किसने कहा युवा पीढ़ी भटक गई है। युवा खूब-खूब साथ दे रहे हैं। दिशाहीन परिवार और समाज के कारण ऐसा लग रहा है। यदि आपके परिवार में संस्कार संस्कृति का पालन पोषण होता है तो युवा पीढ़ी नहीं भटकेगी। घर का वातावरण बेहतर बने तो सब कुछ बढ़िया रहेगा। मैं भी दिल्ली में पढ़ा हूं लेकिन मैं तो दिल्ली नहीं बना। यह सभी संस्कार और संस्कृति पर ही निर्भर है। यदि आपके संस्कार का सिंचन सही है तो युवा कभी भी नहीं भटकेगा।

भक्तों ने किया पादुका पूजन

शंकराचार्य जी के साथ समिति के पदाधिकारी और सदस्य

त्रिवेणी तट आगमन पर शंकराचार्य जी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने शंकराचार्य जी के मंदिर में दर्शन किए। तत्पश्चात धर्मसभा में आए। गोविंद जय जय गोपाल जय जय राधा रमण हरि गोविंद जय जय, हे गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय का कीर्तन करवाया। शंकराचार्य जी के साथ सभी ने दोहराया कि” हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। भारत भव्य बनाएंगे। भारत अखंड बनाएंगे। स्वास्तिक सूर्य अंकित केसरिया लहराएंगे।” श्री सनातन धर्म सभा एवं महा रूद्र यज्ञ की समिति के अनिल झालानी ने स्वागत उद्बोधन दिया। समिति के संरक्षक पूर्व विधायक कोमलसिंह राठौड़, कन्हैयालाल मौर्य, पंडित रामचंद्र शर्मा, डॉ. राजेंद्र शर्मा, नवनीत सोनी, पुष्पेंद्र जोशी, बृजेंद्र नंदन मेहता, गोपाल जवेरी, बालूलाल त्रिपाठी, सत्यनारायण पालीवाल सहित अन्य समिति के लोगों ने पादुका का पूजन कर आशीर्वाद लिया। धर्मसभा का संचालन ऋषिकेश ब्रह्मचारी ने किया।

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