कानून अंधा नही बल्कि सभी को समान दृष्टि से देखता: न्यायाधीश

हरमुद्दा
नीमच 17 जुलाई। कानून के प्रति लोगों में यह आम धारणा है कि कानून अंधा होता है, ऐसा टेलीविजन पर, फिल्मों आदि में प्रसारित किया जाता है, किंतु कानून अंधा नहीं होता बल्कि वह तो सभी के प्रति समान दृष्टिकोण रखता है। न्याय की प्रतिमा की आंखों पर काली पट्टी बंधी होने का अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि कानून अंधा होता है, बल्कि इसका अर्थ यह है कि कानून किसी में भेद नहीं करता, कानून यह नहीं देखता है। कौन बड़ा है, कौन छोटा, कौन अमीर है, कौन गरीब, कानून तो बिना किसी भेदभाव के न्याय प्रदान करता है।
यह विचार अपर जिला न्यायाधीश श्री संजय कुमार जैन, ने व्यक्त किए। श्री जैन नीमच के पीजी कॉलेज में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे।

कानून की संरचना के बारे में समझाया रौचक तरीके
श्री जैन ने कानून की संरचना के बारे में रौचक तरीके से समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार कानून के अंधे होने की बात का अर्थ हमने जाना, उसी प्रकार कानून के हाथ बढ़े होने का अर्थ है कि कोई भी अपराधी चाहे वह कितना ही अमीर, रसुखदार क्यो न हो, कानून से बच नहीं सकता, हां कानूनी प्रक्रिया के कारण विलंब जरूर हो सकता है। इसी प्रकार उन्होने कानून के पैरो के बारे में कहा की कानून के पैर छोटे होते हैं, यदि किसी व्यक्ति को कानूनी उपचार चाहि‍ए तो कानून खुद उस व्यक्ति के पास चल के नहीं जाएगा, बल्कि उस व्यक्ति को कानूनी मदद प्राप्त करने के लिए न्यायालय में जाना होगा। इसके लिये लोगो का कानून के प्रति जागरूक होना आवश्‍यक है और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्‍य से ही विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जाता हैं। शिविर को व्यवहार न्यायाधीश सुश्री रीना शर्मा एवं व्यवहार न्यायाधीश नीरज अग्रवाल ने भी विद्यार्थियों को उपयोगी कानूनी जानकारी दी।

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जिला विधिक सहायता अधिकारी सुश्री शक्ति रावत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता एवं विधिक सलाह के संबंध में विस्त्रृत रूप से जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य एल एन शर्मा, प्राध्यापकगण सहित बड़ी संख्या में कॉलेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित थी।

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