श्रद्धांजलि : जैनाचार्य बंधु बेलड़ी आचार्य श्री जिनचन्द्रसागर सूरीश्वर जी म.सा. का कालधर्म, संपूर्ण जैन समाज में शोक की लहर
⚫ अयोध्यापुरम तीर्थ अंतिम दर्शन व अंत्येष्टि में देशभर से अनुयायी पहुंचे
⚫ छह माह में सागर समुदाय को चौथी बड़ी क्षति
⚫ अंतिम भावना के अनुरूप तीर्थ भूमि पर ही अंत्येष्टि
⚫ देशभर से अनुयायी अंतिम दर्शन को पहुंचे
⚫ जून में रतलाम आगमन की प्रतीक्षा थी
हरमुद्रा के लिए नीलेश सोनी
अयोध्या पुरम/रतलाम, 9 मार्च। जैनाचार्य बंधु बेलड़ी पूज्य आचार्य श्री जिनचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा. का गुजरात में अयोध्यापुरम तीर्थ भावनगर में कालधर्म हो गया। जैन शासन को समर्पित 72 वर्ष के सुदीर्ध जीवन में उनका 61 वर्ष का तप आराधनापूर्ण संयम पर्याय रहा। अयोध्यापुरम तीर्थ में उनकी अंतिम दर्शन और महाप्रयाण यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से पहुँचे अनुयायियों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।
छह माह में सागर समुदाय को चौथी बड़ी क्षति
आचार्यश्री के कालधर्म की खबर से सम्पूर्ण जैन समाज में शोक की लहर है । विभिन्न जैन समुदाय गच्छाधिपति, शीर्षस्थ साधु-संत के साथ समाज की ख्यातनाम हस्तियों ने अपनी शोक संवेदनाए व्यक्त करते हुए उनके कालधर्म को समग्र जिनशासन के लिए अपूरणीय क्षति बताया है । विगत छह माह में सागर समुदाय को यह चौथी बड़ी क्षति पहुंची है, जिससे सम्पूर्ण सागर समुदाय स्तब्ध है। पिछले दिनों समुदाय के शतायु गच्छाधिपति आचार्य श्री दौलतसागरसूरीश्वर जी म.सा.सहित अन्य दो वरिष्ठ आचार्यश्री के कालधर्म से समुदाय अभी उभरा ही नहीं था कि फिर एक बड़ा आघात सहना पड़ा है ।
अंतिम भावना के अनुरूप तीर्थ भूमि पर ही अंत्येष्टि
अयोध्यापुरम तीर्थ में बंधु बेलड़ी आचार्यश्री का बुधवार मध्यरात्रि को अचानक स्वास्थ्य बिगड़ा और इसी पावन तीर्थ भूमि पर उन्होंने अंतिम साँस ली । उनकी अंतिम भावना के अनुरूप उनकी अंत्येष्टि तीर्थ में गुरुवार शाम की गई । अहमदाबाद पालीताना हाईवे पर आचार्यश्री की प्रेरणा और मार्गदर्शन में ही तीर्थ का निर्माण और संचालन विगत 22 वर्षो से ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है । अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिव देह को दिनभर उपाश्रय में रखा गया । सवा सौ से अधिक शिष्य प्रशिष्य वाले आचार्यश्री को अलसुबह से लेकर शाम तक उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों का ताँता लगा रहा । उनकी पार्थिव देह को सीताबेन कांतीलाल शाह अनावल वाला परिवार एवं आचार्यश्री के संसारी परिजनों ने मुखाग्नि दी ।
देशभर से अनुयायी अंतिम दर्शन को पहुंचे
इस अवसर पर रतलाम, इंदौर, मंदसौर, नीमच, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, मुंबई,अहमदाबाद, सुरत, बड़ोदा, भावनगर, राजकोट,चेन्नई सहित देश के अन्य स्थानों से अनुयायी बड़ी संख्या में पहुंचे थे। यहां उपस्थित पूज्यश्री के लघुबंधु बंधु बेलड़ी आचार्य श्री हेमचंद्रसागरसूरीश्वर जी म.सा.ने पूज्यश्री के तपस्वी जीवन को अनुकरणीय बताया। आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा. आचार्य श्री विरागचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा.,गणि श्री पदमचन्द्रसागर जी म.सा.आदि ने अपने श्रध्दा सुमन अर्पित किए।
जून में रतलाम आगमन की प्रतीक्षा थी
रतलाम से श्रीसंघ के साथ पहुंचे ट्रस्टी इन्दरमल जैन ने बताया की यंहा रतलाम श्रीसंघ की और से उन्हें भावभीनी आदरांजलि अर्पित की गई । आचार्य श्री ने रतलाम सहित सम्पूर्ण मालवा में विगत 60 वर्षों में कई स्थानों पर चातुर्मास किये । उनका रतलाम में ऐतिहासिक अंतिम चातुर्मास वर्ष 2018 में करमचंद उपाश्रय हनुमान रूंडी और जयंतसेन धाम में उनकी निश्रा में उपधान तप सम्पन्न हुआ था । मई वर्ष 2022 में वे अंतिम बार रतलाम में दीक्षा प्रसंग के अवसर पर पधारे थे । यंहा से वे जून में सैलाना में दीक्षा के बाद बाजना – कुशलगढ़ होते हुए सुरत प्रस्थित हुए थे । हाल ही में 1 मार्च को उन्होंने रतलाम में युवा मुमुक्षु संयम पालरेचा को रतलाम में 12 जून को दीक्षा का मुहूर्त अयोध्यापुरम में प्रदान किया था । आचार्य श्री के रतलाम आगमन की श्रीसंघ तैयारियों में जुटा था और इसी बीच वे कालधर्म को प्राप्त हो गये ।