साहित्य सरोकार : चयनित कविताएं सार्वदैशिक, सार्वभौमिक हैं

एसडीएम डॉ. ममता खेड़े ने कहा

काव्य संग्रह ‘चयनित कविताएं’ का विमोचन

हरमुद्दा
नीमच, 12 मार्च। ‘चयनित कविताएं’ काव्य संग्रह अदुभुत और प्रभावी है। इसकी प्रत्येक रचना सार्वदैशिक, सार्वभौमिक है। प्रत्येक रचना आम जीवन के पहलुओं को छूती है। संग्रह में परम्परागत जनवादी लेखन दिखता है। जुमलों को बहुत ही करीने से आधुनिक ढंग से सजाया है। इसमें लेखक का सीधे-सीधे जनवादी सुर नजर आता है। रचना को बार-बार पढा, सुना और संग्रह किया जा सकता है।

यह बात अनुविभागीय अधिकारी डॉ. ममता खेड़े ने कही। डॉ. खेड़े गायत्री शक्ति पीठ परिसर हॉल में पुस्तक ‘चयनित कविताएं‘ के विमोचन अवसर पर बोल रही थी। उन्होंने रतलाम के साहित्यकार, अनुवादक, लेखक प्रो. रतन चौहान की पुस्तक का विमोचन किया। श्रीमती खेडे ने समीक्षा में कहा कि श्री चौहान की कविता में लाक्षणिकता है। त्वरा चित्र बनाकर कविता में जान डाल देती है। पूरे काव्य संग्रह का शिल्प बहुत मजबूत है। तत्सम में भी जनवादी अभिव्यक्ति परिलक्षित होती है। उन्होंने रचना को ब्यूटी ऑफ मेसीनेस बताया। लेखक श्री चौहान ने इस मौके पर हाल में रचित तीन कविताएं श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की। उन्होंने पुस्तक विमोचन को प्रेरणादायी बनाने पर खुशी जाहिर की।

विमोचन करते हुए अतिथि

देश विदेश में लोकप्रिय है वही साहित्य

इसके पहले समीक्षा करते हुए राधेश्याम शर्मा ने कहा कि श्री चौहान ने कामायनी सहित कई रचनाओं  अंग्रेजी में अनुवाद किया और आज वही साहित्य देश-विदेश में लोकप्रिय है। उन्होंने कहा कि काव्य संग्रह में ग़रीब आदमी का दर्द है। भाषा सीधी, सहज और सरल है। उन्होंने कहा कि सरल लिखना सरल नहीं है। पूरे संग्रह में निश्छल, ईमानदारी दिखाई देती है।

विचार व्यक्त करते हुए समीक्षक

रचना में इश्क नहीं देखता सरहदों को

जनवादी लेखक संघ की जिलाघ्यक्ष प्रियंका कविश्वर ने कहा कि काव्य संग्रह गहन एवं साहित्यिक दृष्टि से उच्च है। रचना में इश्क सरहदों को नहीं देखता है, अनूठे कौशल का प्रमाण है। रतलाम से आए साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने कहा कि श्री चौहान की रचना वक्त का आईना है। इंसान की मजबूरी को अच्छे से बताने वाली कविताएं है। कविता का प्रभाव सरहद में कैद नहीं रहता है। पूरे संग्रह का साहित्य समृद्ध है। काव्य सम्पदा का तेवर अच्छा है।

कलाओं की अभिव्यक्ति का विरोध करने वाला वर्ग सक्रिय

साहित्यकार निरजंन राही गुप्त ने समीक्षा में बताया कि वर्तमान में कलाओं की अभिव्यक्ति का विरोध करने वाला वर्ग सक्रिय है। ऐसे में यह रचना वंदनीय है। पूरा संग्रह पठनीय, ग्राहयित है। रचनाओं में पाठकीय मानवीयता पर अक्स छोडे हैं। अंतरकथाओं का सुंदर समन्वय किया है। उन्होंने कहा कि रचनाओं के साथ ऐतिहासिक संस्मरणों की जानकारी भी दी जाती तो अच्छा होता।

कविता सबके लिए और सब की

रंगकर्मी विजय बैरागी ने कहा कि श्री चौहान प्रख्यात हस्ताक्षर है। उनका लेखन उम्दा है। कविता लिखने के समय में तो श्री चौहान किताब लिख देते हैं। संग्रह को एक बार पढने के बाद विस्मृत किया जाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि इसमें कविता सबके लिए और सबकी है। कवि श्री जनेश्वर ने कहा कि रचना में लेखक ने पाठकीय पक्ष बखूबी दिखाया है। कविताओं में स्थानीयता है।

किया स्वागत

कार्यक्रम के प्रारंभ में एसडीएम का स्वागत श्रीमती प्रियंका कविश्वर, श्री चौहान का श्री बैरागी, साहित्यकार जलेसं रतलाम के अध्यक्ष रणजीत राठौर का कामरेड शैलेंद्रसिंह ठाकुर, सिद्धिक रतलामी का किशोर जेवरिया, श्री गुप्त राही का कृपालसिंह ने किया। लेखक श्री चौहान का शॉल एवं श्री फल से सम्मान श्रीमती रेणुका व्यास ने किया। आयोजन के दूसरे दौर में कविता पाठ हुआ। जिसमें सिद्दीक़ रतलामी, रेणुका व्यास, पद्माकर पारीक, पंकज दिंग, सुधाकर पांडे, अकबर हुसैन, कीर्ति शर्मा, आशीष दशोत्तर, प्रियंका कविश्वर ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन आलम तौक़िर ने किया।

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