श्रद्धांजलि : नहीं रहे रतलामी सेंव झारे के प्रसिद्ध कारीगर मदन लाल पांचाल, कई राज्यों में उनके बनाए झारों का नहीं था कोई तोड़
⚫ 13 वर्ष की उम्र से लग गए थे झारों के निर्माण में
⚫ किया नेत्रदान भी, मुक्तिधाम पर हुई श्रद्धांजलि
हरमुद्दा
रतलाम, 24 मार्च। रतलामी सेंव को प्रसिद्ध बनाने में जिन झारो का उपयोग होता है, उन झारो के कुशल एवं नामी कारीगर और व्यवसायी 85 वर्षीय मदनलाल पांचाल का देहांत हो गया। मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं महाराष्ट्र में उनके बनाये झारे का कोई तोड़ नहीं था। उनका नेत्रदान भी किया गया। मुक्तिधाम पर श्रद्धांजलि दी गई।
समाजसेवी राजेश सक्सेना ने बताया कि श्री पांचाल ने 13 वर्ष की आयु से ही झारे बनाने के कार्य में अपने आप को लगा दिया था। जीवनकाल के 72 वर्ष झारे बनाने में अपने आपको समर्पित कर ऐसी कुशलता, माहिती एवं निपुणता प्राप्त की कि रतलाम ही नहीं वरन पूरे मध्यप्रदेश राजस्थान एवं महाराष्ट्र में उनके बनाये झारे का कोई तोड़ नहीं था।
पुत्र बढ़ा रहे हैं व्यवसाय को आगे
श्री पांचाल के मृत्युपरान्त उनके पुत्र अनिल पांचाल द्वारा नेत्रदान संस्था से सम्पर्क कर अपने पिता का नेत्रदान कर समाज को इस दशा मे भी आगे आने का संदेश दिया। पुत्र पांचाल एम कॉम तक शिक्षित होने के बावजूद अपने पिता के व्यवसाय से जुड़कर अपने पिता के नाम एवं विरासत को आगे बड़ा रहे है।
त्रिवेणी मुक्तिधाम पर दी श्रद्धांजलि
श्री पांचाल की देह को त्रिवेणी स्थित मुक्तिधाम पर पुत्र अनिल पांचाल द्वारा मुखाग्नि देकर पंचतत्त्व में विलीन किया जहां नगर के गणमान्यजन, समाजबंधु, समाजसेवी, परिजनों, इष्टमित्रों सहित कईयौ ने नम आखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर श्री पांचाल के संघर्षपूर्ण, असाधारण एवं मिलनसार व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।