धर्म संस्कृति : सनातन संस्कृति का उत्सव है ढूंढ
⚫ श्री सकल सिखवाल ब्राह्मण समाज का ढूंढ महोत्सव
⚫ सामूहिक ढूंढ महोत्सव में 21 बच्चों का मनाया ढूंढ उत्सव
⚫ नवजात बच्चों को खिलाया गुड़
हरमुद्दा
रतलाम 25 मार्च। सनातन संस्कृति में ढूंढ महोत्सव का विशेष महत्व है। नवजात बच्चों को सकल समाज पंच का आशीर्वाद मिलना सौभाग्य का अवसर है। सामूहिक ढूंढ महोत्सव निरंतर होना चाहिए।
यह विचार पंडित हरीश ओझा ने सोमवार को धुलेंडी अंतर्गत श्री सकल सिखवाल ब्राह्मण समाज द्वारा ब्राह्मणवास स्थित श्री चारभुजा भवन में सामूहिक ढूंढ महोत्सव में व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि ढूंढ परंपरा सनातन काल से चली आ रही है। श्री सकल सिखवाल समाज का आयोजन समाज को संगठित करने का माध्यम बनेगा ।
21 बच्चों का मना ढूंढ उत्सव
सामूहिक ढूंढ महोत्सव अंतर्गत 21 बच्चों का ढूंढ उत्सव मना कर प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी रतनलाल व्यास, लेहरूलाल व्यास, श्री सिखवाल समाज देवस्थान न्यास अध्यक्ष अशोक पांडया, महासचिव महेश व्यास, विद्यापीठ अध्यक्ष कन्हैयालाल तिवारी, सचिव गोपालकृष्ण व्यास, सहसचिव सतीश त्रिपाठी देवस्थान न्यासी अनिल पांडया, रवि व्यास, मथुरालाल पुरोहित, रमेश व्यास, जगदीश पांडे, बालकृष्ण व्यास , मदन पांडे, राधेश्याम व्यास, कैलाश उपाध्याय, सत्यनारायण उपाध्ययाय बसंत पांडया, रथीन व्यास, आयुष व्यास ,श्याम बोहरा, नाथूलाल बोहरा, कुलदीप पांडया आदि समाजजन उपस्थित थे।
नवजात बच्चों को खिलाया गुड
सामूहिक ढूंढ महोत्सव अंतर्गत नवजात बच्चों को तिलक लगाकर व लकड़ी पर चंटियों को बजाकर पूजन किया गया। सकल समाज द्वारा सभी बच्चों का पगड़ी पहनकर सम्मान किया गया ।