साहित्य सरोकार : जहां कोई देरी से नहीं आता, अपनी रचना नहीं सुनाता
⚫ ‘सुनें सुनाएं’ का उन्नीसवां सोपान 7 अप्रैल को
हरमुद्दा
रतलाम, 4 अप्रैल। जहां कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है , देरी से नहीं आता है, सबको आनंदित हो कर सुनता है और साठ मिनट में अपनी आंतरिक ऊर्जा को साठ गुना अधिक पाता है। ऐसा मंच है ‘सुनें सुनाएं’। शहर में रचनात्मक वातावरण तैयार करने के लिए पिछले डेढ़ बरस से निरंतर जारी इस आयोजन में शामिल रचनाप्रेमी अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करते है और वह भी बिना किसी भूमिका के।
‘सुनें सुनाएं’ का 19 वां सोपान 7 अप्रैल रविवार को जी.डी.अंकलेसरिया रोटरी हॉल प्रथम तल पर प्रातः 11 बजे आयोजित होगा।
इस बार रचनाओं में विविधता का अहसास होगा क्योंकि इस आयोजन में अनीस ख़ान द्वारा प्रिय शायरों के ‘चंद अशआर’ का पाठ किया जाएगा वहीं लगन शर्मा द्वारा चंदन कुमार पांडेय की रचना ‘ तीन पहर तो बीत गए ‘ का पाठ, नंदकिशोर भाटी द्वारा श्री हरिशंकर परसाई के व्यंग्य ‘अयोध्या में ख़ाता-बही ‘ का पाठ ,दीपक राजपुरोहित द्वारा ‘सिरसा के राम बसे निषाद के मन में’ का पाठ।श्रीमती आशा श्रीवास्तव द्वारा डॉ. प्रकाश निहालानी की रचना ‘ तेल कम है फिर भी रोशन हैं दिए ‘ का पाठ, श्रीमती योगिता राजपुरोहित द्वारा अब्राहम लिंकन का पत्र ‘ पुत्र के शिक्षक के नाम ‘ का पाठ, नीरज कुमार शुक्ला द्वारा सारा शगुफ़्ता के संस्मरण ‘आपबीती’ का पाठ किया जाएगा। ग्यारह वर्षीय जर्मन निवासी नन्हीं आन्या अभिषेक व्यास द्वारा जर्मनी में कविता पढ़ने के साथ उसका हिन्दी में अनुवाद भी सुनाया जाएगा। विनीता ओझा द्वारा नरेश मेहता की रचना ‘मंत्र-गंध और भाषा ‘ का पाठ एवं सरिता दशोत्तर द्वारा भगतसिंह की बहन द्वारा लिखी गई ‘वसीयत’ के अंश का पाठ किया जाएगा। ‘सुनें सुनाएं’ ने शहर के रचना प्रेमियों से उपस्थिति का आग्रह किया है।