फैसला : लाखों रुपए की भूमि पर अवैध कब्जे का दावा निरस्त किया न्यायालय ने

पुलिस विभाग के नाम दर्ज है भूमि

हरमुद्दा
रतलाम 20 अप्रैल। अमृत सागर दरगाह के सामने शासकीय नजूल भूमि पर बारह सौ पचास वर्ग फीट पर अवैध कब्जे का दावा न्यायालय ने निरस्त कर दिया ।  जमीन पर रेहाना बी पति युसूफ अली का लगभग 12 वर्षों से अधिक समय से अवैधानिक कब्जा था। भूमि की कीमत लाखों रुपए हैं।

अपर शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी

अपर शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने हरमुद्दा को बताया कि उक्त नजूल की भूमि पर रेहाना बी अवैध झोपड़ी बनाकर निवास कर रही थी। रेहाना बी ने मध्य प्रदेश शासन के विरुद्ध वर्ष 2019 में दावा प्रस्तुत किया था । जिसमें यह बताया था कि वह गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। शासन द्वारा वर्ष 2016 में उसे पट्टा दिया गया था लेकिन वापस ले लिया गया। 13 मार्च 2019 को शासन द्वारा उसकी झोपड़ी के पीछे की ओर अतिक्रमण हटाया गया था । तत्कालीन पटवारी द्वारा उसके जमीन का पट्टा दिए जाने की कार्रवाई भी की थी। लेकिन बाद में पट्टा नहीं दिया गया । वह लंबी अवधि से उस झोपड़ी में निवास कर रही है । इसलिए उसे न्यायालय के माध्यम से  प्रदेश शासन से पट्टा दिलाया जाए।

शासन की ओर से इसका जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि उक्त स्थान एवं इससे लगती हुई खुली भूमि  को दीनदयाल नगर पुलिस थाने के लिए आरक्षित किया गया होकर सर्वे क्रमांक 624 की भूमि वर्ष 1956-57 से शासकीय भूमि के रूप में राजस्व  रिकॉर्ड में दर्ज है । 6 जनवरी 2016 को उक्त भूमि दीनदयाल नगर पुलिस थाने के लिए आरक्षित की गई है। शासन की ओर से तहसीलदार ऋषभ ठाकुर ने कथन अंकित करवाए । जिसमें उन्होंने बताया कि दीनदयाल नगर पुलिस थाना भले ही अलग जगह बन गया हो लेकिन जमीन आज भी पुलिस विभाग के नाम पर दर्ज है ।

पर्याप्त न्याय शुल्क नहीं दिया

न्यायालय प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड रतलाम मुग्धा कुमार ने अपने निर्णय में लिखा की वादी रेहना बी द्वारा विवादग्रस्त भूमि का मूल्यांकन 1 लाख 20 हजार रुपए निर्धारित किया है।  समस्त स्थाई निषेधाज्ञा की सहायता के लिए पृथक पृथक मूल्यांकन आवश्यक है। रेहना बी द्वारा वाद का उचित मूल्यांकन नहीं करते हुए पर्याप्त न्याय शुल्क अदा नहीं किया है। कब्जा भी अवैधानिक रूप से कर रखा है इस करण वाद निरस्त किया जाता है। शासन की ओर से पैरवी अपर शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी द्वारा की गई।

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