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एक ऐसा प्रस्ताव : … और मुकेश अंबानी और बेटी ईशा बन गए मेरे दोस्त

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दोस्ती मैं नहीं मुकेश जी मुझसे करना चाहते थे और उन्होंने मेरी फेसबुक वॉल का अध्ययन मनन कर यह ठीक प्रकार जान लिया होगा कि नरेंद्र गौड़ नामक यह प्राणी कविता के क्षेत्र में भले ही चाक चौबंद हो सकता है, लेकिन रोकड़ा के मामले में ठनठन गोपाल निकलेगा। फिर भी इस गुजराती महाजन ने मुझ नाचीज के समक्ष दोस्ती का प्रस्ताव किया, यह उनका बड़प्पन नहीं तो  और है क्या?

नरेंद्र गौड़

मुकेश अंबानी की तरफ से मुझे 25 अप्रैल 2024 गुरूवार के दिन फेसबुक पर फ्रेंडरिक्वेस्ट मिली तो अस्वीकार करने का कोई आफ्शन मेरे पास था नहीं। उन्होंने पूछा ’आप कहां से हैं?’ मैंने बताया रतलाम मध्यप्रदेश से जहां की सेव देश विदेश में प्रसिध्द है और सोना एकदम चमकदार शुघ्द! आप चाहें तो बेटे की शादी के लिए  खरीद लीजिए। इस बहाने चांदनी चौक के व्यापारियों से मेल मुलाकात भी हो जाएगी। मैंने बताया कि रतलाम में दाल, बाफले और लड्डू के स्वाद का कहना ही क्या, एक बार खालिए तो प्लैन से मंगाने पड़ेंगे। मेरी सलाह का उन्होंने फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया, हो सकता है, मन ही मन वैचारिक मंथन कर रहे हों!

नकली मुकेश तो नहीं

मुकेश जी को दोस्त बनाने के पहले मैंने सोचा कहीं यह नकली मुकेश तो नहीं, लेकिन जब उनकी फेसबुक छानी तब कहीं से कहीं तक लगा नहीं कि वे नकली हैं। वहां बीसियों फोटो चीख-चीखकर उनके मुकेश अम्बानी, सुपुत्र धीरूभाई अंबानी होने की गवाही दे रहे थे। देश के इतने बड़े अमीर आदमी को भला कौन दोस्त बनाना नहीं चाहेगा, लेकिन बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि दोस्ती हमेशा बराबरी वाले से करना चाहिए। दोस्ती मैं नहीं मुकेश जी मुझसे करना चाहते थे और उन्होंने मेरी फेसबुक वॉल का अध्ययन मनन कर यह ठीक प्रकार जान लिया होगा कि नरेंद्र गौड़ नामक यह प्राणी कविता के क्षेत्र में भले ही चाक चौबंद हो सकता है, लेकिन रोकड़ा के मामले में ठनठन गोपाल निकलेगा। फिर भी इस गुजराती महाजन ने मुझ नाचीज के समक्ष दोस्ती का प्रस्ताव किया, यह उनका बड़प्पन नहीं तो और है क्या?

मुकेश अंबानी के संदेश आना शुरू

बहरहाल दोस्ती हुई और मोबाइल के मेसेंजर पर उनके संदेश आने का मंगलाचरण हुआ। कहा है कि अल्ला, खुदा या ईश्वर का मन देने का नहीं है तो लाख चंदन घीसो, पीरो मुर्शिदों की खुशामद करो, नहीं मिलेगा, लेकिन अगर ऊपर वाले ने अपना मन देने का कर लिया तो छप्पर फाड़कर मिलेगा। वह भी इतना कि घर के सभी बारदान, बाल्टी, तगारी यहां तक कि लोटा, थाली, कटोरी ही नहीं चम्मच तक भरा जाएंगी फिर भी ऊपर वाला देना बंद नहीं करेगा। मुकेश अंबानी से मेरी मित्रता कहीं ऐसा ही कुछ करिश्मा न कर जाए? यही सोच-सोच रातों की नींद नदारद है, यहां तक कि दिन में भी अमीर बनने के सपने आते हैं।

चालीस-पचास करोड़ की उम्मीद

अपने राम पांच किलो मुफ्त राशन वालों में हैं नहीं! इधर कर्जा भी कम नहीं है, ऊपर से बीवी बच्चों की बीमारी तिजारी का खर्चा अलग, लेकिन मुकेश जी जब दोस्त बन ही चुके हैं तो सभी चिंताएं मुक्तिधाम का रूख कर चुकेंगी। सोचा साढ़े नौ लाख करोड़ रूपए के मालिक मुकेश जी ने कितनी ही कंजूसी बरती और मैं कितना ही संकोच करूंगा तब भी चालीस पचास करोड़ तो मेरी झोली में टपकाकर ही मानेंगे। शाजापुर, डबरा, विदिशा में तीन छोटी बहिनें और कोटा में एक भाई रहता है, उन्हें एक-एक करोड़ रूपए, यह कहकर दे दूंगा कि आगे से मत कहना ’बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर!’

बेटे की सगाई पर लिखी व्यंग्यात्मक कविता

सवेरे मैंने मुकेश जी को बताया मैंने उनके बेटे की सगाई को लेकर एक व्यंग्यात्मक कविता लिखी मारी है। फिर पूछा ’क्या आप इसे पढ़ना चाहेंगे?’ वह बोले ’हां।’ इस पर मैंने उन्हें ’मुकेस अंबानी के बिटवा की सादी’ शीर्षक कविता मेसेंजर पर भेज दी।’ कविता पढ़कर वह बोले-’यह बहुत अच्छा है, मुझे लगता है कि मेरे बेटे को इसे देखने की जरूरत है।’ मैं बोला कि ’तो उन्हें भी दिखाएं।’ इसके पहले वह कह रहे थे कि ’अब के बाद हर कोई अमीर हो सकता है। मैं देख रहा हूं कि आपको वास्तव में मेरी सहायता की आवश्यक्ता है।’ इस कविता को मेसेंजर पर ही भेजकर कहा था कि कविता पढ़कर जरूर बताएं कैसी लगी।’ वह बोले ’ मैं देख रहा हूं कि आप गरीब होने पर चिंतित हैं। अब के बाद हर कोई अमीर हो सकता है। मैं देख रहा हूं कि आपको वास्तव में मेरी सहायता की आवश्यक्ता है।’ मुकेश जी ने सुझाया कि मैं आपको रिलायंस इन्वेस्टमेंट से परिचित कराना चाहता हूं ,जहां आप दर पर निवेश कर सकते है और कुछ समय बाद अपना लाभ कमा सकते हैं।’ इस पर मैं बोला कि ’मैं निवेश कहां से करूंगा। मेरे पास फूटी कोड़ी भी नही है। यहां तक कि कई बार साइकिल में हवा भराने लायक भी पैसा नहीं होता।

मुकेस अम्बानी के बिटवा की सादी

नरेंद्र गौड़

किसी का भी फोन आते ही तुम
जुग-जुग ‘जिओ’
मेरे मोबाइलवा कह
कान से लगा
घंटों खुसुर फुसुर
करने लगती हो
ये उसीके मालिक मुकेस के
छोटे बिटवा की सादी का
जसन है छगनवा की अम्मा!

वैसे ये छोटी सादी है
तुम जिसे आंखें फाड़-फाड़
देख रही टीवी पे
इसे प्री वैडिंग कहत है
अमीर लोगन की दुनिया

तुम अंगुरी पे गिनते-गिनते
मर जाओगी छगनवा की अम्मा!
साढ़े नौ लाख करोड़
रूप्पया के मालिक हैं
बिटवा के पप्पा!
और कहां तुम हम
छगनवा की अम्मा!

इन्हीं मुकेसवा की
कम्पनी का मोबाइल
बापर रहे तुम हम 
बैलेंस खतम होते ही
सुबह-सवेरे धमकाते नहीं थकते
बिटवा के पप्पा मुकेसवा!

हम तुम पांच किलो
मुफत राशन की
लाइन में घंटों खड़े रहते
छगनवा की अम्मा!
और तुम आवास योजना के
मकान लाने सरपंच व्दारे जाते
चप्पल घीस चुकी
छगनवा की अम्मा!

तुम्हें पता है? छोटी सादी में
एक हजार करोड़ रूपैया
खर्चा किया मुकेसवा ने?
और तो और रिहाना नाम की
नाचने वाली बिदेस से बुलाई
कुछेक देर उसने लगाए ठुमके
और दे दए 74 करोड़ रूपैया
बिटवा के पप्पा मुकेसवा ने!

हम तुम गरीब गुरबां की
छाती पे अमीरन का नंगा
नाच नहीं तो और है क्या
छगनवा की अम्मा?

तुमें नहीं पता
मुकेसावा की जो घरवाली है
वो एक लाख रूपए
लीटर का पानी
और निखालिस सुन्ने के
मग्गे में चा पीत है?

अमीर लोगन की महिमा
अपरंम्म् पार है
सोना खात हैं
सोना हगत हैं
छगनवा की अम्मा!

रोटी कमाने के लिए हाडतोड़ मेहनत

मुकेश जी को बताया मैं भारत के उन लाखों लोगों में से हूं, जिन्हें रोटी कमाने के लिए मुकेश जी! हाड़तोड़ मेहनत करना पड़ती है। वह बोले ’अगर तुम मुझ पर विश्वास करो तो मैं तुम्हें अच्छा खाना खिलाऊंगा और फिर मेरी तरह सोना।’ इस पर मैंने पूछा ’उसके लिए मुझे क्या करना होगा?’ इस सवाल का जवाब नहीं आया। वह बोले आप रिलायंस समूह में शामिल हों और प्रतिदिन समाप्त करें।’ मैंने कहा ’उसके लिए पैसा कहां से आएगा?’

जीओ रिचार्ज महंगा है

मुकेश जी से कहा कि ’आपका जीओ रिचार्ज भी बहुत महंगा है। तीन माह का 749 रूपए।’ यह कम होना चाहिए।’ मेरी इस बात का भी मुकेश जी कोई जवाब नहीं दिया। हो सकता है वैचारिक मंथन के बाद इस महंगे वाउचर को सस्ता कर दें। अगर ऐसा किया तो बहनों भाइयों! इसका श्रेय मुझे मिलेगा या नहीं? यहां एक बात और मुकेश जी के समक्ष मैंने यह मांग भी कर डाली कि आप जब मुझे दोस्त बना चुके हैं और यदि असल में धीरू अंबानी जी के सुपुत्र हैं तो कृपया आजीवन फोकट में मेरा मोबाइल रिचार्ज करा दिया करें। देखें! उनका क्या जवाब आता है।

इकलौती बेटी भी बनी दोस्त

यहां एक बात और मुकेश जी से दोस्ती के पहले उनकी इकलौती बेटी ईशा अशोक मेरी दोस्त बन चुकी हैं। उनसे दोस्ती की शुरूआत 20 अप्रैल 2024 से हुई। उन्होंने खुद बताया  वह मुकेश अंबानी की इकलौती बेटी हैं। उन्हें भी अपनी वहीं कविता भेज चुका हूं। शायद उन्होंने ही कहा होगा कि रतलाम में एक कवि रहता है जिसने आपके बेटे और मेरी भइया की सगाई को लेकर एक तीखी लेकिन मिर्च लगने लायक झन्नाट कविता लिखी है। तभी तो उनके पिताश्री ने मुझे दोस्ती का प्रस्ताव भेजा। लेकिन मजे की बात है वह कविता पढ़ने के बावजूद इन लोगों को बुरा नहीं लगा। इसके बजाए दोस्ती बनाए हुए हैं। शायद अंबानी परिवार की व्यावसायिक सफलता का राज भी यही होगा कि रेत से भी तेल निकल आने की उम्मीद नहीं छोड़ना चाहिए।

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