साहित्य सरोकार : एग्रीमेंट

उससे कहा हम लिव इन में रह रहे हैं काहे का बेबी?एग्रीमेंट नहीं हुआ था बेबी के लिए। बेबी चाहिए तो माँ बाप से बोलो शादी करवा दे।

इन्दु सिन्हा”इन्दु”

मैंने पहले ही कहा था,शादी समय पर कर दो,अब भुगत रहे हो नाक कटवा रखी है परिवार की। कोई मेरी सुने तब ना–।
मिसेज मर्चेंट गुस्से में थी।

अरे, क्या शादी शादी की रट लगा बैठी हो। मिस्टर मर्चेंट चिल्लाए। शादी के अलावा भी कुछ काम करें या नहीं?तुम्हारी बेटी कॉलेज में प्रोफेसर है। अपना रुतबा है।
अच्छा कैसा रुतबा है सब जानते हैं पिछले चौदह,पंद्रह साल से अपने साथी प्रोफेसर नवल के साथ लिव इन –।में रह रही है।
अरी मूरख, नया जमाना है मिस्टर मर्चेंट बोले कहीं कोई प्रॉब्लम हुई क्या? ये सोच, प्रॉब्लम तो नहीं हुई, मिसेज मर्चेंट बोली, हो गई प्रॉब्लम मॉम, कहते हुए चालीस वर्षीया जेनी लगभग रोती हुई घर में घुसी। अपनी माँ मिसेज मर्चेंट के गले लगकर रोने लगी।  क्या हुआ?क्या हुआ?मिसेज मर्चेंट घबरा गई।


माँ तुम सही बोलती थी,शादी समय पर करो।
कुछ तो बोल मिस्टर मर्चेंट भी अब घबरा गए।
मॉम मैंने नवल से कहा कि हम एक बेबी प्लान कर लेते हैं। तो उससे कहा हम लिव इन में रह रहे हैं काहे का बेबी?एग्रीमेंट नहीं हुआ था बेबी के लिए। बेबी चाहिए  तो माँ बाप से बोलो शादी करवा दे। लिव इन –।  में बेबी, वेबी नही होते। इंजॉय करो, मन हो तो रहा नहीं तो दूसरा पार्टनर देखो।

इन्दु सिन्हा “इन्दु”
रतलाम (मध्यप्रदेश)

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