कला सरोकार : ‘युगबोध’ के दो नाटकों से नन्हें कलाकारों ने दिया बड़ा संदेश
⚫ नाट्य मंचन के साथ हुआ प्रशिक्षण शिविर का समापन
हरमुद्दा
रतलाम, 9 जून। युगबोध नाट्य संस्था द्वारा एक माह से आयोजित किए गए ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य प्रशिक्षण शिविर का समापन दो नाटकों के मंचन के साथ हुआ । नन्हें कलाकारों ने बड़ा संदेश देते हुए उपस्थित जनों से आग्रह किया कि अपने बच्चों को मोबाइल से बचाएं और भोजन की बर्बादी को रोकें।
महाराष्ट्र समाज भवन में आयोजित नाट्य मंचन में अतिथि के रूप में रंगकर्मी और महाराष्ट्र समाज शारदा मंडल के पदाधिकारी संजय लोणकर एवं धनंजय नारले मौजूद थे । संस्था अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया।
मुन्ना मोबाइल ने किया सचेत
समारोह में आशीष दशोत्तर द्वारा लिखित दो नाटकों का मंचन किया गया। पहले नाटक ‘मुन्ना मोबाइल’ ने हालात की नब्ज़ पर हाथ रखा। मोबाइल की बढ़ती प्रवृत्ति पर आधारित इस नाटक में नन्हें कलाकारों ने संदेश दिया कि मोबाइल की बढ़ती लत के कारण कितने ही परिवार टूट रहे हैं, बच्चे बिगड़ रहे हैं और समाज में दूरियां बढ़ रही है। यदि इस बिखराव को रोकना है तो मोबाइल की बढ़ती प्रवृत्ति पर हमें रोक लगाना होगा।
अन्न की बर्बादी,भूखी आबादी
नाटक ‘ समझो मेरे यार ‘ अन्न की बर्बादी पर आधारित रहा । कलाकारों ने इस नाटक में बताया कि जितना भोजन हम बर्बाद करते हैं उतने भोजन से करोड़ों लोग एक वक़्त का पेट भर सकते हैं । जितना अन्न हमारे भंडारों में ख़राब हो जाता है उतने अन्न से किसी छोटे देश की भूख शांत की जा सकती है । अन्य की बर्बादी रोकने के लिए समारोहों में कम से कम भोजन बनाना और भोजन को बचाना आवश्यक है।
इन कलाकारों ने प्रभावित किया
नाट्य मंचन में अपनी अदाकारी से नन्हें कलाकारों ने सबको प्रभावित किया । 6 से 14 वर्ष के ये कलाकार आश्रय पांचाल, मयूरेश भावे, ऋतुल कोठारी, कश्वी कटारिया, पीहू सोनी, अवनि शर्मा,आर्या शर्मा, चित्रादित्य सिसोदिया, अर्थ दशोत्तर, स्वर्णिम पांचाल, चित्राणी सिसोदिया, दूर्वा वत्स रहे। मंचन में सहयोग श्वेता कटारिया और सतीश भावे का रहा।
शिविर 2009 से नि:शुल्क लग रहा है
युगबोध के अध्यक्ष और दोनों नाटकों के निर्देशक, वरिष्ठ रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि बच्चों में रंग कर्म के प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से संस्था द्वारा वर्ष 2009 से प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है । यह शिविर पूर्णतः निःशुल्क रहता है। इसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नाट्य कर्म से संबंधित सभी पक्षों की जानकारी प्रदान की जाती है । इस दौरान जो नाटक तैयार किए जाते हैं उनका मंचन होता है । इस प्रयास में शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार, रंगकर्मी एवं समाजसेवी अपना सहयोग प्रदान करते हैं यह सुखद है । नई पीढ़ी को संवारने से ही हमारे शहर का रंगकर्म जीवित रह सकेगा। इस अवसर पर अतिथियों ने भी नन्हे कलाकारों को अपनी शुभकामनाएं प्रदान की।
बाल कलाकारों का किया सम्मान
नाट्य मंचन करने वाले कलाकारों को लायंस क्लब, शिक्षक सांस्कृतिक मंच के दिनेश शर्मा एवं समाजसेवी महेश केवानी द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन सतीश भावे ने किया। आभार आशीष दशोत्तर ने व्यक्त किया।