धर्म संस्कृति : ‘बंधु बेलड़ी गुरुवर का साया मिला.. हमारा बेटा राज करेगा …’
⚫ नूतन मुनिराज श्री सिद्धर्षिचन्द्रसागर जी म.सा. के निवास क्षेत्र में झलक पाने को रहवासी उमड़े
⚫ दादा नगीनचंद्र ने ही रखा था पोते का नाम संयम
⚫ इकलौते पोते को साधु वेश में देखकर दादा की भर आईं आंखे ख़ुशी से
⚫ स्वयं के आंगन में माता – बहन ने मंगल कलश लेकर परिक्रमा की तो दादा और पिता ने वंदन कर लिया आशीर्वाद
हरमुद्दा के लिए नीलेश सोनी
रतलाम,13 जून। जिस कॉलोनी की सडकों पर खेलते – कूदते और धमाल मचाते थे..आज उसी सड़क से जब नूतन मुनिराज श्री सिद्धर्षिचन्द्रसागर जी म.सा. के रूप में गुजरे तब हर घर के बाहर गहुली, वन्दनवार सजाकर और अक्षत से स्वास्तिक बनाये गये । उनके दर्शन वंदन के लिए रहवासी उमड़ पड़े । स्वयं के आंगन में माता – बहन ने मंगल कलश लेकर परिक्रमा की तो दादा और पिता ने वंदन कर आशीर्वाद लिया ।
यह भावविव्हल कर देने वाला दृश्य काटजू नगर और वेद व्यास कॉलोनी में गुरुवार को सुबह सुबह देखने को मिला । अवसर था – बुधवार को जैन दीक्षा ग्रहण कर मुमुक्षु संयम पालरेचा अब नूतन मुनिराज पूज्य श्री सिद्धर्षिचन्द्रसागर जी म.सा.का अपने सांसारिक निवास पर प्रथम मंगल पदार्पण । वे विरति वाटिका दीनदयाल नगर से कोई तीन कि.मी. से अधिक का पैदल विहार कर अपने गुरु आचार्य श्री बंधु बेलड़ी प्रशिष्यरत्न गणिवर्य श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा. एवं साध्वी श्री रत्नरिद्धीश्रीजी म.सा. की निश्रा एवं समाजजनों के साथ चल समारोह के साथ आए । मार्ग में दीनदयाल नगर, टाटा नगर, राजेन्द्र नगर, काटजू नगर सहित अन्य क्षेत्रों में नूतन मुनिराजश्री की झलक पाकर लोगों ने उनके संयम जीवन की अनुमोदना की ।
दादा ने ही किया था संयम नामकरण
निवास पर सबसे पहले उनके दादा नगीन कुमार पालरेचा ने दर्शन वंदन कर कुशलक्षेम पूछी। साधु वेश में अपने इकलौते पोते को देखकर दादा की ख़ुशी से आँखे भर आई। उन्हें संयम नाम दादा ने ही दिया था, जिसे उन्होंने 20 वर्ष की वय में सार्थक कर दिखाया । निवास पर माता -पिता कविता प्रवीण पालरेचा, बहन लब्धि तिलक सिसोदिया आदि परिजनों एवं नवकारसी के लाभार्थी काटजू नगर श्रीसंघ ने उनकी आत्मीय आगवानी की । नूतन मुनिराज के साथ परिजनों ने भी दीक्षा दिवस पर उपवास का संकल्प लिया था।
पालरेचा परिवार का परम पुण्योदय
व्याख्यान की शुरुआत माता और बहन ने मंगल गीत ‘बंधु बेलड़ी का साया मिला.. हमारा बेटा राज करेगा …’ से करवाई । गणिश्री ने कहा कि अब संयम की यात्रा पूर्ण हुई और सिद्धर्षि की यात्रा आरम्भ होती है । जैन धर्म में जिस भी परिवार से अपनी संतान को धर्म की सेवा के लिए समर्पित किया जाता है । वह उस परिवार का परम पुण्योदय होता है । इनकी दीक्षा से प्रेरणा लेकर सभी अपने पाने जीवन में कोई न कोई नियम लेकर धर्म आराधना के पथ पर आगे बढ़ने का संकल्प लेवे । सर्वविरति के सामने सभी भोग नश्वर होते है । प्रभावना के लाभार्थी मणिलाल सिसोदिया परिवार एवं प्रकाश चौधरी परिवार नागदा रहे ।
मृदुल धाम पर दर्शन वंदन
निवास पर पगलिये करने बाद सभी गाजे बाजे और चल समारोह के साथ काटजू नगर स्थित मृदुल धाम पर पहुंचे । महिला मंडल ने दीक्षा उपकरण की प्रतिकृति के साथ मंगल स्तवन “काटजू नगर ने नंदन.. कोटि कोटि वंदन…” आदि सुनाए। गुरु भगवंत के साथ नूतन मुनिराज ने प्रभु के दर्शन और वन्दन किए। काटजू नगर से ही 12 दिवसीय दीक्षा महोत्सव की शुरुआत और यही समापन होना एक सुखद संयोग बन गया है। शाम को यहां से उन्होंने श्री करम चंद उपाश्रय हनुमान रूंडी के लिए विहार किया
तीन चार दिन से खाना पीना छोड़ दिया
जीव मैत्री परिवार के सदस्य रहे नूतन मुनिराज का मूक प्राणियों की खूब सेवा करते थे। कुछ साल पहले वे एक घायल श्वान के बच्चे को वे लहुलुहान अवस्था में इलाज के लिए घर ले आये थे । एक महीने तक उसका इलाज करवाकर उस ‘जीव’ को नया जीवन दिया और तभी से उनकी उससे ‘मैत्री’ हो गई । वह श्वान आज भी उनके आंगन में परिवार के सदस्य सा रहता है । दोनों का आपस में बहुत प्रेम रहा। परिजन बताते हैं कि उसने पिछले तीन चार दिन से खाना पीना छोड़ दिया है। गुमसुम सा रहता है और संयम भाई को खोज रहा है। आज जब नूतन मुनिराज घर पहुंचे तब भी वह सभी को कौतुहलपूर्ण नजरों से सभी को देख रहा था।