दिल से… : उत्तराखण्ड दुर्घटना पर दिल छूने वाला गीत – बेटे की अर्थी का बोझा, बाप जहां भी उठाता है, बीतती क्या है उस दिल पर, यह सोचकर दिल डर जाता है
⚫ बेटे की अर्थी का बोझा, बाप जहां भी उठाता है, बीतती है क्या उस दिल पर, यह सोच के दिल डर जाता है।⚫
⚫ डॉक्टर सलोनी चावला
बेटे की अर्थी का बोझा, बाप जहां भी उठाता है,
बीतती है क्या उस दिल पर, यह सोच के दिल डर जाता है।
हादसे होते हैं दुनिया में, लोग भी सुनते रहते हैं,
उनके लिए यह खबर है, लेकिन सहने वाले सहते हैं।
एक ही पल में उजियारा क्यों अँधियारा बन जाता है,
बेटे की अर्थी का बोझा बाप जहां भी उठाता है।
मात पिता किस नाज़ से उसका पालन पोषण करते हैं,
काल के आगे किसकी चली है, बच्चे जवान भी मरते हैं।
नौजवान हँसमुख सा कोई, मिट्टी में मिल जाता है,
बेटे की अर्थी का बोझा बाप जहां भी उठाता है।
पूत – चिता नहीं, अपने अरमानों को आग वह देते हैं,
जीवन भर का दर्द वो जाने किस शक्ति से झेलते हैं।
छीन लिया जिसको, रब उसको खुश रखना दिल मांगता है।
बेटे की अर्थी का बोझा बाप जहां भी उठाता है।
बीतती है क्या उस दिल पर, यह सोच के दिल डर जाता है।
छीन लिया जिसको, रब उसको खुश रखना दिल मांगता है।
(हादसे में मेरे स्कूल सहपाठी के जवान बेटे की हुई अकाल मृत्यु को समर्पित यह गीत)
⚫ डॉक्टर सलोनी चावला