जनता का फूटा आक्रोश : अर्थी रखकर लगाए नारे कलेक्टर मुर्दाबाद, नगर निगम आयुक्त मुर्दाबाद, महापौर मुर्दाबाद, नगर निगम की भेंट चढ़ गया एक मां का लाल
⚫ आर्थिक सहायता की मांग को लेकर नगर निगम आयुक्त, एसडीएम, तहसीलदार से नहीं बनी बात
⚫ आक्रोशित लोगों की एक ही मांग शहर से हटाए जाए मवेशी
⚫ तबेलो पर चलाएं बुलडोजर
⚫ महापौर के आश्वासन पर उठी अर्थी
⚫ मृतक राजेश गुगलिया के हैं बुजुर्ग माता-पिता, उनका और कोई सहारा नहीं
हरमुद्दा
रतलाम, 25 सितंबर। सांड के हमले से घायल हुए राजेश गुगलिया की मौत के बाद बुधवार को संत रविदास तिराहे पर अर्थी रखकर लोगों ने जोरदार नारेबाजी की। कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त, विधायक, महापौर मुर्दाबाद के नारे लगाए। आक्रोशित लोगों की एक मांग थी कि शहर को मवेशियों से मुक्त किया जाए। तबेलों को तोड़ा जाए। गुगलिया परिवार को आर्थिक मदद दी जाए। क्षेत्रीय लोगों के साथ पार्षद भी चक्का जाम में शामिल हुए। आर्थिक सहायता देने और मवेशी मुक्त शहर करने की बात के बाद अर्थी उठाई गई और अंतिम संस्कार के लिए निकले।
बुधवार को जैसे ही खबर लगी की सांड के हमले से घायल हुए राजेश की मौत हो गई है, तब शहर के लोगों में भी आक्रोश पनप गया। लोग यही कहते नजर आए कि आज इनकी बारी तो कर उधर वालों की बारी है।
जब घर के लोग गमगीन थे। घर में राजेश का शव रखा हुआ था। बाहर आसपास के लोग बैठे हुए थे। मुक्तिधाम से लाई गई तरक्ति रखी हुई थी। सामान लेने गए हुए थे, तब तीन सांड उनके घर के सामने से ही निकले।
जिम्मेदार के खिलाफ लगाए मुर्दाबाद के नारे
शहर के दक्षिणी क्षेत्र तेजा नगर के बाहर तेलियां की सड़क पर 10:30 बजे से लोगों ने चक्का जाम शुरू किया। कमलेश खन्निवाल के साथ विनोद राठौड़, शैलेंद्र मांडोत, जगदीश शर्मा, महेश कटकानी, विजय गुगलिया, क्षेत्रीय पार्षद अक्षय संघवी, सुनील गांधी, रवि शर्मा, अशोक खांडेराव सहित दर्जनों महिला पुरुष जमा हो गए और नगर निगम के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। जिम्मेदारों के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए।
क्षेत्र के कमलेश ने बताया कि क्षेत्र में ही नहीं शहर भर में मवेशियों के कारण हर दिन कहीं ना कहीं घटना हो रही है। यहां तक की लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है। उस दिन भी राजेश और उनकी मां मोहन देवी के साथ ही तितरी के अमृतलाल पाटीदार को सांड ने घायल किया जिन्हें में स्वयं अस्पताल लेकर गया। मगर आज एक राजेश की मौत हो गई।
जब उसके बुजुर्ग माता-पिता है। घर में कमाने वाला और कोई नहीं है। इसलिए 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की मांग की जा रही है।
माता-पिता ने खो दिया बुढ़ापे का सहारा
बुजुर्ग माता-पिता का सहारा राजेश ही था। भरण पोषण वही करता था। जब कमाने वाला ही चला गया तो अब क्या होगा? इसलिए प्रशासन को जगाने के लिए चक्का जाम कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति ना हो।
⚫ अक्षय संघवी, पार्षद, नगर निगम रतलाम
तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर दिया निगम आयुक्त को ज्ञापन
चक्का जाम स्थल पर नगर निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट 11:09 पर आए। तब कमलेश ने उन्हें बताया कि सांड और मवेशियों के कारण सभी परेशान हैं। नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर के लोग घायल हो रहे हैं। नगर निगम के जिम्मेदार लोग मवेशी पकड़ने के लिए निकलने से पहले ही मवेशी मालिकों को फोन करके सूचना दे देते हैं और मवेशियों को गायब कर दिया जाता है। इन सब की बंदी बदी हुई है। नगर निगम द्वारा कार्रवाई करने वाले मैदानी कर्मचारी 1000 ₹1500 पशुपालकों से रुपए लेते हैं। ऐसे ही कर्मचारियों की मिली भगत और नगर निगम की लापरवाही की भेंट एक मां का लाल भेंट चढ़ गया। कई लोगों की जान चली गई है। हमारी यही मांग है कि शहर को मवेशियों से मुक्त किया जाए और पीड़ित गुगलिया परिवार को 10 लाख रुपए की राहत राशि दी जाए। आज के आज ही तबेलो पर बुलडोजर चलाया जाए। निगम आयुक्त श्री भट्ट को ज्ञापन भी दिया गया। इस दौरान तहसीलदार ऋषभ ठाकुर, आशीष उपाध्याय, आर आई शुभम तिवारी भी मौजूद थे।
एक तरफ जाकर चर्चा करने लगे अधिकारी
शहर एसडीएम अनिल भाना करीब 11:30 बजे आए। पीड़ित परिवार सहित अन्य लोगों ने उन्हें राहत राशि के लिए कहा तो उन्होंने जवाब दिया मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। यदि जहरीले जानवर से मौत होती है तो राहत राशि मिलती है। इसके बाद चक्का जाम कर रहे लोग और आक्रोशित हो गए। इधर नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी एक तरफ जाकर चर्चा करने लगे। वहीं कुछ छूट भैया नेता लोग भी अधिकारियों के पास भीड़ बना कर खड़े हो गए। इस दौरान तीखी नोंक झोंक भी हो गई।
ऐसा भी हुआ
11:32 पर तो यह स्थिति यह हो गई की चक्का जाम करने वाले स्थल पर गिनती के चार-पांच लोग ही थे और अवसर का लाभ उठाने वाले अधिकारियों के पास चले गए। उनसे बात करते रहे।
अर्थी लेकर आए मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए
नगर निगम और जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से जब बात नहीं बनी तो 11:45 पर संत रविदास चौराहे पर अर्थी लेकर आए। तब राम नाम सत्य है अथवा अन्य कोई उच्चारण नहीं हो रहा था, बल्कि मुर्दाबाद के नारे लगाए जा रहे थे। चक्का जाम स्थल पर महिलाएं भी कहने लगी जिम्मेदार अधिकारियों चूड़ियां पहन लो। मवेशियों के कारण हर दिन घटनाएं हो रही है मगर आप कुछ नहीं कर पा रहे हो। पशुपालकों को नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी ही शह दे रहे हैं। शहर पशुओं के कारण गंदा हो रहा है जिधर देखो उधर गोबर ही गोबर है।
शहर में घूमने वाली गायों के कारण ही सांडों का सड़कों पर जमघट लगा रहता है। यह भी कह सकते कि सांडों के कारण ही मवेशी मालिक गायों को उनके लिए छोड़ देते हैं। चक्का जाम स्थल पर नारेबाजी चलती रही। आक्रोशित लोगों ने अधिकारियों को चूड़ियां भी दिखाई।
आश्वासन के बाद निकल अर्थी लेकर
लोगों का आक्रोश फुट रहा था, तब 12 बजकर 2 मिनट पर महापौर प्रहलाद पटेल की गाड़ी आकर रुकी। मौजूद लोगों से बात की। उन्होंने आश्वस्त किया कि शहर को मवेशियों से मुक्त किया जाएगा। तीन दिन में कार्रवाई पूर्ण होगी। इसके पश्चात 12:09 पर अर्थी उठाई गई और अंतिम संस्कार के लिए ले गए।
2 लाख की होगी मदद
पीड़ित परिवार को करीब ₹200000 की मदद की जाएगी, जिसमें डेढ़ लाख जिला प्रशासन करेगा, वहीं 50000 मैं स्वयं अपनी निधि से पीड़ित परिवार को राशि भेंट करूंगा। नगर निगम द्वारा मवेशियों के खिलाफ 3 दिन में कार्रवाई की जाएगी। शहर को मवेशी मुक्त किया जाएगा।
⚫ प्रहलाद पटेल, महापौर, नगर निगम, रतलाम
सहायता के लिए भेजा जाएगा मुख्यमंत्री को प्रकरण
सांड से हमले की घटना में हुई मौत के मामले में जिला प्रशासन के पास राहत राशि देने का कोई अधिकार या प्रावधान नहीं है। सर्प दंश से या जहरीले किसी जानवर से मौत की घटना होती है तो राहत राशि दी जाती है। रेड क्रॉस सहित अन्य मद से एकत्र कर करीब डेढ़ लाख रुपए की राशि दी जाएगी। साथ ही मुख्यमंत्री सहायता के लिए भी प्रकरण भेजा जाएगा।
⚫ अनिल भाना, एसडीएम, रतलाम