संवाद में सीख लिए सेहत के सबक, सही जवाब ने दिलाई सौगात
हरमुद्दा
रतलाम, 5 अगस्त। सोमवार को छात्राओं से जानकारों ने सेहत की ज्ञानवर्धक बातें संवाद शैली में करते हुए छात्राओं को ऐसी जानकारी से लबरेज कर दिया जिससे न केवल उनका, अपितु आने वाली पीढ़ी का भी स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। सेहत के सबक सीख छात्राओं ने सही जवाब देकर अतिथियों से सौगात ली।
शासकीय कन्या महाविद्यालय में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा छात्राओं की सेहत के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राध्यापक मंगेश्वर जोशी, महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक प्रेरणा तोगड़े, एहतेशाम अंसारी, स्वस्थ भारत मिशन की भावना अरोरा, संभागीय पोषण समन्वयक आशीष पुरोहित उपस्थित थे।
सेहत से जुड़ी छोटी-छोटी किंतु उपयोगी बातें की
संभागीय पोषण समन्वयक आशीष पुरोहित ने छात्राओं से खान-पान के बारे में चर्चा करते हुए बातों ही बातों में उन्हें अपनी सेहत का ख्याल रखने और आने वाली पीढ़ी को क्या खिलाना चाहिए। इस तरह की सेहत से जुड़ी छोटी-छोटी किंतु उपयोगी बातें की। संवाद शैली में हुए आयोजन में किए सवालों के छात्राओं ने जवाब भी दिए।
खाना सेहत के लिए बहुत जरूरी लेकिन वह नहीं खाएं
स्वस्थ भारत मिशन की भावना अरोरा ने छात्राओं से चर्चा करते हुए कहा कि खाना सेहत के लिए बहुत जरूरी है। क्या खाएं, क्या न खाएं इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। बाहर का खाना न खाएं तो सेहत बेहतर बनी रहेगी। बाजार में सामग्री नहीं मिलती है। मिलावटी व घटिया मिलती है। स्वास्थ्य खराब करती है घर पर कचोरी, समोसा, पेटिस, पानी पतासे, सहित अन्य वस्तुएं जो बनाई जाती है, उसमें भी जिस सामग्री का उपयोग किया जाता है, वह काफी घटिया रहती है। बनाने में पसीना टपकता है, स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता है। यह सब बात हम सभी जानते हैं। इसलिए इनको ना खाए, तो हम स्वस्थ रह सकते हैं। घर पर समय पर भरपूर भोजन लें। सभी चीजें घर की बनी हुई खाएं। सब प्रकार की सब्जियां लें, फल लें। इससे स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
जिम्मेदारी का करना है निर्वाह
पर्यवेक्षक प्रेरणा तोगड़े व एहतेशाम अंसारी ने छात्राओं से बातों ही बातों में कहा कि बड़ी होने पर नई जिम्मेदारी मिलेगी। शादी होगी, बच्चे होंगे, बच्चों की सेहत का ख्याल कैसे रखना है। छोटी-छोटी बातें बताते हुए कहा कि मां का दूध बच्चों के लिए काफी सेहतमंद रहता है। नवजात को जन्म के 1 घंटे के भीतर ही उन्हें दूध पिलाना आवश्यक होता है। इसके साथ ही 6 माह तक बच्चों को ऊपरी आहार न देते हुए सिर्फ और सिर्फ अपना ही दूध पिलाना चाहिए, ताकि बच्चा स्वस्थ, सेहतमंद और सुंदर रह सके। 6 माह के बाद पूरक आहार देने की शुरुआत होनी चाहिए। इसके पहले कुछ भी नहीं। पानी भी नहीं।
सबक सीखा कर किए सवाल
आयोजन में स्वस्थ भारत मिशन की भावना अरोरा ने उपस्थित छात्राओं से सवाल किए। छात्राओं ने उत्साह एवं उमंग के साथ न केवल प्रश्नों के जवाब दिए अपितु उनकी पूरी व्याख्या भी की, कि यह जवाब क्यों सही है।
इन्हें मिले पुरस्कार
यूं तो प्रश्नोत्तरी के कार्यक्रम में हाथ उठाकर जवाब देने का नियम था। उसमें भी जिसका हाथ पहले उठा, उससे जवाब सुना गया। जवाब तो अधिकांश को पता थे, मगर जो एकदम हाथ उठाकर तैयार थे, उन्हें पुरस्कार के लिए चुना गया। पुरस्कार प्राप्त करने वाली छात्राओं में निशा लबाना, श्रुति सोलंकी, आस्था जैन, दिव्या खंडेलवाल, सोनू पांचाल थीं। अतिथियों ने पुरस्कार प्रदान किए।