विश्व उपभोक्ता दिवस 15 मार्च : उपभोक्ता न्यायालय में जाने की प्रक्रिया में जटिलताएं

उस पद्धति को वर्तमान में भी आधुनिक तकनीक के साथ जारी रखा जाना आवश्यक है, जिससे उपभोक्ता जागरूक होने के साथ ही सहज एवं सरल तरीके से परिवाद प्रस्तुत कर सके, क्योंकि भारत में अधिकांश उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्र से होकर उक्त तकनीक से अनभिज्ञ रहते हैं।
सुनील पारिख
देश दुनिया में 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है जिसमें उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए कई पहल एवं प्रयास किए जाते हैं किंतु उपभोक्ताओं के लिए बनने वाली योजनाओं में उपभोक्ताओं को ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उपभोक्ता न्यायालय में जाने के लिए पहले सीधे परिवाद दायर किया जा सकता था किंतु कुछ वर्षों से ई दाखिला ऑनलाइन प्रक्रिया प्रारंभ की गई। पश्चात 24 दिसंबर 1924 ई दाखिला की जगह ई जागृति एप प्रारम्भ की गई जो वर्तमान समय में सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है जिससे उपभोक्ताओं को प्रकरण प्रस्तुत करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऑनलाइन के साथ ही हार्ड कॉपियां भी ली जा रही है जिससे उपभोक्ताओं को परिवाद प्रस्तुत करने में अनावश्यक आर्थिक बोझ है। ऑनलाइन प्रक्रिया भी सिर्फ आवेदक को ही अपनाना होती है। अपने जवाब व आवेदन हार्ड कॉपी के रूप में ही प्रस्तुत करते हैं जो आश्चर्य जनक होकर मात्र आंकड़े दर्शाने की पूर्ति मात्र है।
परेशानी उत्पन्न होने लगे तो सहज और सरल न्याय संभव नहीं
वास्तव में जब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया गया था, तब उसकी मंशा यह थी कि इस अधिनियम के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके क्योंकि यह अधिनियम सामाजिक लाभ प्राप्ति के लिए बनाया गया है किंतु वर्तमान में आधुनिक पद्धति के नाम पर उपभोक्ताओं को न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने में ही कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वर्ष 2024. में पुनः जागो ग्राहक जागो एप जागृति एप जागृति डेस्क बोर्ड का शुभारंभ किया है। ऑनलाइन प्रक्रिया वर्तमान समय में अच्छी बात हो सकती है किंतु यदि प्रक्रिया में परेशानी उत्पन्न होने लगे तो सहज और सरल न्याय संभव नहीं हो पाता है
तकनीक से होते हैं अनभिज्ञ
परिवाद हार्ड कॉपी में ही लिया जाना चाहिए जैसा की अधिनियम बनने के समय कहा गया था कि यह सहज एवं सरल प्रक्रिया अनुसार होगा। उस पद्धति को वर्तमान में भी आधुनिक तकनीक के साथ जारी रखा जाना आवश्यक है, जिससे उपभोक्ता जागरूक होने के साथ ही सहज एवं सरल तरीके से परिवाद प्रस्तुत कर सके, क्योंकि भारत में अधिकांश उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्र से होकर उक्त तकनीक से अनभिज्ञ रहते हैं।

एडवोकेट सुनील पारिख, उपभोक्ता मामलों की जानकार एवं स्वैक्षिक उपभोक्ता स्टडी सर्कल संगठन के अध्यक्ष