सामाजिक सरोकार : विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस पर दिव्यांग विद्यालय में किया जागरूक

रतलाम ऑबसेट्रिक एंड गायनिक सोसायटी द्वारा आयोजन
डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक विकार है जो बच्चे के जन्म से पहले होता
बड़ी उम्र में शादी करने से होता है डाउन सिंड्रोम
हरमुद्दा
रतलाम, 21 मार्च। विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के अवसर पर रतलाम ऑबसेट्रिक एंड गायनिक सोसायटी द्वारा पोलो ग्राउंड स्थित जन चेतना परिषद द्वारा संचालित दिव्यांग विद्यालय में नागरिकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में बच्चों ने सोसायटी अध्यक्ष डॉ सुनीता वाधवानी , सचिव डॉ अदिति राठौर , डॉ राजकुमारी पुरोहित , समाजसेवी सविता तिवारी व स्कूल अध्यक्ष एम एल दुबे का स्वागत बच्चों ने किया। इस अवसर पर उपस्थित पालकों की जिज्ञासा का समाधान डॉक्टरो ने किया। बच्चों को मनोरंजन के साधन तथा उपयोगी वस्तुएं प्रदान की।

डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक विकार है जो बच्चे के जन्म से पहले होता
उपस्थित नागरिकों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष डॉ. सुनीता वाधवानी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उन बच्चों और वयस्कों को समर्पित है जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं। डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक विकार है जो बच्चे के जन्म से पहले होता है। यह विकार बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में सीखने और समझने की क्षमता कम होती है, लेकिन वे प्यार, समर्थन और देखभाल के साथ सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकते हैं।
बड़ी उम्र में शादी करने से होता है डाउन सिंड्रोम
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि डाउन सिंड्रोम का एक कारण बड़ी उम्र में शादी करना भी हो सकता है। जब माता-पिता की उम्र अधिक होती है, तो उनके बच्चे में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि युवाओं को डाउन सिंड्रोम के बारे में जागरूक किया जाए और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
जागरूकता फैलाना जरूरी
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस का उद्देश्य डाउन सिंड्रोम के बारे में जागरूकता फैलाना और समाज में उनके लिए समावेशी और स्वीकार्य वातावरण बनाना है। यह दिवस हमें उन बच्चों और वयस्कों के प्रति समर्थन और प्यार दिखाने का अवसर प्रदान करता है, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
पीड़ितों को प्यार, समर्थन और दे सम्मान
सचिव डॉ. अदिति राठौर ने कहा कि हमें डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को प्यार, समर्थन और सम्मान देना चाहिए। हमें उनकी क्षमताओं को पहचानना चाहिए और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करनी चाहिए। हमें समाज में उनके लिए समावेशी और स्वीकार्य वातावरण बनाना चाहिए।
समावेशी और समर्थनकारी समाज बनाना जरूरी
समाजसेवी सविता तिवारी ने कहा कि डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में कोई एक विशेषता होती है, उसे विशेषता को पहचानना चाहिए। उसे विकसित करना चाहिए। डॉ. राजकुमारी पुरोहित ने कहा कि ऎसे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। अतः उसकी पूरा इलाज करवाना चाहिए, हम सबको मिलकर एक समावेशी और समर्थनकारी समाज बनाना है।
यह थे मौजूद
कार्यक्रम में अनुराधा खाबिया, उषा तिवारी, रूपा पाल, सोनू पांचाल, कमलेश नारोलिया, रामचंद्र गोखले, ऋषिका चौहान आदि मौजूद थे। संचालन शशि सिंह ने व आभार डॉ अदिति सिंह ने माना ।