न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने सिखाया सबक: शिक्षा, समर्पण, परिश्रम, संस्कार व धैर्य से आता है पेशे में निखार
हरमुद्दा
रतलाम, 17 अगस्त। उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने शनिवार को वरिष्ठ अभिभाषकों के सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं से कहा कि चाहे आप युवा वर्ग अभिभाषक हो या फिर न्यायाधीश, इस पेशे में निखार तभी आता है, जब व्यक्ति समर्पण, परिश्रम, शिक्षा, संस्कार, और धैर्य के साथ अपने कर्म को करें। जो युवा इन्हें जज्बे के साथ जीवन में अपनाएगा, वह निरन्तर सफलता प्राप्त करेगा।जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री शोभा पोरवाल की अध्यक्षता में अमृत गार्डन हुए भव्य एवं गरिमामयी आयोजन में मंच पर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार, सचिव प्रकाशराव पंवार मौजूद थे।
अपने पेशे में बनाए विश्वास, मर्यादा में करें बहस
सरल, सहज मिलनसार व्यक्तित्व के धनि न्यायमूर्ति श्री आर्य ने न्यायाधीशों और अभिभाषकों से आह्वान किया कि वे अपने पेशे में विश्वास बनाए रखें।अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहें। उन्होंने कहा कि मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए बहस करें। मुकदमे की पूरी तैयारी करें। यही तालमेल हमें आगे तक ले जाता है। कानून के बारे में जितना पढ़ते हैं, वह तो ठीक है। लेकिन पढ़ने के साथ उसकी व्याख्या को समझना बेहद जरूरी है। अभिभाषक कभी भी जल्दबाजी नहीं करें। बाद में बहुत परेशानी आती है। न्यायाधीश फैसले छोटे और सटीक लिखें। लॉजिक के साथ कन्क्लूजन रखें।
मेहनत का कोई विकल्प नहीं
अभिभाषक और न्यायाधीश एक दूसरे के पूरक हैं। बार और बेंच में समन्वय जरूरी है। दोनों को साथ रहना है। सीखना है। निरन्तर पढ़ने और सीखने से ही आपका हौंसला बढ़ेगा। आप बेहतरीन न्यायाधीश और अभिभाषक बनेंगे। यह पेशा पापा की गद्दी नहीं है कि मिल गई तो दुकान चल गई। पापा की गद्दी मिलने के बाद भी मेहनत तो करना होगी। मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। जज्बा है तो बुलंदी को अवश्य स्पर्श करेंगे।
ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता
जिला एवं सत्र न्यायाधीश शोभा पोरवाल ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने ललक हमेशा रखे। ज्ञान कभी भी व्यर्थ नहीं। अपने वरिष्ठों से अनुभवों का लाभ लें।
न्याय यात्रा के सफर में अर्ध शतक लगाने वाले वरिष्ठ अभिभाषक हुए सम्मानित
पावस ऋतु के सुहाने मौसम में न्यायमूर्ति श्री आर्य के हाथों न्याय यात्रा के सफर में अर्ध शतक लगाने वाले वरिष्ठ 16 अभिभाषकों का सम्मान जिला अभिभाषक संघ के बैनर तले हुआ। समारोह में अभिभाषक लालचंद उबी, एमए खान, बद्रीलाल रावतिया, चन्द्रसिंह पंवार, विजय स्टीफन, यशवन्त सिंह सिसौदिया, पारसमल भरगट, भगवतीशंकर जोशी, भेरुलाल शर्मा, जीएस लश्करी, पूनमचंद पाटीदार, जमीरुद्दीन फारुकी, बाबूलाल मेहता और सुरेशचन्द्र केलवा को न्यायमूर्ति श्री आर्य ने शाल ओढ़ाकर श्रीफल व अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया। स्वास्थ्यगत समस्या के चलते मदनसिंह चौहान व रतिचंद चौहान नहीं आ सके। इनका सम्मान पुत्र क्रमशः धर्मेंद्र चौहान व ओमप्रकाश चौहान ने प्राप्त किया।
नहीं हुआ डिस्पोजल का उपयोग
अभिभाषकों के सम्मान समारोह की खासियत यह रही कि पूरे कार्यक्रम में डिस्पोजल का उपयोग नहीं हुआ। कलश से पानी पिलाया गया। प्लास्टिक का एक कतरा भी नजर नहीं आया। प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के आह्वान का पालन किया गया।
किया अतिथियों का स्वागत
मंचासिन अतिथियों का स्वागत करने का मौका कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश अनिलकुमार भाटिया, संघ के राजीव ऊबी, विकास पुरोहित, अमीन खान, निर्मल कटारिया, प्रकाश मजावदिया, चंद्रप्रकाश मालवीय, सुनीता वासनवाल, आशुतोष अवस्थी सहित अन्य को मिला।
सम्मानकर दिया स्मृतिचिह्न
न्यायमूर्ति श्री आर्य का जिला अभिभाषक संघ ने शाल, श्रीफल के साथ विरुपाक्ष महादेव की तस्वीर स्मृतिचिह्न के रूप में भेंटकर स्वागत किया।
दीप प्रज्ज्वलन से शुरुआत
अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह की शुरुआत की। स्वागत उद्बोधन जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री पाटीदार ने दिया। प्रारंभ में सरस्वती वंदना व अंत में वंदे मातरम सरस्वती शिशु मंदिर की छात्रा अंजलि पाटीदार व दीपिका पाटीदार ने प्रस्तुत की। संचालन रंगकर्मी व सेवानिवृत्त जिला अभियोजन अधिकारी अभिभाषक कैलाश व्यास ने किया। आभार संघ सचिव प्रकाशराव पंवार ने माना।
हरमुद्दा के लिए छायाकार: शुभ दशोत्तर
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