एक बार फिर गैर जिम्मेदार साबित हुए नगर के जिम्मेदार, आयुक्त व महापौर ने नहीं बनाई सफाई के लिए कार्य योजना, शहर में पसरा रहा कचरा
हरमुद्दा
रतलाम, 25 अगस्त। स्वच्छता अभियान की सामूहिक रूप से धज्जियां उड़ाई नगर निगम के आयुक्त व महापौर सहित अन्य जिम्मेदारों ने। एक बार फिर जिम्मेदार लोगों ने गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया। दो बत्ती क्षेत्र सहित शहर के बाजार कचरे से पटे रहे। शाम तक देखा कि अब सफाई हो जाए, लेकिन ध्यान नहीं दिया।
शनिवार की रात वाल्मीकि समाज ने अपने आराध्य देव गोगादेव जी चौहाण का उत्सव उल्लास व उमंग के साथ मनाया। शहर में छड़ी व झाकियां निकली। यात्राओं का समागम दो बत्ती चौराहे पर हुआ।
यत्र, तंत्र सर्वत्र पसरा रहा कचरा
माणक चौक का सब्जी बाजार
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धानमंडी क्षेत्र
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दो बत्ती क्षेत्र
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पूरी रात समाजजन उत्सव में शामिल रहे नतीजतन रविवार को उनका सामूहिक अवकाश रहा। शहर में कचरा यत्र, तंत्र सर्वत्र पसरा रहा। शहर के दुकानदारों ने भी दुकानों से कचरा निकाल कर सड़क पर फेंक दिया। कचरा इधर से उधर होता रहा लेकिन किसी ने कचरा उठाकर उसे डस्टबिन में डालने की जरूरत नहीं समझी।
नहीं बनाई कार्ययोजना
शहर की सफाई कैसे होगी, इस बात पर चिंतन, मनन व मंत्रणा नहीं हुई। रविवार को सभी सफाई कर्मी नहीं आएंगे। यह बात पहले से पता थी, लेकिन नगर निगम के आयुक्त व महापौर ने इस मुद्दे को लेकर कोई कार्ययोजना नहीं बनाई कि रविवार को शहर की सफाई कैसे होगी।
उनका भी नहीं लिया सहयोग
शहर में कई सारी सामाजिक संस्थाएं हैं। एमजीओ हैं जो कि समाज सेवा का दम्भ भरते हैं। झाड़ू लेकर सड़क पर आते हैं और फोटो खिंचवा कर झांकी बाजी करते हैं। प्रसिद्ध होने की इच्छा रखते हैं लेकिन जब काम होता है, वे आगे नहीं आते है। तब वे सामाजिक समरसता का सबक भूल जाते हैं। जिम्मेदारों ने उनसे भी सहयोग नहीं मांगा। शहर से किसी को भी सरोकार नहीं रहा।
आखिर सबक क्यों नहीं सीखते
इंदौर में भी रात भर उत्सव मनाया गया लेकिन वहां के आयुक्त और महापौर ने पहले ही कार्य योजना बना ली थी और करीब 300 से अधिक लोगों को सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी थी, उन्हें पता था कि रविवार को हमारे सफाई कर्मी अवकाश पर रहेंगे। शहर की सफाई व्यवस्था को प्रभावित नहीं होने दिया। उनकी दूरदर्शिता ने शहर को साफ एवं स्वच्छ बनाए रखा उन्होंने शहर की सामाजिक संस्थाओं तथा एनजीओ से सहयोग लेकर अपने इंदौर को स्वच्छ सुंदर बनाए रखा। रंग पंचमी के दिन भी मात्र 2 घंटे में सफाई करने वाले शहर को चकाचक कर दिया था। यह महापौर और आयुक्त की दूरदर्शिता और शहर के प्रति जिम्मेदारी का उदाहरण है कि वे हर समय अपने शहर के बारे में सोचते हैं और तैयार रहते हैं। आखिर यहां पर जिम्मेदार वह सब क्यों नहीं सीखते, यह विचारणीय है।
महापौर का मोबाइल बंद, आयुक्त की आवाज साफ नहीं आई
जब “हरमुद्दा” ने सफाई नहीं होने के मुद्दे पर महापौर से संपर्क किया तो मोबाइल बंद था। आयुक्त एसके सिंह ने फोन उठाया लेकिन आवाज साफ नहीं आ रही थी। उनका यही जवाब था कि गोगानवमीं उत्सव के कारण रविवार को वे काम पर नहीं आए।