प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाला: निगम अधिकारियों के विरुद्ध जांच के लिए समिति का गठन, पूर्व निगमायुक्त झारिया अध्यक्ष
हरमुद्दा
रतलाम, 6 सितंबर। प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए घोटाले को लेकर संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास मध्यप्रदेश भोपाल ने कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा दिए गए आदेश व जांच प्रतिवेदन के आधार पर नगर पालिक निगम के दोषी अधिकारियों – कर्मचारियों के विरुद्ध जांच किए जाने के लिए समिति का गठन किया गया है। इस समिति के अध्यक्ष सोमनाथ झारिया संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल संभाग, उज्जैन व सदस्य सचिव हंस कुमार जैन नगर प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल सम्भाग, उज्जैन को नियुक्त किया गया है। इस सम्बन्ध में संचालनालय की अपर आयुक्त मीनाक्षी सिंह द्वारा 3 सितंबर 2019 को आदेश कर दिए गए हैं। शिकायतकर्ता ममता श्रीवास्तव के अधिवक्ता अमित कुमार पांचाल ने “हरमुद्दा” को बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाले को लेकर शिकायतकर्ता ममता श्रीवास्तव ने कलेक्टर सहित पुलिस अधीक्षक को सर्वप्रथम शिकायत की गई थी।
शिकायत पर हुई थी जांच
कलेक्टर ने ममता श्रीवास्तव की शिकायत पर एसडीएम से जांच करवाई थी, जिसमें पाया गया कि नगर निगम के कार्य में घोर लापरवाही की गई थी। पात्रता सूची निर्धारण के पश्चात यह सूची दो प्रतिलिपियों में नगर निगम एवं सैडमेप के पास होती है। नगर निगम द्वारा भुगतान के लिए प्रस्ताव से लेकर भुगतान होने तक कई अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई थी। यदि इनमें से किसी भी एक अधिकारी ने अपने कार्य को बिना लापरवाही के किया होता तो इस प्रकार की वित्तीय अनियमितता होना असम्भव था।
तो यह वित्तीय अनियमितता नहीं होती
नगर निगम के उपयंत्री, प्रभारी सहायक यंत्री, कार्यपालन यंत्री, लेखापाल, रेसिडेन्ट ऑडिट विभाग एवं आयुक्त द्वारा यदि रेण्डम आधार पर भी सूची का मिलान किया होता तो यह वित्तीय अनियमितता नहीं होती।
निगम के अधिकारियों की घोर प्रशासनिक लापरवाही
इस जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि जिला कोषालय अधिकारी द्वारा भी अपनी जांच निष्कर्ष में कार्यपालन यंत्री, प्रभारी सहायक यंत्री, उपयंत्री एवं आयुक्त सभी अधिकारियों की कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में रखा है और नगर निगम के अधिकारियों की घोर प्रशासनिक लापरवाही इस मामले में है। एसडीएम द्वारा कलेक्टर को सोंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने 19 मार्च 2019 को आदेश पारित कर निगम अधिकारियों की गम्भीर लापरवाही बताई थी।
आदेश होना
हालांकि कि इस आदेश के पश्चात शिकायतकर्ता श्रीवास्तव व्दारा कलेक्टर द्वारा पारित आदेश को आरोपियों को बचाने का षडयंत्र बताया है। जिसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों सहित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी की गई है, जिस पर आदेश होना है।
उन्हें बचाने के लिए आदेश, जमानत भी हुई
कलेक्टर द्वारा पारित इस आदेश का लाभ इस घोटाले में गिरफ्तार किए गए निगम के दो उपयंत्रियों द्वारा जमानत के दौरान इस आदेश की प्रति पेश कर लेने का प्रयास किया गया और उनकी जमानत भी माननीय उच्च न्यायालय से हुई। शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत में बताया गया कि कलेक्टर ने आरोपियों निगम आयु्क्त एस.के. सिंह, कार्यपालन यंत्री सुरेशचन्द्र व्यास, लेखापाल, ऑडिटर को बचाने के लिए ही यह आदेश पारित किया था, जबकि यह सभी मामले में आरोपी हैं।