सांस्कृतिक आयोजन के नाम पर नगर निगम द्वारा एक बार फिर छलावा
हरमुद्दा
रतलाम, 7 सितंबर। श्री कालिका माता मेले के सांस्कृतिक आयोजन के बाद एक बार फिर नगर निगम के कर्ताधर्ताओं ने श्री सत्य वीर तेजाजी मेले में जनता के साथ सांस्कृतिक आयोजन के नाम पर छलावा किया है। यहां पर “नाचे कूदे बांदरी और खीर खाए फकीर” की कहावत चरितार्थ हो रही है। स्तरहीन भजन संध्या की खानापूर्ति तो हो गई है।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम द्वारा रामगढ़ में आयोजित श्री सत्य वीर तेजाजी मेले के तीन दिवसीय आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए 3 सितंबर के दैनिक भास्कर के रतलाम संस्करण के पृष्ठ क्रमांक 7 पर विज्ञप्ति प्रकाशित करवाई थी। इसके माध्यम से भाव पत्र आमंत्रित किए गए थे, जिसकी अंतिम तारीख 5 सितंबर शाम 4:00 बजे रखी गई थी। निविदा में भजन संध्या के लिए अधिकतम व्यय ₹70000, हास्य कवि सम्मेलन के लिए ₹90000 तथा श्री सत्य वीर तेजाजी की कथा के लिए ₹8000 तय किए गए थे। खास बात यह थी कि हास्य कवि सम्मेलन के लिए तय किए हुए कवियों के नाम भी प्रकाशित थे।
यह थे तय नाम
तय कवियों में इंदौर के राजीव शर्मा शाहजहांपुर के अशोकनगर मुंबई के सुरेश मिश्रा, पन्ना के शंभू सिंह मनहर, एस कुमार चंदपुरिया, भोपाल से दीपक दनादन, सतना से रविंद्र रवि, बनारस के चकाचौंध ज्ञानपुरी, बिना के सुनील समैया, बांरा की दीपिका माही, कोटा के अर्जुन अल्हड़, निंबाहेड़ा के शांति तूफान, देवास के कुलदीप रंगीला, निंबाहेड़ा के शंकर सुखवाल थे।
इतनी जल्दी संभव नहीं
“मुद्दे” बात तो यह है कि काफी दूर से आने वाले कवि इतने तो फुर्सत में नहीं है कि वे रतलाम से फोन आते ही कवि सम्मेलन के लिए निकल जाएंगे। कवियों से संपर्क करना और उनका आरक्षण करवाना और फिर आना। इतनी जल्दी संभव नहीं हैं।
यह कवि आएंगे एक रात
नगर निगम द्वारा शुक्रवार की रात को जारी विज्ञप्ति में इन कवियों के आने की जानकारी दी गई है। शनिवार की रात को आयोजित कवि सम्मेलन में आमंत्रित कवि है सर्वश्री सुरेश मिश्रा-मुम्बई, प्रो. शम्भूसिंह मनहर-खरगोन, सुनील समैया-बीना, दीपिका माही-उदयपुर, शंकर सुखवाल-चित्तौड़गढ़ व अर्जून अल्हड़-कोटा है।
टेंडर की नौटंकी
इसका मतलब साफ है कि यह पूर्व निर्धारित प्रक्रिया थी जिसमें अपने वाले का ही टेंडर मंजूर करना था। तो फिर टेंडर प्रकाशित करवाने की नौटंकी क्यों की गई? सूत्रों ने बताया कि आयोजन के लिए केवल एक ही टेंडर मिला है और वह पास भी हो गया। इसका अर्थ तो हर कोई आमजन समझ सकता है कि क्या घालमेल चल रही है नगर निगम में। सांस्कृतिक आयोजन के नाम पर बिचौलिए सक्रिय है।
यक्ष प्रश्न आयोजन व टेंडर के
◼ जिन 14 कवियों का चयन किया गया, उनका किस समिति ने किस बैठक में अनुमोदन किया ?
कवियों के चयन का आधार क्या है ?
◼ 3 सितंबर 19 को निविदा निकाली, 5 सितंबर को निविदा खोली, कौन कौन उपस्थित थे ?
5 सितंबर को कवि सम्मेलन के लिए एक भी निविदा नहीं आई फिर 6 सितंबर को किसी व्यक्ति को आपने कार्य आदेश कैसे दे दिया ?
◼ जिस व्यक्ति को आपने कवि सम्मेलन का कार्य सौंपा है क्या ये वही व्यक्ति है जिसे आपने 2017 में कालिका माता मेले में सारे नियम कायदे ताक पर रख कर कार्य दिया था, शिकायत होने कारण जिसका भुगतान आज तक नहीं कर पाए हैं।
◼ कवि कोई भजन मंडली या आर्केस्ट्रा ग्रुप नहीं है जो आप दो दिन के अल्प समय में आमंत्रित कर लें। उन्हें कम से कम 20 दिन पहले सूचना देना होती ताकि वे अपने टिकट आरक्षण आदि करवा सकें।
◼ निविदा के लिए दो दिन का समय रखा। इसका सीधा अर्थ है आप जिस व्यक्ति को कार्य सौंपना पूर्व में ही तय कर चुके हैं, उसे कार्य मिले।
◼ सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि सूची में जिन कवियों के नाम 3 सितंबर को प्रकाशित हुए हैं। नगर के किसी व्यक्ति ने उन्हें 15-20 दिन पहले ही सूचित कर दिया था।
◼ यदि ऐसा है तो फिर नगर की जनता को मूर्ख बनाने के लिए निविदा की नौटंकी क्यों कर रहे हैं
◼ आखिर में सबसे मज़ेदार बात यह है कि जिन कवियों की सूची आपने प्रकाशित की है, उसमें दो तीन को छोड़कर अन्य की मंचीय कवियों में कोई खास प्रतिष्ठा भी नहीं है। कवि सम्मेलन की भाषा में इन कवियों को गिव एंड टेक वाले कहा जाता है
◼ रतलाम नगर में अखिल भारतीय स्तर के कई कवि हैं। यदि उनसे सलाह लें लेते तो नगर की जनता के खून-पसीने से कमाई धन का दुरूपयोग होने से बच जाता।