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तेजाजी मेले की भजन संध्या: इससे बेहतर सुर ताल में मोहल्ले के मंदिरों में महिलाएं करती है भजन

हरमुद्दा
रतलाम, 7 सितंबर। श्री सत्य वीर तेजाजी मेले में शुक्रवार की रात को निगम मंच से जिस भजन संध्या का आयोजन हुआ, इससे बेहतर सुर ताल में मोहल्ले के मंदिरों में महिलाएं भजन करती है। मुद्दे की बात यह है कि निगम ने हजारों रुपए बर्बाद कर दिए स्तरहीन भजन संध्या पर। इसका प्रमाण थे नदारद श्रोता।नगर निगम के तत्वावधान में शुक्रवार की शाम को सत्य वीर तेजाजी मेले का तीन दिवसीय उत्सव प्रारंभ हुआ। निगम के मंच पर भजन संध्या के लिए पंडित म्यूजिकल इवेंट्स को आमंत्रित किया गया था।

संख्या बढ़ाना उनकी ड्यूटी

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मंच पर वादक और गायक मिलाकर एक दर्जन से ज्यादा सदस्य थे। वही श्रोताओं को देखें तो प्रस्तुति देने वालों की संख्या से दोगुनी भी नहीं थी। कुर्सियों पर बैठने वाले भी आधे से ज्यादा तो नगर निगम के कर्मचारी थे, जिनकी ड्यूटी केवल संख्या बढ़ाने में थी। उल्लेखनीय है की भजन संध्या पर ही 70000 का व्यय होना है।

बाहर झांक कर नहीं देखा लोगों ने

खास बात तो यह थी कि आसपास के लोगों ने भी दरवाजे बंद कर दिए थे ताकि आवाज घरों में ना आ सके। एकाध को छोड़ दे तो अधिकांश गायक कलाकार सुर में नहीं थे। कई लोग अपने वाहनों से वहां से गुजरते हुए नजर आए लेकिन कोई भी भजन सुनने को तैयार नहीं था। धर्मनिष्ठ शैलेंद्र मांडोत भी मंच के पास से सपत्नीक निकले, वे भी नहीं रुके। “हरमुद्दा” से चर्चा में श्री मांडोत ने बताया कि जब भजन संध्या का आयोजन ही बेसुरा होगा तो आमजन वहां सुनने क्यों रुकेगा, क्यों आएगा? यहां तक कि क्षेत्र वाले भी आयोजन स्थल तक नहीं पहुंचे और तो और अपने घरों के दरवाजे भी बंद कर लिए बाहर झांक कर देखने तक की इच्छा लोगों की नहीं हुई। घरों में बैठे लोग यही सोच रहे थे कि ना जाने कब भजन संध्या खत्म होगी। धर्मालु सुनीता ने बताया कि इससे बढ़िया भजन तो हमारी कॉलोनी के मंदिरों में होते हैं, जबकि मोहल्ले के भजनों में तो इतने साज नहीं होते हैं। झांझ, मंजीरा और ढोलक के साथ अच्छे भजन होते है।

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