आंगनवाड़ी के बाल शिक्षा केन्द्र में हो रही नौनिहालों की प्री-प्रायमरी पढ़ाई की तैयारी
🔳 बच्चों के समुचित विकास के लिए योजना
🔳 प्रदेश स्तर पर भी शाला पूर्व शिक्षा नीति तथा नियामक दिशा-निर्देश बनाए
🔳 3 से 6 वर्ष तक आयु के बच्चों के लिए 19 विषयों का माहवार पाठ्यक्रम तय
हरमुद्दा
भोपाल, 27 नवंबर। महिला-बाल विकास विभाग ने प्रदेश के प्रत्येक विकासखण्ड के एक आंगनवाड़ी केन्द्र को बाल शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में 313 आंगनवाड़ी केन्द्र में बाल शिक्षा केन्द्र शुरू किए गए हैं। इन बाल शिक्षा केन्द्रों में 6 वर्ष तक आयु वर्ग के नौनिहालों को प्री-प्रायमरी शिक्षा की तैयारी कराई जा रही है।
महिला-बाल विकास विभाग द्वारा प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखरेख और शिक्षा के संबंध में रेग्युलेटरी दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। इसके माध्यम से शासकीय एवं निजी क्षेत्रों में 6 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों के समुचित विकास के लिए संचालित की जा रही प्री-प्रायमरी संस्थाओं का नियमन, निगरानी और मूल्यांकन किया जाएगा। प्रदेश स्तर पर भी शाला पूर्व शिक्षा नीति तथा नियामक दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं।
पाठ्यक्रम निर्धारण
आंगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष तक आयु के बच्चों के लिए 19 विषयों का माहवार पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। इसमें स्वयं की पहचान, मेरा घर, व्यक्तिगत साफ-सफाई, रंग और आकृति, तापमान एवं पर्यावरण, पशु-पक्षी, यातायात के साधन, सुरक्षा के नियम, हमारे मददगार मौसम और बच्चों का आत्म-विश्वास तथा हमारे त्यौहार शामिल हैं। बाल शिक्षा केन्द्र में बच्चों के लिए आयु समूह के अनुसार तीन एक्टीविटी वर्कबुक तैयार की गई हैं। बच्चों के विकास की निगरानी के लिए शिशु विकास कार्ड भी बनाए गए हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए दिशा-निर्देश
बाल शिक्षा केन्द्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए साल भर में करवाई जाने वाली गतिविधियों का संकलन तथा मासिक और साप्ताहिक कैलेण्डर की जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इसमें बच्चों के विकास का अवलोकन करने के लिए आयु समूह के अनुसार शिशु विकास कार्ड बनाए गए हैं। आंगनवाड़ी छोड़ते समय बच्चों को प्रमाण-पत्र और प्रतिवर्ष पी.एस.ई.किट उपलब्ध कराई जा रही है। निपसिड़ से प्रशिक्षित स्टेट रिर्सोस ग्रुप के द्वारा राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षित किए गए हैं, जिनके द्वारा पर्यवेक्षकों को हेण्डस ऑन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकताओं और सहायिकाओं को भी पर्यवेक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
खेल-खेल में शिक्षा
आंगनवाड़ी शिक्षा केन्द्र में खेल-खेल में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए दैनिक गतिविधियाँ निर्धारित की गई हैं। इसमें क्रियात्मक और रचनात्मक खेल, नाटक अथवा नकल करने वाले खेल, सामूहिक और नियमबद्ध खेल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बच्चे अपने मन से अकेले कुछ खेल खेलना चाहते हैं, उसे भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन केन्द्रों पर खेलों के आधार पर बच्चों से अलग-अलग गतिविधियाँ कराई जाती हैं। केन्द्रों पर प्रतिदिन 3 से 4 घण्टे का समय शाला-पूर्व शिक्षा के लिए निर्धारित है। बच्चों को एक गतिविधि के लिए 15 से 20 मिनिट का समय निर्धारित किया गया है क्योंकि 3 से 6 वर्ष तक की उम्र के बच्चे एक गतिविधि पर इससे अधिक समय तक ध्यान नहीं दे पाते।
कक्ष व्यवस्था
बच्चों को आकर्षित करने के लिए आंगनवाड़ी शिक्षा केन्द्र में रंग बिरंगी साज-सज्जा की गई है। कक्ष में दीवारों पर चार्ट, पोस्टर्स और कटआऊट आदि लगाए गए हैं। कक्ष की दीवारों पर बच्चों के द्वारा बनाई गई सामग्री का प्रदर्शन भी किया गया है। बड़े समूह की गतिविधियों के लिए कक्ष के एक कोने में मंच की व्यवस्था की गई है, जहां बच्चे पुस्तक पढ़कर सुनाते हैं, गाना गाते हैं, कविताएं और कहानियाँ सुनाते हैं। बाल शिक्षा केन्द्र के कक्ष के अन्दर का वातावरण छोटे बच्चों की रूचि एवं विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुसार बनाया गया है। बच्चों के खेलने के लिए अलग-अलग कोने जैसे गुडिया घर का कोना, संगीत का कोना, विज्ञापन एवं पर्यावरण प्रयोग का कोना, बिल्डिंग ब्लॉक से खेलने का कोना, शिल्पकला का कोना और कहानियों का कोना आदि बनाए गए हैं।
बाहरी वातावरण
बच्चों की माँसपेशियों के विकास के लिए खेलकूल और भागदौड़ जैसी शारीरिक गतिविधियाँ आवश्यक होती हैं। ऑगनवाड़ी केन्द्रों के बाल शिक्षा केन्द्र में प्रत्येक दिन एक विशेष समय के अंतराल में बच्चों को बाहरी खेल जैसे चढ़ने-उतरने वाले खेल, शारीरिक हलचल, झूले, फिसल पट्टी और संतुलन वाले खेल खिलाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, बगीचे में गड्ढा खोदना, पौधा लगाना, बागवानी आदि के खेल भी खिलाए जाते हैं।