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समुद्र से भी ज्यादा गंभीर थे गुरु : श्री दिव्यानन्द सूरीश्वर जी

🔳 आचार्य श्रीमद विजय समुद्र सुरीश्वर जी महाराज सा.की 129 वीं जयंती पर हुई गुणानुवाद सभा

हरमुद्दा
रतलाम, 10 दिसंबर। समन्वय मिशन के प्रेरक, सर्वधर्म दिवाकर, क्रांतिकारी, आचार्य प्रवर श्री दिव्यानन्द सूरीश्वर जी महाराज सा.(निराले बाबा) के पावन सान्निध्य में राष्ट्रसंत तपोमूर्ति आचार्य श्रीमद विजय समुद्र सुरीश्वर जी महाराज सा.की 129 वीं जन्म जयंती के उपलक्ष में गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदीप उपाध्याय मंत्री भाजपा रतलाम थे।

आचार्य प्रवर ने अपने प्रवचन में कहा गुरु समुद्र से भी ज्यादा गंभीर थे। अपने शांत स्वभाव के कारण से जन जन के प्रिय थे।आप श्री का जन्म पाली में हुआ इसी पाली धरती से मेरा जीवन संसार की समरसता से संयम की ओर अग्रसर हुआ। मेरी दीक्षा पाली शहर में हुई।

तन से मुक्ति की प्राप्ति संभव

उन्होंने कहा जीव को मनुष्य जन्म बहुत भाग्य से मिलते है। यह तन देवताओं को भी दुर्लभ है। वह सभी धार्मिक ग्रंथों में इस तन की महानता का वृत्तांत है क्योंकि केवल एक तन ही ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा मुक्ति की प्राप्ति की जा सकती है। यह शरीर ही मुक्ति के द्वार का माध्यम है। परंतु मनुष्य ने मानव तन को प्राप्त कर न तो प्रभु की प्राप्ति का ही यतन किया और ना ही परलोक को संवारा है। आज जीव ने केवल शारीरिक आवश्यकता को पूरा करने में ही स्वयं को उलझा लिया है। वह यह भूल गया है कि इस शरीर की प्राप्ति का उद्देश्य क्या है? मनुष्य दिन भर में ना जाने कितने कार्य करता है, जिनका बोध उसे रहता है परंतु स्वास का बोध नहीं है कि वह कितनी बार आई है। यदि सर्दी लग जाए छाती में कफ जम जाए तो तभी पता चलता है। श्वास कैसे लिया जाता है। वह उस समय श्वास का निरंतर बोध होता है। पानी में डूबते व्यक्ति को बचा लिया जाए फिर उससे पूछा जाए श्वास की कीमत क्या है। डूबते को एक ही इच्छा होती है किसी प्रकार स्वास आ जाए अर्थात कहने का भाव यह है कि उपस्थिति के हम आदि हैं। अनुपस्थिति खटकती है। यही स्थिति इस शरीर के साथ है।

आचार्य प्रवर विहार करेंगे करमदी के लिए

आचार्य प्रवर 11 दिसंबर को रतलाम से प्रातः 11:00 बजे प्रस्थान कर पदयात्रा के रूप में कर करमदी ग्राम पहुंचेंगे।

यह थे मौजूद

इस अवसर पर मोतीलाल गुगलिया, हेमंत कोठारी, लाभचंद मनोज, अतुल डाक, जयंतीलाल लोधा, सुभाष गुगलिया, मांगीलाल कटारिया, प्रेम उपाध्याय, सैनिक गांधी, अरुण मेहता, हेमंत गुगलिया, अशोक भाणावत, आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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