जब बेटी से मिलने निकली मनोरोगी मुन्नीबाई बिलासपुर से पहुंच गई रतलाम तो क्या किया रतलाम ने
🔳 समाजसेवी गोविंद काकानी के 11 दिन के अथक प्रयास के बाद मिले परिजन
🔳 पत्नी के मिलते ही पति की आंखें भर आई
🔳 विदाई के अवसर पर स्टाफ की भी अश्रु धारा बह निकली
हरमुद्दा
रतलाम, 13 दिसंबर। घर से तो निकली थी मनोरोगी मुन्नीबाई बेटी से मिलने के लिए, मगर उसे क्या पता था कि वह खुद अपने परिवार से बिछड़ जाएगी और बिलासपुर से रतलाम के जंगलों में आ जाएगी। सबसे बड़ी दिक्कत है कि मुन्नीबाई स्वयं नहीं जानती कि वह कहां रहती है? कभी बैतूल तो कभी कहीं और पता बताया लेकिन उसकी भाषा से समझ में आया और बिलासपुर तरफ प्रयास किया। समाजसेवी एवं काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी ने हार नहीं मानी। परिवार में मांगलिक कार्य की व्यस्तता के बावजूद श्री काकानी नेे 11 दिन के अथक प्रयास के बाद मुन्नी बाई के परिजनों को पुलिस की मदद से खोज निकाला। गुरुवार को उन्हें सकुशल विदा किया तो अस्पताल के स्टाफ की भी अश्रु धारा बह निकली।
पुलिस जवान ने जंगल से लाकर भर्ती करवाया था मुन्नीबाई को
हुआ यूं कि मुन्नीबाई पति जोहन गणवा उम्र 55 वर्ष निवासी ग्राम लोहारी थाना मरवाही जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ को रतलाम जंगलों में लावारिस हालत में घूमते हुए देखकर सालाखेड़ी जवान जगदीश यादव ने जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में एक दिसंबर को भर्ती करवाया।
हुई बैतूल में भी परिजनों की खोज
काकानी से मुन्नीबाई ने बातचीत में अपने को बैतूल के पास गांव का निवासी बताया। अपने सात बच्चों के नाम खिलावन, लव ,कुश, केशव, सुलेश्वरी, धनेश्वरी, सीमा बता रही थी। उसके अनुसार बैतूल कंट्रोल रूम पर संपर्क कर प्रभारी संतोष जी से महिला को घर तक पहुंचाने की मदद मांगी। उन्होंने जानकारी निकाली परंतु बताएं पते अनुसार इस प्रकार का कोई क्षेत्र वहां नहीं है। जब मोबाइल वीडियो से कॉलिंग की, तब उन्होंने बताया यह भाषा इस क्षेत्र की नहीं है।
गूगल गुरु से मिली सफलता और पति को पहचान लिया मुन्नीबाई ने
हर दिन उससे लगातार पूछताछ में गांव का नाम के आधार पर गूगल गुरु पर सर्च किया। उसमें बिलासपुर जिला में मरवाही के पास लोहारी गांव नजर आया। जानकारी मिलते ही बिलासपुर कंट्रोल रूम से संपर्क कर जानकारी दी। उन्होंने तत्काल मरवाही थाने से जवान को भेजकर घरवालों से वहां के स्कूल मास्टर मोहन मिश्रा के मोबाइल से वीडियो कॉलिंग पर मुन्नीबाई से उसके पति जोहन एवं घरवालों की बातचीत करवाई और उन्होंने उसे पहचान लिया।
फिर निकल गई थी मुन्नीबाई, खोजबीन के बाद मिली रात में
श्री काकानी ने उनके घर वालों से तत्काल ले जाने की बात की। इधर भोजन करने के बाद मुन्नीबाई अस्पताल से निकल गई। दिनभर ढूंढने के बाद रात को मिली। तो फिर अस्पताल में ताले में रखना पड़ा। पति जोहन गणवा और थाना मरवाही के आरक्षक दीपक कुमार मरावी को लेकर रतलाम आए। जोहन गणवा ने बताया कि मुन्नीबाई 22 नवंबर से घर से बड़ी बेटी से मिलने कोटमी खुर्द के लिए निकली थी, परंतु वहां नहीं पहुंची। जब बहुत तलाश करने पर भी पता नहीं चला, तब 3 दिसंबर को मरवाही थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
मैं ह्रदय से आभारी हूँ सभी का : गणवा
मुन्नीबाई को सकुशल पाकर हम काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के गोविंद काकानी, अस्पताल के डॉक्टर, सिस्टर, स्टाफ, पुलिस प्रशासन के अशोक शर्मा, जगदीश यादव, मीडिया के सहयोगी बंधुओं का ह्रदय से आभारी हूं। मुझ जैसे गरीब आदिवासी मजदूरी करने वाले के लिए इतनी दूर 1050 किलोमीटर आना संभव नहीं था परंतु बिलासपुर पुलिस प्रशासन के सहयोग से एवं रतलाम के समाजसेवियों के कारण यह संभव हो पाया।
भर आए खुशी के आंसू
गुरुवार की रात को अस्पताल से छुट्टी होते वक्त सिस्टर किरण जैकब, लक्ष्मी डोडियार, रेखा मईडा, भाग्य लक्ष्मी, गोलू भाई, बहन मांगू निनामा, सुनीता काकडे सभी की आंखों में खुशी भरे आंसू आ गए।|
पूरी व्यवस्था देकर भेजा परिवार को
श्री काकानी ने उसे रेलवे स्टेशन पर बिदा करने से पहले कपड़े, रतलाम की नमकीन सेव, भोजन, एक महीने की दवा एवं घर पहुंचने तक की राशि मीडियाकर्मी बंधु की मौजूदगी में दी।
महाकाल के दर्शन किए दंपत्ति ने
दंपत्ति ने महाकाल के दर्शन की इच्छा भी जताई। वह भी श्री काकानी ने पूरी की। शुक्रवार सुबह दंपत्ति ने महाकाल के दर्शन किए। तत्पश्चात बिलासपुर के लिए ट्रेन से रवाना हो गए।