मनुष्य के सुख दुख को अभिव्यक्ति देना मेरा उद्देश्य : डाॅ. सुश्री शरद सिंह
🔳 विभिन्न विषयों पर करीब 50 से अधिक पुस्तकें
हरमुद्दा
शाजापुर/ सागर, 6 जनवरी। लेखिका सुश्री डाॅ. शरद सिंह को कौन नहीं जानता। आपको अनेक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इनमें उल्लेखनीय है – भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के पंडित गोविंद वल्लभ पंथ पुरस्कार, पंडित बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार सहित राज्य स्तरीय रामेश्वर गुरू पत्रकारिता सम्मान पुरस्कार, प्रादेशिक वागीश्वरी सम्मान, नई धारा कथा सम्मान, रामानंद तिवारी स्मृति प्रतिष्ठा सम्मान, विजयवर्मा कथा सम्मान इत्यादि। इनका कहना है कि जीवन के विभिन्न रंगों को उकेरने के साथ ही मनुष्यों के सुख दुख को अभिव्यक्ति देना ही मेरे लेखन का उद्देश्य है।
सुुश्री शरद सिंह द्वारा लिखित विभिन्न विषयों पर करीब 50 से अधिक पुस्तकें छप चुकी है। इन्होंने शोषित, पीड़ित स्त्रियों के पक्ष में अपने लेखन के द्वारा आवाज उठाई है।
मनोरमा ईयर बुक में शामिल
बुंदेलखंड की महिला बीड़ी श्रमिकों पर केंद्रित ‘पत्तों में कैद औरतें’ तथा स्त्री विमर्श पुस्तक ‘औरत तीन तस्वीरें’ मनोरमा ईयर बुक में शामिल की जा चुकी है। बेड़िया स्त्रियों पर केंद्रित ‘पिछले पन्ने की औरते’ तथा लिव इन रिलेशन पर ‘कस्बाई सिमोन’ नामक इनके उपन्यासों को अनेक सम्मान मिल चुके हैं। इनका एक और उपन्यास ‘पचकोढ़ी’ राजनीतिक और पत्रकारिता जगत की परतों को बारिकी से विश्लेषित करता है।
सम्पादक के दायित्व निर्वाह भी
हाल ही में शरदसिंह का नया उपन्यास ‘शिखंडी… स्त्री देह से परे’ छप चुका है। जो कि महाभारत के एक प्रमुख पात्र शिखंडी के जीवन को नए नजरिए से व्याख्यायित करता है। “खजुराहो की मूर्तिकला” विषय में पीएचडी, सागर की प्रतिष्ठित साहित्यकार, कथा लेखिका, उपन्यासकार, स्तम्भकार एवं कवियत्री डाॅ. शरदसिंह वर्तमान में मप्र के सागर में रहते हुए स्वतंत्र लेखन कर रही है। इसके अलावा नई दिल्ली से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘सामयिक सरस्वती’ में कार्यकारी सम्पादक का दायित्व भी निर्वाह कर रही है।
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इनकी कुछ कविताएं –
सिर्फ एक भावना
जब किसी को देखकर
अचानक खिल जाए
फूल ही फूल
मन के मुरझाए पौधे में
तो ठीक उसी वक्त
सो जाते हैं सारे शब्द
सारी ध्वनियां
सारी चेष्टाएं
कि ठीक उसी समय
जाग उठती है सिर्फ एक भावना
अर्थात
प्रेम ।
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स्मृतियां
एक सीढ़ी की पयदान ही तो है
स्मृतियां
जो ले जाती है मुझे
ऊंचे, बहुत ऊंचे
बादलों से भी ऊपर
सातों आसमानों से भी ऊपर
जहां रहता है सफेद घोड़े वाला राजकुमार
और लम्बे बालों वाली राजकुमारी
रहती है एक सुंदर परिधि
एक राक्षस, एक तोता भी
खड़ा है वहां एक महल
बसी है वहां एक बस्ती
उस झरने के करीब
जिसने देखा सुना है
मछलियां को बतियाते
आज भी सुनती हूं मछलियों की हंसी
झरने की कल कल और मन करता है
चढ़ जाने को सीढ़ी
जहां बचपन का केनवास
सहेजे हुए है रंगों को ठीक वैसे ही जैसे
सहेज रखा है स्मृतियों ने मुझे
जीवन के कई पायदान चढ़ने के बाद भी।