बढ़ते वाहनों के बावजूद जिम्मेदार सिकुड़ा रहे शहर की सड़कें

🔳 31 वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह की औपचारिकता आज से

🔳 सड़कें क्यों सिकुड़ाई पूछने वाला कोई नहीं, विधायक भी है मौन

🔳 प्रशासन को आमजन से कोई लेना-देना नहीं

🔳 जिम्मेदार लगे अपनी रोटियां सेकने

हरमुद्दा
रतलाम, 11 जनवरी। बढ़ते वाहनों के बावजूद जिम्मेदार सड़कें सिकुड़ा रहे है। सड़कें क्यों सिकुड़ाई जा रही है। इससे किसे लाभ पहुंचाया जा रहा है। यह
पूछने वाला कोई नहीं है। मुद्दे की बात तो यह है कि विधायक भी मौन है। लगता है प्रशासन को आमजन की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। जिम्मेदार अपनी रोटियां सेकने में लगे हैं। यातायात विभाग भी 31 वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह की औपचारिकता का निर्वाह शनिवार से करेगा।

शहर के व्यापारियों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने और सड़क पर चलने वाले लोगों व वाहन चालकों को परेशान करने के लिए शहर के जिम्मेदार लोगों ने षड्यंत्र रचा हैं लेकिन जनप्रतिनिधि इस मामले में मौन हैं। यह तो सर्वविदित है कि साल दर साल दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। सड़क पर लगातार यातायात जाम हो रहा है। सड़कें चौड़ी करने की बजाय विभाग के जिम्मेदार लोग सिकुड़ा रहे हैं।

पार्किंग पट्टा डालकर सिकुड़ाया सड़क को

अतिक्रमण हटाने के विरुद्ध शहर में अभियान चलाया जाएगा। यह आदेश कलेक्टर ने दिसंबर में दिया था। उसके बाद धानमंडी की सड़कें सिकुड़ा गई है और दुकानदारों ने सामान फुटपाथ पर अधिकार पूर्वक रखकर कब्जा कर लिया है। कहीं पर 8 फीट का फुटपाथ व दो से तीन फीट सड़क छोड़कर पार्किंग पट्टा बनाया तो कहीं फुटपाथ को भी चार फीट सड़क को शामिल कर लिया गया। कोई नियम कानून नहीं है पार्किंग पट्टा डालने के।

ऐसा भी हुआ

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एक ही सड़क पर कुछ मीटर दूरी तक एक तरफ फुटपाथ पार्किंग पट्टा डाला गया। बाद में सड़क के दोनों ओर फुटपाथ पर पट्टा डाला गया। यह सड़क है अस्पताल की, जिस पर सीट कवर बनाने वालों की दुकानें है।

इस दरियादिली के पीछे कौन सा खेल

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हाल ही शहर सराय से रानीजी के मंदिर तरफ आने वाले मार्ग के दोनों और से सड़क तकरीबन 8 फीट सिकुड़ गई है। सड़क के सिकुड़ने का तात्पर्य यह है कि जिम्मेदारों ने पहले के बाद इस बार पार्किंग पट्टी 2 से 6 फीट अंदर बना दी। ऐसा कई सड़कों पर किया गया है। इस दरियादिली के पीछे क्या खेल खेला गया है, यह कोई नहीं जानता है।

रेंगते हुए चलने को मजबूर वाहन चालक

समाजसेवी मनोज शर्मा का कहना है कि अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है। नतीजतन वाहन चालक परेशान है। मजबूरी में वाहन चालकों को रेंगते हुए जाना पड़ रहा है। विडंबना तो यह है कि नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन के साथ ही नगर के विधायक भी आमजन की सुविधा की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

5 माह में भी नहीं दे पाया वाहनों की जानकारी परिवहन विभाग

हरमुद्दा ने परिवहन अधिकारी दीपक माझी से सितंबर में वाहनों के संबंध में जानकारी चाही थी कि पिछले 10 साल में कितने वाहन बढ़े हैं। इस बारे कई बार स्मरण भी कराया। लापरवाही की हद यह है कि विभाग के आला अधिकारी अब तक वाहनों की जानकारी देने में नकारा साबित हुए हैं।

नहीं हुआ संपर्क

इस संबंध में कलेक्टर एवं नगर निगम प्रशासक रुचिका चौहान से संपर्क करना चाहा, लेकिन वे व्यस्त थे। फोन रिसीव नहीं किया।

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