वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे चंदन के सिंहासन की मंद मंद खुशबू से महकता दरबार हाल -

चंदन के सिंहासन की मंद मंद खुशबू से महकता दरबार हाल

1 min read

🔳 वसंत पंचमी रतलाम का 368 वां स्थापना दिवस

🔳 रियासत कालीन रतलाम के राठौर वंश की एक-दो नहीं बल्कि रही 62 विशेषताएं

हरमुद्दा
रतलाम, 30 जनवरी। नए रतलाम की विशेषताओं में जहां सेंव, सोना व साड़ी शामिल है और इसकी ख्याति देश-विदेश में है। वहीं रियासत कालीन रतलाम के राठौर वंश की एक-दो नहीं बल्कि 62 विशेषताएं रही है और उनका पालन करना राज परिवार की आन, बान और शान रहा है।

IMG_20200130_083632

वर्तमान में शहर वासियों की अपनी-अपनी पसंद है चाहे वह कालू मामा की कचोरी हो या फिर जमुना पहलवान के पेड़े। भगत जी के रबड़ी के मालपुए हो या फिर लादूराम जी की सेंव। सबकी अपनी-अपनी विशेषताएं हैं तो गंगों जमुनी तहजीब शहरवासियों की विशेषता। उसी तरह रियासत कालीन राज परिवार की विशेषताएं रही है।

सरयू पवित्र नदी

घुड़साल में जहां श्याम वर्ण घोड़े होते थे, वही कपिला गोवंश का आशीष मिला उन्हें। यजुर्वेद को मानने वाले राठौड़ राज परिवार सूर्यवंशम है तो सरयू नदी उनके लिए पवित्र व पाप मोचनी।

विशेष प्रकार के नामों का उल्लेख 

प्रसंग कोई भी हो उनकी हरेक विशेषताएं प्रभावित करती है। धर्म संस्कृति, अध्यात्म, परंपरा, युद्ध सभी के लिए विशेष प्रकार के नामों का उल्लेख मिलता है। महाराजाओं का सिंहासन चंदन का ही होता था और मंद मंद खुशबू से दरबार महकता था।

नागरबेल के पान पसंद

रामानुज संप्रदाय को मानने वाले रतलाम राजवंश के राठौर महाराजाओं की खास नागरबेल के पान पसंद थे। तो पूजा नीम की करते थे। रणभूमि में जब जाते थे तो श्याम वर्ण घोड़े पर सवार होकर। हाथ में रणथली तलवार होती तो तोप महाकाली। वार को झेलने के लिए हाथ में 12 फूल वाली ढाल रहती।

आदत में था शुमार

IMG-20200129-WA0056

राठौर राजवंश का चिह्न चील है तो पक्षी बाज। यह सभी विशेषताएं राजवंशी को विशेष निरूपित करती है। राजवंश की विशेषताओं का पत्थर की लकीर की तरह पालन करना उनकी आदतों में शुमार रहा है।

संदेश रणजीत नगाड़े से

अमंगल कार्य यानी कि निधन होने पर उनका घाटा (दशाकर्म) हरिद्वार में ही किया जाता। प्रजा को संदेशा दिया जाता तो नगाड़ा रणजीत ही बजाया जाता। तो नृत्य के लिए ढोल विशेष रूप से भंवर ही बजता। ढोली के रूप में देहधड़ा ही पसंद। राजवंश गुरु वशिष्ट की हर एक बात को आदर के साथ मानता और उसका पालन करता।

received_514300495866544

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *