अभिभूत करने वाली अदभुत कृतियां बनी देश की रतलाम में पहलीबार
⬛ राजेश सोनी सहित मध्यप्रदेश में केवल तीन-चार ही है कलाकार व देशभर में मात्र 15
⬛ स्वर्ण की पचरंगी कला केवल रतलाम में
⬛ रतलाम के शत्रुंजय तीर्थ में लगेगी दो अनुपम रचनाएं
⬛ कला एवं संस्कृति विभाग का ध्यान भी इस कला की ओर नहीं
हरमुद्दा
रतलाम, 6 फरवरी। अभिभूत करने वाली अदभुत कृतियों का निर्माण किया है कलाकार राजेश सोनी ने। देश में केवल रतलाम के श्री सोनी स्वर्ण की पचरंगी कला में सिद्धहस्त है। दोनों रचनाएं करमदी स्थित श्री शत्रुंजय महातीर्थ में स्थापित होगी, जहां पर आठ दिवसीय उत्सव की शुरुआत 7 फरवरी से होगी। बड़े भाई रमेश सोनी को मलाल है कि कला एवं संस्कृति विभाग का भी इस कला की ओर ध्यान नहीं है।
‘हरमुद्दा‘ से खास चर्चा में श्री सोनी ने बताया कि वैसे यह कला प्रतापगढ़ की ‘थेवा आर्ट’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस हस्तकला में मशीन का कोई उपयोग नहीं होता है। बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी रचना बनाने में श्री सोनी माहिर है। 80 फीट की रचना को एक इंच में बना सकते है। यह कला यह उन्होंने स्व प्रेरणा से ही सीखी है। स्वर्ण की पचरंगी कला को श्री सोनी ने ईजाद किया है।
अद्वितीय है णमोकार मंत्र
4 माह की अथक मेहनत के बाद णमोकार मंत्र की रचना श्री सोनी ने की। 4 गुना 6 फीट (24 स्क्वेयर फीट) की रचना के निर्माण में मीनाकारी के साथ ही गोल्ड कोटेड चांदी पर कार्य किया है। इस रचना में पांच हजार कुंदन और दो हजार अमेरिकन डायमंड का उपयोग हुआ है। णमोकार मंत्र में अष्टमंगल, 10 इंद्र और कल्पवृक्ष बनाया है जोकि बरबस ही आकर्षित करता है।
जैन संत की अनुपम कृति
श्री सोनी ने 10 गुना 8 फीट (80 स्क्वेयर फीट) की जैन संत की अनुपम कृति भी बनाई हैं। इस कृति के मध्य में श्री सागरानन्द सूरीश्वरजी मसा। एक ओर धर्मसागर सूरीश्वरजी मसा तो दूसरी ओर अभयसागर सूरीश्वरजी मसा के चित्र को गोल्ड प्लेटिंग पर उकेरा गया है। साथ ही इसमें पालीताणा में विराजित आदिनाथ भगवान, नागेश्वर तीर्थ में विराजित नागेश्वर पार्श्वनाथ जी और सरस्वती जी के चित्र व मांडव जैन तीर्थ की प्रतिकृति भी
उकेरी है। दोनों ही रचनाएं अभिभूत करने वाली हैं। श्री सोनी की जीवन संगिनी भारती सोनी ने भी रुचि लेकर रचना को मूर्तरूप दिया है।
कला एवं संस्कृति विभाग से खफा
श्री सोनी के बड़े भाई रमेश सोनी अपने अनुज की कलाकारी पर फक्र करते हैं। मगर देश व प्रदेश के कला एवं संस्कृति विभाग से खफा भी है। आज तक श्री सोनी को कोई न तो कोई मान सम्मान पुरस्कार मिला है और न ही इस कला को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
शत्रुंजय तीर्थ में लगेगी दोनों रचनाएं
श्री सोनी ने बताया कि करमदी स्थित जैन समाज के श्री शत्रुंजय महातीर्थ में श्री अशोक सागर सूरीश्वरजी मसा की निश्रा में 7 फरवरी को होगा, जहां पर दोनों रचनाए स्थापित की जाएगी।